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Monday 26 August 2024 01:55:32 PM
जोधपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा हैकि राष्ट्रीय एकता भारत की न्यायिक प्रणाली की आधारशिला है और इसे मजबूत करने से राष्ट्र एवं इसकी व्यवस्थाएं और ज्यादा मजबूत होंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान उच्च न्यायालय के प्लेटिनम जुबली समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहाकि राजस्थान उच्च न्यायालय ऐसे समय में 75 वर्ष पूरे कर रहा है, जब भारतीय संविधान भी अपने 75 वर्ष पूरे करने वाला है, यह आयोजन कई महान हस्तियों के न्याय, निष्ठा और समर्पण का जश्न मनाने का अवसर है, यह संविधान केप्रति भारत की आस्था का एक उल्लेखनीय उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने कहाकि राजस्थान उच्च न्यायालय का अस्तित्व भारत की एकता के इतिहास से जुड़ा है। सरदार वल्लभभाई पटेल के 500 से अधिक राज्यों को एकसाथ लाने और उन्हें एकता के सूत्रमें पिरोकर अखंड भारत के निर्माण के प्रयासों को याद करते हुए नरेंद्र मोदी ने उल्लेख कियाकि राजस्थान की जयपुर, उदयपुर और कोटा जैसी विभिन्न रियासतों के अपने-अपने उच्च न्यायालय हुआ करते थे, जिन्हें एकीकृत करके राजस्थान उच्च न्यायालय अस्तित्व में लाया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि न्याय सरल और सुबोध है, कई बार प्रक्रियाएं इसे जटिल बना देती हैं। उन्होंने कहाकि न्याय को यथासंभव सरल और सुबोध बनाने केलिए हर संभव प्रयास करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहाकि इस दिशामें कई ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण प्रयास किए गए और किए जा रहे हैं, कई अप्रासंगिक औपनिवेशिक कानूनों को निरस्त कर दिया गया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि देशने आजादी के कई दशक बाद औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलकर भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता को अपनाया है, जो दंड के स्थान पर न्याय के आदर्शों पर आधारित है एवं जो भारतीय चिंतन का आधार भी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि भारतीय न्याय संहिता मानवीय विचारों को आगे बढ़ाएगी और हमें औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त करेगी। उन्होंने कहाकि अब यह हमारी जिम्मेदारी हैकि हम भारतीय न्याय संहिता की भावना को यथासंभव प्रभावी बनाएं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि बीते दशक में देश के हर क्षेत्रमें तेजीसे बदलाव आया है, भारत के दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का जिक्र किया। उन्होंने नए भारत की जरूरतों के अनुसार नवाचारों और प्रणालियों के आधुनिकीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया और कहाकि भारत के सपने बड़े हैं एवं नागरिकों की आकांक्षाएं ऊंची हैं। उन्होंने कहाकि यह ‘सभी केलिए न्याय’ प्राप्त करने केलिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। नरेंद्र मोदी ने भारतीय न्यायिक प्रणाली की क्रांति में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और ई-कोर्ट परियोजना का उदाहरण दिया। उन्होंने बतायाकि अबतक देशमें 18000 से अधिक अदालतों का कम्प्यूटरीकरण किया जा चुका है और 26 करोड़ से अधिक अदालती मामलों से संबंधित जानकारी राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के जरिए केंद्रीकृत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।
नरेंद्र मोदी ने बतायाकि 3000 से अधिक न्यायालय परिसरों और 1200 से अधिक जेलों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं से जोड़ा गया है। उन्होंने इस दिशामें राजस्थान सरकार के कार्यों की गति पर भी प्रसन्नता व्यक्त की, जहां सैकड़ों अदालतों को कम्प्यूटरीकृत किया जा चुका है, इससे पेपरलेस अदालतें, ई-फाइलिंग, इलेक्ट्रॉनिक समन सेवा और वर्चुअल सुनवाई की सुविधाएं उपलब्ध हुई हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि आम नागरिकों पर बोझ कम करने केलिए राष्ट्र के प्रभावशाली कदमों ने भारत में न्याय की नई उम्मीद जगाई है। उन्होंने देश की न्यायिक प्रणाली में निरंतर सुधार करके इस नई उम्मीद को बनाए रखने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने अतीत में कई अवसरों पर मध्यस्थता प्रक्रिया की सदियों पुरानी प्रणाली का लगातार जिक्र किया है। उन्होंने कहाकि वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली आज किफायती और त्वरित निर्णयों केलिए एक महत्वपूर्ण तरीका बन गया है। उन्होंने कहाकि यह प्रणाली देशमें जीवन को आसान बनाने केसाथ-साथ न्याय को भी आसान बनाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि सरकार ने कानूनों में संशोधन करके और नए प्रावधान जोड़कर क सुधारात्मक कदम उठाए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि न्यायपालिका के सहयोग से ये व्यवस्थाएं और मजबूत होंगी। प्रधानमंत्री ने कहाकि न्यायपालिका ने राष्ट्रीय मुद्दों पर लगातार सजग और सक्रिय रहने की नैतिक जिम्मेदारी निभाई है। उन्होंने कहाकि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना भारत की एकता का आदर्श उदाहरण है। उन्होंने सीएए के मानवीय कानून का भी जिक्र किया और कहाकि अदालतों के फैसलों ने प्राकृतिक न्याय पर उनके रुख को स्पष्ट किया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों ने 'राष्ट्र प्रथम' के संकल्प को और मजबूत किया है। लालकिले से संबोधन में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहाकि भलेही एनडीए सरकार ने इस मामले को अब उठाया है, लेकिन भारत की न्यायपालिका ने हमेशा इसके पक्षमें वकालत की है। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय एकता के मामलों में न्यायालय का रुख नागरिकों में विश्वास पैदा करता है। उन्होंने कहाकि 21वीं सदी के भारत में 'एकीकरण' शब्द बड़ी भूमिका निभा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि परिवहन के साधनों, डेटा, स्वास्थ्य प्रणाली, पुलिस, फोरेंसिक, प्रक्रिया सेवा प्रणाली का एकीकरण हमारा विजन हैकि देशकी सभी आईटी प्रणालियां जो अलग-अलग काम कर रही हैं, उनका एकीकरण किया जाना चाहिए। नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत के सर्वोच्च न्यायालय से जिला न्यायालयों तक सभी को एकसाथ मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने राजस्थान की सभी जिला अदालतों में शुरू कीगई एकीकरण परियोजना केलिए शुभकामनाएं भी दीं। प्रधानमंत्री ने कहाकि आजके भारत में ग़रीबों के सशक्तिकरण केलिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल एक आजमाया हुआ और परखा हुआ फार्मूला है। उन्होंने कहाकि 10 वर्ष में भारत को कई वैश्विक एजेंसियों और संगठनों से प्रशंसा मिली है, डीबीटी से यूपीआई तक कई क्षेत्रों में कार्यों से भारत एक वैश्विक मॉडल के रूपमें उभरा है। उन्होंने कहाकि इसी अनुभव को न्याय प्रणाली में भी लागू किया जाना चाहिए एवं इस दिशामें प्रौद्योगिकी और अपनी भाषा में कानूनी दस्तावेजों तक पहुंच प्रदान करना ग़रीबों को सशक्त बनाने का सबसे प्रभावी साधन बन जाएगा।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि सरकार दिशा नामक एक अभिनव समाधान को बढ़ावा दे रही है और अभियान में मदद केलिए कानून के छात्रों और कानूनी विशेषज्ञों को आमंत्रित किया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि कानूनी दस्तावेज और फैसले लोगों को स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराने केलिए काम किया जाना बाकी है। उन्होंने बतायाकि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक सॉफ्टवेयर की मदद से इसकी शुरुआत कर दी है, जिसके जरिए न्यायिक दस्तावेजों का 18 भाषाओं में अनुवाद किया जा सकता है। नरेंद्र मोदी ने यह बहुत महत्वपूर्ण हैकि विकसित भारत में सभी केलिए सरल, सुलभ और आसान न्याय की गारंटी हो। प्रधानमंत्री ने डिजिटल इंडिया मिशन से प्रेरित एक आईटी प्लेटफॉर्म ‘TWARIT’ और राजस्थान उच्च न्यायालय संग्रहालय का भी उद्घाटन किया। इस अवसर पर राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव उपस्थित थे।