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Sunday 22 September 2024 03:40:44 PM
विलमिंगटन। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्यरत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और अमरीकी विदेश विभाग के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक मामलों के ब्यूरो ने दोनों देशों केबीच घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों की बेहतर सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत को उसकी 297 पुरावशेष वस्तुएं सौंपी हैं। गौरतलब हैकि भारत और अमरीका ने जुलाई-2024 में एक सांस्कृतिक संपदा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते का लक्ष्य सांस्कृतिक विरासत की रक्षा में सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से व्यक्त की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करना है, जैसाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की जून 2023 में हुई बैठक केबाद जारी संयुक्त वक्तव्य में परिलक्षित होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस अमरीका की यात्रा के अवसर पर अमरीकी पक्ष ने कभी भारत से चोरी अथवा तस्करी के माध्यम से अमरीका ले जाई गईं प्राचीन वस्तुओं और पुरावशेषों मेंसे 297 की वापसी में सहायता की है, इन्हें शीघ्र ही भारत को वापस लौटा दिया जाएगा। डेलावेयर के विलमिंगटन में द्विपक्षीय बैठक के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रतीकात्मक रूपसे कुछ चुनिंदा भारतीय कलात्मक वस्तुएं सौंपी। प्रधानमंत्री ने इन कलाकृतियों की वापसी में सहयोग केलिए राष्ट्रपति जो बाइडेन को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहाकि ये पुरावशेष न केवल भारत की ऐतिहासिक भौतिक संस्कृति का हिस्सा हैं, बल्कि भारतीय सभ्यता एवं चेतना का आंतरिक आधार भी हैं। उल्लेखनीय हैकि ये पुरावशेष वस्तुएं लगभग 4000 वर्ष पुरानी समयावधि की अर्थात 2000 ईसा पूर्व से लेकर 1900 ईसवी तक की हैं और इनका उद्गम भारत के विभिन्न हिस्सों से हुआ है, इनमें से अधिकांश पूर्वी भारत की टेराकोटा कलाकृतियां हैं, जबकि अन्य वस्तुएं पत्थर, धातु, लकड़ी तथा हाथी दांत से बनी हैं और देश के विभिन्न भागों से संबंधित हैं।
भारत को सौंपे गए कुछ उल्लेखनीय पुरावशेष और वस्तुएं इस प्रकार हैं-मध्य भारत से प्राप्त बलुआ पत्थर की 10-11वीं शताब्दी ईसवी की अप्सरा की मूर्ति, मध्य भारत से मिली कांस्य की बनी जैन तीर्थंकर की 15-16वीं शताब्दी की प्रतिमा, पूर्वी भारत से प्राप्त तीसरी-चौथी शताब्दी का बना टेराकोटा फूलदान, दक्षिण भारत की पत्थर की मूर्ति पहली शताब्दी ईसा पूर्व से पहली शताब्दी ईसवी तक की है, दक्षिण भारत के कांस्य के बने भगवान गणेश 17-18वीं शताब्दी ईसवी, उत्तर भारत से प्राप्त बलुआ पत्थर से बनी भगवान बुद्ध की खड़ी प्रतिमा 15-16वीं शताब्दी की है, पूर्वी भारत से प्राप्त भगवान विष्णु की कांस्य प्रतिमा 17-18वीं शताब्दी ईसवी की है, 2000-1800 ईसा पूर्व से संबंधित उत्तर भारत की तांबे में तैयार मानवरूपी आकृति, दक्षिण भारत के भगवान श्रीकृष्ण की कांस्य मूर्ति 17-18वीं शताब्दी की है और दक्षिण भारत से गई ग्रेनाइट में निर्मित भगवान कार्तिकेय की 13-14वीं शताब्दी की मूर्ति है।
चोरी और तस्करी से विदेशों में भेजी गईं भारत की सांस्कृतिक संपदाओं की वापसी भारत और अमरीका की सांस्कृतिक समझ और आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण पहल बन गई है। वर्ष 2016 से अमरीका की सरकार ने बड़ी संख्या में तस्करी या चोरी की गई प्राचीन वस्तुओं की भारत वापसी शुरू की है। जून 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमरीका यात्रा के दौरान 10 पुरावशेष भारत लौटाए गए थे, वहीं सितंबर 2021 में उनकी यात्रा के दौरान 157 वस्तुएं और पुरावशेष एवं पिछले वर्ष जून में उनकी यात्रा के दौरान 105 पुरावशेष भारत लौटाए गए। इस प्रकार साल 2016 के बाद अमरीका से भारत को लौटाई गई सांस्कृतिक कलाकृतियों की कुल संख्या 578 हो चुकी है। यह किसी भी देश द्वारा भारत को लौटाई गई सांस्कृतिक पुरावशेष की सर्वाधिक संख्या है।