स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 8 August 2024 12:27:11 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने घरेलू उत्पादों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से स्वदेशी आंदोलन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए 7 अगस्त 2015 को शुरू किए गए राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय को दूरदर्शी और हथकरघा आंदोलन की 110वीं वर्षगांठ का प्रतीक बताया है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि हथकरघा उत्पाद ‘बी वोकल फॉर लोकल’ पहल का एक मुख्य घटक है। उन्होंने सच्ची भावना केसाथ हथकरघा को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने आर्थिक राष्ट्रवाद को आर्थिक विकास का मेरु और इसे आर्थिक स्वतंत्रता की बुनियादी जरूरत बताया। हथकरघा के पर्यावरणीय और सांस्कृतिक महत्व पर उन्होंने कहाकि हथकरघा को बढ़ावा देना समय की मांग है, देश की जरूरत है और जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में विश्व की जरूरत है। उन्होंने प्रश्न उठायाकि क्या राजकोषीय लाभ टाले जा सकने वाले आयात को न्यायोचित ठहराया जा सकता है? उन्होंने कहाकि कोईभी राजकोषीय लाभ चाहे उसका आकार कुछभी हो, घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने और स्थानीय रोज़गार की रक्षा करने की कीमत से अधिक नहीं हो सकता।
विज्ञान भवन दिल्ली में 10वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का आयोजन किया गया था, जिसमें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मुख्य अतिथि थे। केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह और राज्यमंत्री पबित्रा मार्गेरिटा कार्यक्रम में शामिल हुए। जगदीप धनखड़ ने रोज़गार सृजन में हथकरघा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए खासकर ग्रामीण महिलाओं केलिए ऐसे उत्पादों के पर्याप्त विपणन अवसर सुनिश्चित करने का आह्वान किया और भारत के कॉरपोरेट जगत से खासकर होटल उद्योग में हथकरघा उत्पादों का बड़े पैमाने पर उपयोग करने की अपील की। उन्होंने कहाकि इस तरह की प्रतिबद्धता न केवल भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देगी, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और रोज़गार के अवसरों को भी महत्वपूर्ण रूपसे प्रोत्साहित करेगी। जगदीप धनखड़ ने आर्थिक राष्ट्रवाद के तीन प्रमुख लाभों को रेखांकित किया, पहला-यह कीमती विदेशी मुद्रा को बचाने में मदद करता है, दूसरा-आयात को कम करके रोज़गार के अवसर पैदा करता है और स्थानीय आजीविका की रक्षा करता है और तीसरा-यह घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करके उद्यमशीलता को बढ़ावा देता है। उपराष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त कीकि कुछ व्यक्ति राष्ट्रीय हितों पर सीमित आर्थिक लाभ को प्राथमिकता देते हैं।
केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने कहाकि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा हथकरघा समुदाय है, जो स्थिरता और ऊर्जा दक्षता पर केंद्रित है, दुनिया सस्टेनेबल उत्पादों के उपयोग की ओर बढ़ रही है। उन्होंने कहाकि हथकरघा उद्योग शून्य कार्बन फुटप्रिंट पैदा करता है और किसी भी ऊर्जा की खपत नहीं करता है, हथकरघा उद्योग शून्य जल फुटप्रिंट वाला क्षेत्र भी है। केंद्रीय मंत्री ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में सरकार 7 अगस्त 2015 से राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाती आ रही है। उन्होंने कहाकि बुनकरों और स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने केलिए वर्ष 1905 में इसी दिन शुरू किए गए स्वदेशी आंदोलन की याद में ये तिथि चुनी गई थी। गिरिराज सिंह ने क्लस्टर विकास कार्यक्रम (सीडीपी) के अंतर्गत प्रौद्योगिकी, विपणन, डिजाइन और फैशन जैसे क्षेत्रों को लाने के प्रधानमंत्री के प्रयासों का जिक्र किया और कहाकि उनकी सरकार बुनकरों को उचित पारिश्रमिक प्रदान करने की दिशा में कामकर रही है। उन्होंने कहाकि सरकार बुनकरों और उनके परिवारों केलिए बेहतर आय के अवसरों हेतु कपड़ा मूल्य शृंखला में सुधार करने का प्रयास कर रही है।
केंद्रीय वस्त्र मंत्री ने कहाकि देश में हथकरघा क्षेत्र में 70 प्रतिशत बुनकर महिलाएं हैं, क्योंकि हथकरघा क्षेत्र महिलाओं के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने पारंपरिक बुनाई के महत्व पर भी प्रकाश डाला और बुनकरों से अपने बच्चों को भी यही परंपरा सिखाने का आग्रह किया और वे अपने कौशल को बढ़ाने केलिए भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएचटी) का पूरी तरह लाभ उठाएं। हथकरघा उत्पादों को तेजी से अपनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए केंद्रीय वस्त्र मंत्री ने उम्मीद जताई कि नागरिक जल्द ही व्यापक रूपसे हथकरघा उत्पादों का उपयोग करने लगेंगे। उन्होंने अधिकारियों से कहाकि वे भारत को दुनियाभर में हथकरघा बाज़ार का विस्तार करने और बुनकरों और उनके परिवारों के लिए रोज़गार के अवसरों को बढ़ाने में मदद करने केलिए और कड़ी मेहनत करें। गौरतलब हैकि स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने केलिए 7 अगस्त 1905 को स्वदेशी आंदोलन की शुरूआत की गई थी।