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सहकारी समितियों में एकाधिकार नहीं, सहकार हो!

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने महिलाओं के सहकारी समूहों को किया प्रोत्साहित

कोल्हापुर में श्रीवारणा महिला सहकारी समूह का स्वर्ण जयंती समारोह

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Tuesday 3 September 2024 01:12:43 PM

president draupadi murmu encouraged women cooperative groups

कोल्हापुर (महाराष्ट्र)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कोल्हापुर के वारणानगर में श्रीवारणा महिला सहकारी समूह के स्वर्ण जयंती समारोह में श्रीवारणा समूह के संस्थापक विश्वनाथराव कोरे उर्फ तात्यासाहेब कोरे को याद किया और कहाकि उनकी दूरदर्शिता और मेहनत से वारणा घाटी की बंजर भूमि आज हरी-भरी है और यह बहुत ही खुशी की बात हैकि उनके पौत्र विनय विलासराव कोरे, तात्यासाहेब के संकल्प को आगे बढ़ा रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि समाज में निहित शक्ति का सदुपयोग करने केलिए सहकारिता सर्वश्रेष्ठ माध्यम है, सहकारिता के सिद्धांत संविधान में परिकल्पित न्याय, एकता और भाईचारे की भावना के अनुरूप हैं। उन्होंने कहाकि जब अलग-अलग वर्गों और विचारधाराओं के लोग सहकार केलिए एकजुट होते हैं तो उन्हें सामाजिक विविधता का लाभ मिलता है। उन्होंने कहाकि देश के आर्थिक विकास में सहकारी समितियों की बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका है, अमूल व लिज्जत पापड़ जैसे घरेलू ब्रांड ऐसी सहकारी समितियों के ही सफल उदाहरण हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि अगर आज भारत विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक हैतो इस सफलता में सहकारी समूहों का महत्वपूर्ण योगदान है, आमतौर पर सभी राज्यों में सहकारी समितियां मुख्य रूपसे दूध उत्पादों का उत्पादन और वितरण करती हैं, केवल दूध ही नहीं, सहकारी संस्थाएं उर्वरक, कपास, हथकरघा, आवास, खाद्य तेल और चीनी जैसे क्षेत्रों मेंभी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि सहकारी संस्थाओं का ग़रीबी उन्मूलन, खाद्य सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में अनुकरणीय योगदान है, लेकिन तेजीसे बदलते समय में उन्हें खुद कोभी बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहाकि कई सहकारी समितियां पूंजी और संसाधनों की कमी, शासन प्रबंधन और कम भागीदारी जैसी समस्याओं का सामना कर रही हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि अधिक से अधिक युवाओं को सहकारिता से जोड़ना इस दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है, युवा प्रशासन और प्रबंधन में प्रौद्योगिकी को शामिल करके उन संस्थाओं का कायाकल्प कर सकते हैं। उन्होंने सहकारी संस्थाओं को जैविक खेती, भंडारण क्षमता निर्माण और इको-टूरिज्म जैसे नए क्षेत्रों में अवसर तलाशने की सलाह दी।
राष्ट्रपति ने कहाकि किसीभी उद्यम की सफलता का असली राज उसका आम लोगों केसाथ जुड़ाव है, इसलिए सहकारी समितियों की सफलता केलिए एक लोकतांत्रिक व्यवस्था और पारदर्शिता जरूरी है। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि सहकारी संस्थाओं में सदस्यों के हित सर्वोपरि होने चाहिएं, यह हमेशा ध्यान में रखा जाना चाहिएकि कोईभी सहकारी संस्था किसी व्यक्ति के निजी स्वार्थ और लाभ कमाने का एक साधन न बने, अन्यथा सहकारिता का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा, सहकारी समितियों में किसीके एकाधिकार की जगह वास्तविक सहकार होना चाहिए। राष्ट्रपति ने कार्यक्रम में मौजूद जनसमूह, जिसमें अधिकतर महिलाएं शामिल थीं, से शिक्षा के महत्व को समझने, नई तकनीकों को सीखने, दैनिक जीवन में पर्यावरण संरक्षण को महत्व देने, जरूरतमंदों की सहायता करने और देश के विकास में अपना योगदान देने केलिए हमेशा तैयार रहने का अनुरोध किया। उन्होंने कहाकि हमारे व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयास विश्वपटल पर भारत को ऊंचे स्थान पर पहुंचाएंगे।

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