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Wednesday 7 August 2024 05:55:26 PM
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूपी में कृषि सेक्टर के कायाकल्प और कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने केलिए ‘कृषि विकास एवं ग्रामीण उद्यमिता सुदृढ़ीकरण कार्यक्रम’ (यूपी एग्रीस) शुरु करने जा रहे हैं। इसके अंतर्गत न केवल फसलों की उत्पादकता बढ़ाने केलिए नियोजित प्रयास होंगे, बल्कि मूंगफली, मिर्च और हरी मटर जैसी फसलों के क्रॉप क्लस्टर और इनसे जुड़े उद्योगों के नए क्लस्टरों के विकास तथा निर्यात की बढ़ोतरी का प्रयास भी होगा। उन्होंने कहाकि राज्य सरकार किसानों को विभिन्न देशों में भेजकर नई तकनीक का प्रशिक्षण दिलाएगी, साथही कृषि सेक्टर का वित्त पोषण करेगी। उन्होंने बतायाकि विश्व बैंक की सहायता से शुरू होरही यह परियोजना किसान, कृषक उत्पादक संगठन और कृषि उद्यमियों को हर सम्भव तकनीकी सहायता तथा इंफ्रास्ट्रक्चर भी मुहैया कराएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास पर विश्व बैंक के प्रतिनिधियों केसाथ एक उच्चस्तरीय बैठक में यह विचार-विमर्श कर रहे थे। उन्होंने कहाकि 187.70 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि केसाथ उत्तर प्रदेश देश का एकमात्र राज्य है, जहां कुल उपलब्ध भूमि के 76 प्रतिशत पर खेती की जाती है। मुख्यमंत्री ने कहाकि मैनपावर हो या शुद्ध जल की उपलब्धता अथवा विविध क्लाइमेटिक जोन उत्तर प्रदेश में हर वह पोटेंशियल है, जो उसे देशके कृषि सेक्टर का पावर हाउस बनाता है। उन्होंने कहाकि राज्य में 86 प्रतिशत से अधिक सिंचित भूमि है, विगत 7 वर्ष में नियोजित प्रयासों से प्रदेश में विभिन्न फसलों की उत्पादकता में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन अबभी बुंदेलखंड, पूर्वांचल तथा विंध्य क्षेत्र में अबभी बहुत कुछ किए जानेकी आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि उत्तर प्रदेश को 9 एग्रो क्लाइमेटिक जोन का लाभ प्राप्त होता रहा है, इस नई परियोजना में इन एग्रो क्लाइमेटिक जोन के आधार पर फसल उत्पादन एवं अन्य कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देनेकी रणनीति अपनाई जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहाकि पश्चिमी एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश, राज्य की कुल जनसंख्या में 40-40 प्रतिशत की भागीदारी रखते हैं, लेकिन जहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रदेश के कृषि उत्पादन में 50 प्रतिशत योगदान है, वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश का योगदान मात्र 28 प्रतिशत है, इसी प्रकार बुंदेलखंड में प्रदेश की कुल जनसंख्या की 7 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है, जबकि कृषि उत्पादन में इस क्षेत्र का योगदान मात्र 5.5 प्रतिशत है। उन्होंने कहाकि परियोजना के अंतर्गत हमारा उद्देश्य होगाकि चयनित क्षेत्रों में कृषि खाद्य प्रणाली को जलवायु सहिष्णु और व्यावसायिक रूपसे विकसित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहाकि जेवर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट केपास एक्सपोर्ट हब की स्थापना की जाएगी। उन्होंने कहाकि कृषि में ऋण प्रवाह को बढ़ाने की आवश्यकता है, साथही कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण में महिला समूहों की भागीदारी भी बढ़ाने के प्रयास होने चाहिएं। उन्होंने कहाकि परियोजना केतहत विशिष्ट उत्पादों के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के विकास, आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ करने तथा बाजार मानकों के अनुरूप फसल की गुणवत्ता में सुधार के प्रयास भी किए जाने चाहिएं।
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को परियोजना के बारेमें बतायाकि विश्व बैंक के प्रतिनिधियों केसाथ हुई वार्ता के अनुसार यह परियोजना 6 वर्ष की होगी, लगभग 4000 करोड़ रुपए की परियोजना का सीधा लाभ कृषक, कृषक उत्पादक समूहों, मत्स्यपालकों और कृषि क्षेत्रसे जुड़ी एमएसएमई इकाइयों को होगा। उन्होंने बतायाकि यूपी एग्रीस परियोजना पूर्वी उत्तर प्रदेश के 21 तथा बुंदेलखंड के 7 जनपदों में संचालित की जाएगी, इसके माध्यम से 10 लाख किसानों को प्रत्यक्ष सहायता मिलेगी, जिनमें से 30 प्रतिशत महिला किसान होगी। इसके अतिरिक्त 1 लाख से अधिक मत्स्यपालक परिवारों को सहायता दी जाएगी, 500 किसानों को सर्वोत्तम कृषि तकनीकी देखने केलिए विदेश भ्रमण भी कराया जाएगा। मुख्य सचिव ने बतायाकि इससे इन जनपदों में प्रतिव्यक्ति आय और सीडी रेशियो में भी वृद्धि देखने को मिलेगी। उन्होंने कहाकि उत्पादकता वृद्धि केलिए उपयुक्त उन्नत प्रजाति के बीजों की समय से उपलब्धता, संसाधनों का समुचित विकास, जलवायु तंत्र का लाभ उठाने तथा खाद्य सुरक्षा में वृद्धि केलिए आवश्यक निवेश किया जाएगा। उन्होंने कहाकि कृषि क्षेत्र केलिए विस्तृत डिजिटल प्लेटफॉर्म का विकास भी किया जाएगा, वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता में सुधार एवं कार्बन बाज़ार का लाभ किसानों को दिलाने का भी प्रयास होगा। इस अवसर पर कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर, कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह ओलख, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ देवेश चतुर्वेदी और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।