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Monday 5 August 2024 03:26:44 PM
जम्मू। पीएमओ और केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 समाप्ति की 5वीं वर्षगांठ पर कहा हैकि इस ऐतिहासिक फैसले ने जम्मू कश्मीर की बड़ी आबादी को नागरिकता का अधिकार दिलाया, जो सात दशक से इससे वंचित थी। उन्होंने कहाकि चूंकि हम धारा 370 समाप्ति की 5वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, इसलिए कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रम बेहद उल्लेखनीय हैं, इन 5 वर्ष में यहां लोकतांत्रिक, प्र्रशासनिक, विकासात्मक और सुरक्षा स्थितियों में व्यापक सकारात्मक बदलाव दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहाकि भारत और उसके अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर केलिए 5 अगस्त बड़ा ही उल्लेखनीय एवं महत्वपूर्ण दिन है, नरेंद्र मोदी सरकार ने वर्ष 2019 में इसदिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था, जिसके बादसे वह भारत की भावी विकास यात्रा का हिस्सा बनकर उभर रहा है। डॉ जितेंद्र सिंह ने यह बात धारा 370 की समाप्ति की पांचवीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर दूरदर्शन को विशेष साक्षात्कार में कही है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि घाटी में शांति और समृद्धि लाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है, जिन्होंने देशवासियों में विश्वास जगाया कि जम्मू कश्मीर देश की अखंडता और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और देश के मुकुट रत्न की तरह चमकेगा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि इस ऐतिहासिक फैसले से बीते 5 वर्ष में यहां लोकतांत्रिक, प्र्रशासनिक, विकासात्मक और सुरक्षा स्थितियों में व्यापक सकारात्मक बदलाव दिखाई दे रहा है। राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि पहलीबार जम्मू कश्मीर में बेकार पड़े प्राकृतिक संसाधन और निष्क्रिय पड़े मानव संसाधन का उभार हुआ है, इसका ताजा उदाहरण भद्रवाह से शुरू हुई बैंगनी क्रांति है, जिसने भारत को कृषि स्टार्टअप की एक नई शैली दी है। उन्होंने कहाकि बैंगनी क्रांति भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण मूल्यवर्धन करेगी, क्योंकि यह अगले कुछ वर्ष में तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगी और फिर शीर्षपर पहुंच जाएगी। राज्यमंत्री ने कहाकि लोकतांत्रिक स्तरपर जम्मू कश्मीर में बसने वाले पाकिस्तानी शरणार्थियों को सात दशक तक मताधिकार से वंचित रखा गया, जबकि उनमें से दो लोग भारत के प्रधानमंत्री बने, जिनमें इंद्रकुमार गुजराल और डॉ मनमोहन सिंह हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने पूर्ववर्ती सरकारों की आलोचना करते हुए कहाकि वे अनुच्छेद 370 के समर्थक होने का दिखावा करती रहीं, लेकिन वास्तव में वे अपने निहित स्वार्थों केलिए आम जनता का शोषण करने केलिए इसका दुरुपयोग करती थीं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने उदाहरण दियाकि कैसे आपातकाल के दौरान सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल 5 से बढ़ाकर 6 वर्ष कर दिया गया था, फिर 3 वर्ष केबाद मोरारजी सरकार ने इसे पुनः 5 वर्ष कर दिया, लेकिन जम्मू कश्मीर की तत्कालीन सरकार ने पहले केंद्रीय कानून को तुरंत अपना लिया, मगर अनुच्छेद 370 का बहाना बनाकर दूसरे कानून को आसानी से नज़रअंदाज कर दिया और जम्मू कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 5-6 अगस्त 2019 तक छह वर्ष ही रहने दिया। राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि यह दर्शाता हैकि कैसे कुछ लोगों ने अपने निहित स्वार्थों केलिए अनुच्छेद 370 का दुरुपयोग किया। डॉ जितेंद्र सिंह ने कट्टरपंथियों और उनके समर्थकों के बारेमें कहाकि मोदी सरकार ने सख्त निर्णायक रुख अपनाया है और जिन लोगों का नई दिल्ली में पाक दूतावास अतिथि के रूपमें स्वागत करता था, उन्हें अब दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा जा रहा है, जो दर्शाता हैकि सरकार भारत विरोधी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करती है।
उन्होंने कहाकि जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय ध्वज फहराना कभी कई लोगों केलिए एक सपना जैसा था, लेकिन अब जम्मू कश्मीर में हर सरकारी कार्यालय पर तिरंगा फहराया जाता है। जम्मू कश्मीर में शासन स्तरपर डॉ जितेंद्र सिंह ने याद दिलायाकि पंचायत अधिनियम के 73वें और 74वें संशोधन को केंद्र की कांग्रेस सरकार ने पेश किया था, लेकिन राज्य की उसी गठबंधन सरकार ने इसे जम्मू कश्मीर में लागू नहीं किया। उन्होंने कहाकि प्रदेश में लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण नहीं हो सका, क्योंकि 2019 से पहले उनके पास केंद्रीय निधि उपलब्ध नहीं थी। डॉ जितेंद्र सिंह ने प्रदेश में सुरक्षा और शांति के संदर्भ में कहाकि हम आतंकवाद के अंतिम चरण में हैं, खासकर अनुच्छेद 370 के निरस्त होने केबाद पिछले 5 वर्ष में केंद्र सरकार आतंकवाद को रोकने में सफल रही है। उन्होंने बतायाकि पैटर्न आधारित आतंकवाद में कमी आई है, आतंकवादी भाग रहे हैं और प्रासंगिक बने रहने केलिए आसान लक्ष्यों पर हमला कररहे हैं, लेकिन जल्दही उनपर भी काबू पा लिया जाएगा। जम्मू कश्मीर में शांति और सौहार्द पर डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि दो वर्ष में करीब 2.5 करोड़ घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक कश्मीर आए हैं, अपने परिवार और प्रियजनों केसाथ यहां आनेवाले लोग ही प्रदेश में शांति की वापसी का सबूत हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि श्रीनगर में जी-20 की सफल बैठकें भी इसका प्रमाण हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने बतायाकि जम्मू-कश्मीर के युवा अत्यधिक आकांक्षी हैं और क्षेत्र के छात्रों का हालिया प्रदर्शन, चाहे वह सिविल सेवा, खेल और अन्य उच्च शिक्षा हो या फिर पर्यटन और आतिथ्य जैसे क्षेत्र इस बात का प्रमाण हैकि कई वर्ष से इनकी आकांक्षाएं दबी हुई थीं, युवाओं ने उम्मीद खो दी थी, लेकिन अब उनकी आकांक्षाएं फिरसे प्रज्वलित हो गई हैं, इससे युवाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है। राज्यमंत्री ने याद कियाकि उनके विभाग 'डीओपीटी' ने 2016 में कनिष्ठ स्तर की नौकरियों और नियुक्तियों केलिए साक्षात्कार प्रक्रिया को समाप्त कर दिया था, लेकिन इसे जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने केबाद ही लागू किया गया था। उन्होंने कहाकि इन वंचित लोगों को मुख्यधारा का हिस्सा बनाने केलिए निरस्तीकरण सही कदम है। उन्होंने कहाकि जिन हाथों से पत्थर फेंके जाते थे, वे अब कंप्यूटर और आईपैड पकड़ रहे हैं।
राज्यमंत्री ने क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास को रेखांकित करते हुए कहा कि चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल जम्मू-कश्मीर में मौजूद है। उन्होंने कहाकि पिछली सरकारों ने क्षेत्र में रेलवे नेटवर्क के विकास की उपेक्षा की, पनबिजली परियोजनाएं वर्षों तक रुकी रहीं और 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आनेके बाद इन्हें प्रारंभ किया गया। उन्होंने कहाकि जल्द ही किश्तवाड़ एक बिजली केंद्र के रूपमें उभरेगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि उधमपुर पीएमजीएसवाई ग्रामीण सड़कों में शीर्ष तीन जिलों में शामिल है। कठुआ के विकास पर डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि यह एक नए औद्योगिक केंद्र के रूपमें उभर रहा है। उन्होंने इस क्षेत्रमें हालके दिनों में शुरू हुए आईआईटी, एम्स, आईआईएम और केंद्रीय विश्वविद्यालयों का भी जिक्र किया। उन्होंने बतायाकि लैवेंडर की खेती डोडा जिले के एक छोटे से शहर भद्रवाह में शुरू हुई, इसने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है, खासकर तब जब प्रधानमंत्री ने मन की बात रेडियो कार्यक्रम में इसका उल्लेख किया और और वर्चुअल तरीके से इसके ब्रांड एंबेसडर बने। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि लैवेंडर की खेती ने युवाओं में कृषि उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा दिया है और उनकी आय सुरक्षा को बढ़ाया है, दूसरे हिमालयी राज्यों उत्तराखंड और पूर्वोत्तर के राज्यों ने भी सफलता की इस कहानी का अनुसरण करना शुरू कर दिया है।