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'नौसेना देश के समुद्री हितों की रक्षा के लिए तत्पर'

'हिंद महासागर क्षेत्र में भारत एक प्राथमिकता वाला सुरक्षा साझेदार है'

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का नौसेना कमांडरों के सम्मेलन में संबोधन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 19 September 2024 05:36:29 PM

defense minister rajnath singh's address at the naval commanders' conference

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज नई दिल्ली में नौसेना कमांडरों के सम्मेलन-2024 के दूसरे संस्करण को संबोधित करते हुए हिंद महासागर क्षेत्रमें शांति एवं समृद्धि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने केलिए भारतीय नौसेना की सराहना की और इस क्षेत्र को आर्थिक, भू-राजनीतिक, व्यापार एवं सुरक्षा पहलुओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण तथा संवेदनशील करार दिया है। रक्षामंत्री ने इस तथ्य का उल्लेख कियाकि भारत को एक समय समुद्री तटों से घिरा देश माना जाता था, लेकिन अबके समय में इसे भूमि सीमाओं केसाथ एक द्वीपीय देशके रूपमें देखा जाता है। उन्होंने देश के समुद्री हितों की रक्षा केलिए भारतीय नौसेना की तत्परता की प्रशंसा की, जिसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्रमें प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता के रूपमें भारत की विश्वसनीयता स्थापित हुई है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि वैश्विक व्यापार का एक बड़ा हिस्सा इस क्षेत्रसे होकर गुजरता है, जो इसे बेहद अहम बनाता है और वहीं दूसरी तरफ समुद्र में डकैती, अपहरण, ड्रोन हमले, मिसाइल हमले तथा समुद्री केबल कनेक्शन में व्यवधान जैसी घटनाएं इसे बेहद संवेदनशील भी बना देती हैं। उन्होंने कहाकि हमारी नौसेना ने हिंद-प्रशांत क्षेत्रके सभी हितधारक देशों के आर्थिक हितों की सुरक्षा करने और हिंद महासागर क्षेत्रमें व्यापारिक जहाजों की सुचारू आवाजाही में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने उल्लेख कियाकि भारतीय नौसेना के समुद्री डकैती विरोधी अभियानों को न केवल भारत में, बल्कि विश्वस्तर पर भी सराहना मिल रही है। रक्षामंत्री ने कहाकि भारत को अब हिंद-प्रशांत क्षेत्रमें एक पसंदीदा सुरक्षा भागीदार के रूपमें देखा जाता है। उन्होंने कहाकि जब भी आवश्यकता होगी, तब हम हिंद-प्रशांत क्षेत्रमें और ज्यादा सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। रक्षामंत्री ने कहाकि हिंद-प्रशांत क्षेत्रमें भारतीय नौसेना की बढ़ती सामर्थ्य को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने नौसेना कमांडरों का समय-समय पर आत्मविश्लेषण जारी रखने तथा आजके अस्थिर वैश्विक परिदृश्य में हर स्थिति केलिए तैयार रहने का आह्वान किया। रक्षामंत्री ने आर्थिक, व्यापार, परिवहन और समग्र राष्ट्रीय हितों की रक्षा केलिए एक सशक्त नौसैन्य क्षमता की आवश्यकता पर जोर दिया। राजनाथ सिंह ने अपनी क्षमता विकास के उद्देश्य से आत्मनिर्भर होने पर ध्यान केंद्रित करने केलिए अत्याधुनिक जहाजों, पनडुब्बियों आदि को शामिल करके भारतीय नौसेना को और अधिक शक्तिशाली बनाने के नरेंद्र मोदी सरकार के प्रयासों को दोहराया। उन्होंने इस तथ्य का भी उल्लेख कियाकि वर्तमान में भारतीय शिपयार्डों में वर्तमान में 64 जहाज तथा पनडुब्बियां निर्माणाधीन हैं और 24 अतिरिक्त प्लेटफार्मों केलिए आदेश दिए गए हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि बीते पांच वर्ष के दौरान नौसेना के आधुनिकीकरण बजट का दो-तिहाई से अधिक हिस्सा स्वदेशी खरीद पर खर्च किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप घरेलू रक्षा इकोसिस्टम का त्वरित विकास संभव हुआ है। राजनाथ सिंह ने नौसेना के स्वदेशीकरण प्रयासों की सराहना की।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कमांडरों का नौसेना में 'आत्मनिर्भरता' हासिल करने के संकल्प को और मजबूत करने के तरीके तलाशने का आह्वान किया। राजनाथ सिंह ने विश्वास जतायाकि नौसेना को 'खरीदार' से 'निर्माता' में बदलने का दृष्टिकोण 2047 तक इसे पूरी तरहसे आत्मनिर्भर बनाने में सहायक साबित होगा। रक्षामंत्री ने संयुक्त प्रयासों और संसाधनों के इष्टतम उपयोग के महत्व पर भी चर्चा की। उन्होंने कहाकि भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल की अपनी सामर्थ्य, अधिकार व काम करने के तौर-तरीके हैं, लेकिन देश की समुद्री सुरक्षा को सशक्त करने केलिए और अधिक समन्वय की आवश्यकता है। राजनाथ सिंह ने कार्यक्रम के हिस्से के रूपमें एक टेक डेमो में भी भाग लिया। इस दौरान नौसेना के प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संगठन हथियार और इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियरिंग प्रतिष्ठान सहित विभिन्न एजेंसियों ने स्वदेशी प्रणालियों का प्रदर्शन किया गया, जिसमें स्वायत्त प्रणाली, डोमेन जागरूकता, सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो तथा अन्य विशिष्ट तकनीकी पहल शामिल हैं। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने और वरिष्ठ सैन्य एवं असैन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
नौसेना कमांडरों का सम्मेलन शीर्ष स्तरपर साल में दोबार आयोजित होने वाला कार्यक्रम है, जो नौसेना कमांडरों केबीच महत्वपूर्ण रणनीतिक, सामरिक प्रक्रियाओं से संबंधित और प्रशासनिक मुद्दों पर विचार-विमर्श की सुविधा प्रदान करता है। पश्चिम एशिया में उभरती भू-राजनीतिक तथा भू-रणनीतिक गतिविधियों, क्षेत्रीय चुनौतियों और समुद्री सुरक्षा स्थिति की जटिलता की पृष्ठभूमि में आयोजित यह सम्मेलन भारतीय नौसेना के भविष्य के पाठ्यक्रम को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच के रूपमें भारत के समुद्री हितों की रक्षा केलिए नौसेना की प्रतिबद्धता और 'युद्धक परिस्थितियों से निपटने में मुस्तैद, विश्वसनीय, एकजुट तथा भविष्य केलिए तैयार बल' के रूपमें नौसेना की स्थिति को बरकरार रखता है।

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