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Monday 12 August 2024 04:24:00 PM
माले (मालदीव)। भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर और मालदीव के विदेश मंत्री मूसा ज़मीर ने दोनों देशों केबीच विकास साझेदारी संवाद केतहत 2024-2029 की अवधि के दौरान मालदीव के 1000 सिविल सेवा अधिकारियों के प्रशिक्षण केलिए समझौता ज्ञापन का नवीनीकरण किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय सुशासन केंद्र अबतक बांग्लादेश, तंजानिया, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका और कंबोडिया के सिविल सेवकों केलिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों केसाथ-साथ लैटिन अमेरिकी देशों और भारत-प्रशांत द्वीप-समूह सहयोग मंच तथा हिंद महासागर तटीय सहयोग संघ देशों केलिए बहु-देशीय कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक संचालन कर चुका है।
गौरतलब हैकि प्रशासनिक अधिकारियों के क्षमता निर्माण पहल के अंतर्गत 8 जून 2019 को मालदीव के 1000 सिविल सेवकों के क्षमता निर्माण कार्यक्रमों केलिए राष्ट्रीय सुशासन केंद्र और मालदीव सिविल सेवा आयोग केबीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे। वर्ष 2024 तक एनसीजीजी ने मालदीव के सिविल सेवकों केलिए क्षेत्रीय प्रशासन में कुल 32 क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए। इन कार्यक्रमों में मालदीव के स्थायी सचिवों, महासचिवों और उच्चस्तरीय प्रतिनिधियों सहित 1000 सिविल सेवकों को प्रशिक्षितकर उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की गई है। इसके तहत एक कार्यक्रम भ्रष्टाचार विरोधी आयोग केलिए और एक कार्यक्रम मालदीव के सूचना आयोग कार्यालय केलिए किया गया। इस सहयोग की सफलता के मद्देनज़र मालदीव के विदेश मंत्रालय ने अगले पांच वर्ष केलिए समझौता ज्ञापन के नवीनीकरण का अनुरोध किया था, जिसे 9 अगस्त 2024 को आधिकारिक रूपसे नवीनीकृत कर दिया गया है, इसके तहत 2029 तक मालदीव के 1000 और सिविल सेवकों को प्रशिक्षित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है।
भारत और मालदीव ने आशा व्यक्त की हैकि इस नवीनीकृत साझेदारी से न सिर्फ मालदीव के सिविल सेवकों की सार्वजनिक नीति, शासन और क्षेत्र प्रशासन क्षमताओं में वृद्धि होगी, बल्कि भारत और मालदीव केबीच संबंध भी और मजबूत होंगे। भारत सरकार का राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) कई देशों में सार्वजनिक नीति और शासन संबंधी ज्ञान के आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ावा देने केलिए प्रतिबद्ध है। इसके मध्य-करियर क्षमता निर्माण कार्यक्रमों में नागरिक केंद्रित शासन, सेवा वितरण में सुधार और शासन में नवाचारों को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाता है। इन कार्यक्रमों से नागरिकों के डिजिटल सशक्तिकरण और संस्थानों के डिजिटल परिवर्तन के मामले में भारत के प्रयासों का पता चलता है।