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देश में नकारात्मक अभियान-उपराष्ट्रपति

'भारत की बौद्धिक संपदा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का आधार बनी'

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली में पहले बैच का दीक्षारंभ कार्यक्रम

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Saturday 17 August 2024 03:29:22 PM

vice president jagdeep dhankhar

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संवैधानिक पदों पर बैठे कुछ लोगों के हालही के सार्वजनिक बयानों पर गहरी चिंता व्यक्त की है, जिसमें उन्होंने अर्थव्यवस्था को नष्ट करने के उद्देश्य से एक नैरेटिव को बढ़ावा देने केलिए सर्वोच्च न्यायालय से अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने का आग्रह किया है। उपराष्ट्रपति नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली में आईपी लॉ एंड मैनेजमेंट में संयुक्त मास्टर्स/ एलएलएम डिग्री के पहले बैच के दीक्षारम्भ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहाकि सभी का अधिकार क्षेत्र भारतीय संविधान ने परिभाषित किया है, चाहे वह विधायिका हो, कार्यपालिका हो या न्यायपालिका। उन्होंने कहाकि न्यायालयों का अधिकार क्षेत्र निर्धारित है, विश्‍वभर में अमेरिका में सर्वोच्च न्यायालय, ब्रिटेन में सर्वोच्च न्यायालय या अन्य प्रारूपों को भी देखें। उन्होंने देश में नकारात्मक नैरेटिव स्थापित करने के अभियान में सक्रिय लोगों को आड़े हाथों लिया। उपराष्ट्रपति ने कहाकि क्या ये लोग नहीं जानते कि संविधान अपील का अधिकार क्षेत्र प्रदान करता है, यह समीक्षा भी प्रदान करता है, इसलिए वे जो सर्वोच्च न्यायालय से कह रहे हैं, खुद कोर्ट में क्यों नहीं जाते।
गौरतलब हैकि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की टिप्पणी अमरीका की विवादास्पद हिंडनबर्ग रिसर्च वित्तीय शोध कंपनी की रिपार्ट पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और इंडी अलांयस के नेताओं के हंगामे पर है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने भारत के कुछ उद्योगपतियों पर निशाना साधते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है। यह फर्म अपनी वेबसाइट के माध्यम से सार्वजनिक रिपोर्ट तैयार करती है जो कॉर्पोरेट धोखाधड़ी और दुर्भावना के कथित खुलासे करती है। हिंडनबर्ग का निशाना अदानी समूह है। इस कंपनी के क्रियाकलापों की अमेरिका का डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस जांच कर रहा हैकि यह हेज फंड केसाथ मिलकर शॉर्ट सेलिंग कर रही है और इसे अपने प्रॉफिट केलिए इस्तेमाल करती है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि यह मामला बहुत चिंता का विषय है। उन्होंने नाम लिए बिना कहाकि संवैधानिक पद पर बैठे एक व्यक्ति ने पिछले हफ़्ते एक सुप्रचारित मीडिया में सर्वोच्च न्यायालय से स्वतः संज्ञान लेने का अनुरोध कर देश की अर्थव्यवस्था को नष्ट करने के नैरेटिव को बढ़ावा दिया है। जगदीप धनखड़ ने कहाकि ये देश के खिलाफ अभियान है। उन्‍होंने खासतौर से युवाओं से ऐसी ताकतों को बेअसर करने का आग्रह किया, जो राष्ट्रीय कल्याण के ऊपर पक्षपात या स्वार्थ को प्राथमिकता देते हैं, ऐसी कार्रवाइयां राष्ट्र के उत्थान को कमजोर करती हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कोचिंग सेंटरों की व्यापकता और समाचार पत्रों में उनके विज्ञापनों पर प्रकाश डाला, जिनमें छात्रों को आकर्षित करने केलिए अक्सर वही सफल चेहरे दिखाए जाते हैं। उन्होंने कहाकि कोचिंग सेंटरों की धूमधाम, अख़बारों में हर जगह विज्ञापन, पेज एक, पेज दो, पेज तीन पर उन लड़कों और लड़कियों को दिखाया जा रहा है और कई कोचिंग संस्थान विज्ञापन में उन्हीं चेहरों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि विज्ञापन की धूमधाम और उसकी लागत को देखिए, उस विज्ञापन का एक-एक पैसा उन्हीं लड़कों और लड़कियों से आया है, जो अपने लिए भविष्य सुरक्षित करने की कोशिश में लगे हैं। जगदीप धनखड़ ने सिविल सेवा की नौकरियों के आकर्षण से मुक्त होने की वकालत करते हुए युवाओं को पारंपरिक कैरियर से आगे बढ़कर अधिक आकर्षक और प्रभावशाली करियर तलाशने केलिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहाकि हम जानते हैंकि अवसर सीमित हैं, हमें दूरतक देखना होगा और पता लगाना होगाकि अवसरों की विशाल संभावना कहां हैं, कहीं अधिक आकर्षक, जो आपको सक्षम बनाते हैं और ये अवसर परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियों में हो सकता है, यह अंतरिक्ष में हो सकता है, यह समुद्री नीली अर्थव्यवस्था में हो सकता है।
भारत को बौद्धिक संपदा की खान और वेदों, प्राचीन शास्त्रों को भारतीय दर्शन, अध्यात्म एवं विज्ञान की नींव बताते हुए उपराष्ट्रपति ने भारत के बौद्धिक खजाने को सोने से बड़ा खजाना बताया। उन्होंने वेदों को उनके वास्तविक रूपमें अपनाने का आग्रह किया, जीवन को समृद्ध बनाने और हर चीज का समाधान प्रदान करने की उनकी क्षमता पर जोर दिया। ऋग्वेद के शाश्वत ज्ञान का आह्वान करते हुए जिसमें कहा गया है-‘सभी दिशाओं से अच्छे विचार हमारे पास आएं’, पर प्रकाश डाला जो ऋग्वेद के बौद्धिक संपदा के सार को समाहित करता है, जो समाज की बेहतरी केलिए विचारों और ज्ञान के मुक्त प्रवाह पर जोर देता है। उपराष्ट्रपति ने आग्रह कियाकि आधुनिक आंकड़ों का हवाला देने के बजाय, हमें अपने प्रामाणिक स्रोतों से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिससे आज के बौद्धिक और आर्थिक परिदृश्य में हमारे प्राचीन ज्ञान की गहन प्रासंगिकता को बल मिले। नवाचार और आर्थिक विकास को गति देने में बौद्धिक संपदा कानून और प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल देते हुए जगदीप धनखड़ ने कहाकि वैश्वीकृत युग में बौद्धिक संपदा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का आधार बन गई है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश केलिए विदेशी निवेश को आकर्षित करने और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को सक्षम करने केलिए मजबूत आईपी संरक्षण आवश्यक है। उन्होंने कहाकि भारत अपने विधायी ढांचे को लगातार अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार कर है, जिससे मजबूत सुरक्षा सुनिश्चित हुई है। उन्होंने कहाकि भारत की आईपी व्यवस्था विश्व व्यापार संगठन के ट्रिप्स और अन्य द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय समझौतों का अनुपालन करने केलिए सावधानीपूर्वक तैयार की गई है, जो नवाचार और वैश्विक व्यापार केलिए देश की प्रतिबद्धता को मजबूत करती है। इस अवसर पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के डीपीआईआईटी की अपर सचिव हिमानी पांडे, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर जीएस बाजपेयी, भारतीय विधि संस्थान के निदेशक प्रोफेसर वीके आहूजा, छात्र और शिक्षक उपस्थित थे।

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