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'आईएफएस-2023 बैच में भारत की विविधता'

'2047 तक विकसित भारत आईएफएस अफसरों का उत्तरदायित्व'

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का आईएफएस प्रशिक्षुओं को प्रेरक संबोधन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 20 August 2024 03:50:53 PM

president draupadi murmu's motivational address to ifs trainees

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से कल भारतीय विदेश सेवा के 2023 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों ने राष्ट्रपति भवन में भेंट की। राष्ट्रपति ने आईएफएस प्रशिक्षुओं का स्वागत किया और प्रतिष्ठित भारतीय विदेश सेवा का हिस्सा बनने पर बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहाकि मैं इस बैच के प्रोफाइल में संस्कृति, क्षेत्र और भाषाई पृष्ठभूमि के मामले में भारत की विविधता देखती हूं, इनमें से कई लोगों केपास विभिन्न क्षेत्रों में काम करने का समृद्ध अनुभव भी है। राष्ट्रपति ने प्रशिक्षुओं से कहाकि उन्हें उनके गहन प्रशिक्षण अनुभव को जानकर खुशी हुई, एक अच्छा राजनयिक होने केलिए कुछ विशेष कौशल की आवश्यकता होती है, उनको एक प्रभावी संचारक और रणनीतिक विचारक होना चाहिए, साथही अपने मेजबान देश और भारत दोनों की गहरी राजनीतिक एवं सांस्कृतिक समझ भी होनी चाहिए। उन्होंने कहाकि उन्हें बताया गया हैकि वे सभी जल्दही विदेशी भाषा प्रशिक्षण केलिए विदेश में अपनी पहली पोस्टिंग केलिए रवाना होंगे। उन्होंने प्रशिक्षुओं को सलाह दीकि वे जितनी हो सके उतनी भाषाएं सीखें और नई संस्कृतियों, लोगों और तकनीक को अपनाने केलिए तैयार रहें, ये कौशल और संवेदनशीलता उनको एक प्रभावी और सर्वांगीण राजनयिक बनाएगी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आईएफएस अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहाकि विदेश नीति कोई लिखित सार या अभिजात्य वर्ग से जुड़ा कार्यकलाप नहीं है, यह दरअसल घरेलू नीतियों का ही विस्तार है, जिनका उद्देश्य देश के राजनीतिक, आर्थिक एवं सुरक्षा संबंधी हितों और क्षेत्रीय अखंडता को सुनिश्चित करना है, अत: यह आईएफएस अधिकारियों का उत्तरदायित्व हैकि वे न केवल देश के हितों की रक्षा करें, बल्कि वर्ष 2047 तक 'विकसित भारत' बनाने का लक्ष्‍य हासिल करने के व्यापक रणनीतिक उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए वैश्विक एजेंडे को सटीक स्‍वरूप भी प्रदान करें। उन्होंने प्रशिक्षुओं से कहाकि वे कूटनीति की दुनिया में बहुतही रोमांचक समय में प्रवेश कर रहे हैं, भारत के द्विपक्षीय और बहुपक्षीय जुड़ाव का दायरा एवं पैमाना लगातार बढ़ रहा है, हम आत्मविश्वास और जोश केसाथ दुनिया से जुड़ रहे हैं और वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजने में मदद कर रहे हैं, चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो, आपदा लचीलापन हो, साइबर सुरक्षा हो, महामारी प्रतिक्रिया हो या अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ सैद्धांतिक रुख अपनाना हो। उन्होंने कहाकि भारत को तेजीसे बदलते और संघर्ष सेभरे विश्व में एक विश्वसनीय 'विश्व बंधु' के रूपमें देखा जाता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपनी हाल की विदेश यात्राओं का उल्लेख करते हुए कहाकि इस दौरान उन्होंने देखा हैकि बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्रमें विकास साझेदारी परियोजनाओं से कितनी सद्भावना पैदा हुई है, खासतौर पर ग्लोबल साउथ के देशों में, जहां फिल्मों, योग, आयुर्वेद, भारतीय कला, शिल्प, नृत्य और संगीत सहित भारतीय सॉफ्ट पावर में भी जबरदस्त रुचि है। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्होंने महसूस किया हैकि भारत के विदेश में मित्रों और भागीदारों को हमसे बहुत अधिक अपेक्षाएं हैं, जिन्हें हमें पूरा करना है। उन्होंने आईएफएस अधिकारियों से कहाकि यहीं पर उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है, उनको अपने मेजबान देश में व्यापार और वैज्ञानिक समुदाय, सांस्कृतिक प्रतिनिधियों एवं मीडिया सहित विभिन्न हितधारकों केसाथ रचनात्मक रूपसे जुड़ना चाहिए, भारतीय प्रवासियों की महत्वपूर्ण भूमिका को विकसित और बढ़ावा देना होगा। उन्होंने कहाकि विदेश यात्रा पर भारतीय प्रवासियों से मुलाकातों में वे उनकी उपलब्धियों और अपनी मातृभूमि से जुड़ने और योगदान देने के उनके उत्साह से प्रभावित हैं।
राष्ट्रपति ने आईएफएस अधिकारियों से कहाकि संकट के समय में भारतीय मिशन विदेशों में रहनेवाले भारतीय नागरिकों केलिए दूसरा घर है और आपही उनकी एकमात्र उम्मीद हैं। वंदे भारत मिशन (कोविड), ऑपरेशन गंगा (यूक्रेन), ऑपरेशन कावेरी (सूडान) और ऑपरेशन अजय (इज़राइल), जहां हमारे राजनयिकों ने लाखों भारतीयों को सुरक्षित वापस घर लाया, अनुकरणीय प्रयास थे। राष्ट्रपति ने कहाकि आईएफएस अधिकारियों को यह याद रखना चाहिएकि वे सिर्फ भारत सरकार का ही प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, वे 1.4 अरब भारतीयों और उनकी उम्मीदों एवं आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, वे भारत की विविधतापूर्ण एवं बहुलवादी संस्कृति, 5000 साल पुरानी सभ्यता की प्रचुरता का प्रतिनिधित्व करते हैं और वे एक ऐसे समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो मूलत: इस अप्रत्याशित संसार में लोगों की भलाई और स्थिरता केलिए एक बड़ी ताकत है। राष्ट्रपति ने कहाकि एक अच्छे राजनयिक में यह अद्वितीय कौशल होना अत्यंत आवश्यक है-उन्हें संचार या संवाद में अत्यंत प्रभावकारी और ही रणनीतिक विचारक भी होना चाहिए।

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