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Friday 6 September 2024 04:56:52 PM
लखनऊ। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में प्रथम संयुक्त कमांडर सम्मेलन के दौरान शीर्षस्तरीय सैन्य नेतृत्व बैठक में राष्ट्रीय हितों की रक्षा और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को बढ़ावा देने में सशस्त्र बलों के अमूल्य योगदान की प्रशंसा करते हुए तीनों सेनाओं केबीच संयुक्तता और एकीकरण के प्रयासों की सराहना की। सम्मेलन की थीम 'सशक्त और सुरक्षित भारत: सशस्त्र बलों में बदलाव' के अनुरूप राजनाथ सिंह ने कहाकि भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है और शांति बनाए रखने केलिए सशस्त्र बलों को युद्ध केलिए तैयार रहने की आवश्यकता है। उन्होंने संयुक्त सैन्य का विजन विकसित करने और भविष्य के युद्धों में देश के सामने आने वाली चुनौतियों केलिए तैयारी करने के महत्व पर जोर दिया और सशस्त्रबलों को आगाह करते हुए उन्हें उकसावे की घटनाओं पर समन्वित, त्वरित और कड़ी कार्रवाई करने को कहा। रूस-यूक्रेन एवं इजरायल-हमास संघर्षों और बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति का जिक्र करते हुए रक्षामंत्री ने कमांडरों से इन घटनाओं का विश्लेषण करने, भविष्य में देशके सामने आनेवाली समस्याओं का अनुमान लगाने और अप्रत्याशित से निपटने केलिए तैयार रहने का आह्वान किया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने देश की उत्तरी सीमा पर स्थिति और पड़ोसी देशों में होनेवाली घटनाएं, जो क्षेत्रमें शांति एवं स्थिरता केलिए चुनौती पेशकर रही हैं के मद्देनज़र शीर्ष सैन्य नेतृत्व के व्यापक और गहन विश्लेषण की आवश्यकता पर जोर दिया। राजनाथ सिंह ने कहाकि वैश्विक अस्थिरता के बावजूद भारत अपेक्षाकृत शांत माहौल में शांतिपूर्ण तरीके से विकास कर रहा है, हालांकि बढ़ती चुनौतियों के कारण हमें सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहाकि यह महत्वपूर्ण हैकि हम अमृतकाल के दौरान अपनी शांति को बरकरार रखें, हमें अपने वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, वर्तमान में हमारे आसपास होरही गतिविधियों पर कड़ी निगरानी की जरूरत है और भविष्योन्मुखी होने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। रक्षामंत्री ने कहाकि इसके लिए हमारे पास एक मजबूत और सुदृढ़ राष्ट्रीय सुरक्षा का घटक होना चाहिए, हमारे पास अचूक प्रतिरोधक क्षमता होनी चाहिए। रक्षामंत्री ने कमांडरों से सशस्त्र बलों के शस्त्रागार में पारंपरिक और आधुनिक युद्ध उपकरणों के सही मिश्रण की पहचान करने और उन्हें शामिल करने का आह्वान किया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अंतरिक्ष और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के क्षेत्रमें क्षमता विकास पर जोर दिया और उन्हें आधुनिक समय की चुनौतियों से निपटने केलिए अभिन्न अंग बताया। उन्होंने सैन्य नेतृत्व से डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्रमें नवीनतम तकनीकी प्रगति के इस्तेमाल को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहाकि ये घटक किसीभी संघर्ष या युद्ध में सीधे तौरपर भाग नहीं लेते हैं, इनकी अप्रत्यक्ष भागीदारी काफी हदतक युद्ध की दिशा तय कर रही है। राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्रमें आत्मनिर्भरता हासिल करने के प्रयासों की जानकारी देते हुए इस क्षेत्रको मजबूत करने तथा सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक स्वदेशी हथियारों एवं प्लेटफार्मों से लैस करने केलिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने एकबार फिर सेवारत और सेवानिवृत्त दोनों तरह के सैनिकों एवं उनके परिजनों के कल्याण और खुशहाली केप्रति सरकार के संकल्प को दोहराया। सम्मेलन राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में राष्ट्र के समक्ष वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया गया। सम्मेलन का फोकस भविष्य को लेकर क्षमता निर्माण पर था, जिसमें संयुक्त और एकीकृत कार्रवाई केलिए संगठनात्मक संरचनाएं एवं शांति तथा युद्ध केदौरान कार्यप्रणाली में दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाना शामिल था।
संयुक्त कमांडर सम्मेलन में थिएटराइजेशन, स्वदेशीकरण और रोबोटिक्स एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित स्वायत्त हथियार प्रणालियों केक्षेत्र सहित तकनीकी विकास के व्यापक परिदृश्य जैसे समकालीन मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श हुआ। आधुनिक युद्ध में साइबर और अंतरिक्ष आधारित क्षमताओं के रणनीतिक महत्व पर विशेष ध्यान दिया गया, जिसमें भविष्य के संघर्षों की तैयारी की आवश्यकता पर जोर दिया गया, जो तेजीसे कई अन्य क्षेत्रों में फैलेंगे। सैन्य कमांडरों ने भारत को प्रभावित करनेवाले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास, साथही देशकी रक्षा क्षमताओं को और बेहतर बनाने के उपायों पर चर्चा की। रक्षामंत्री ने ई-म्यूजियम और ई-ग्रंथालय सहित आठ नवीन अनुप्रयोगों केसाथ 'औपनिवेशिक कार्यप्रणालियों और सशस्त्र बल-एक समीक्षा' प्रकाशन भी लॉंच किया, जो तीनों सेवाओं केबीच अधिक सामंजस्य और तालमेल कायम करने की दिशामें एक महत्वपूर्ण कदम है। सम्मेलन में रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, रक्षा सचिव गिरिधर अरमने, सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार, सचिव (पूर्व-सैनिक कल्याण) डॉ नितेन चंद्रा, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव व डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत, वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवाएं) सुगाता घोष दस्तीदार, रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ असैनिक और सैन्य अधिकारी भी शामिल हुए।