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Tuesday 24 September 2024 05:33:54 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा हैकि भारतीय तटरक्षक बल भारत का अग्रणी रक्षक है, यह हमारे विशाल समुद्र तट की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। उन्होंने भारतीय तटरक्षक बल की टीम को पारंपरिक और भविष्य के खतरों से निपटने केलिए प्रौद्योगिकी उन्मुख बल बनने केलिए प्रेरित किया और कहाकि हमारा उद्देश्य एक आत्मनिर्भर भारतीय तटरक्षक बल का निर्माण करना है। रक्षामंत्री ने आज तटरक्षक मुख्यालय नई दिल्ली में 41वें भारतीय तटरक्षक कमांडर सम्मेलन का उद्घाटन किया। यह तीन दिवसीय सम्मेलन उभरते भू राजनीतिक परिदृश्य और समुद्री सुरक्षा की जटिलताओं की पृष्ठभूमि में भारतीय तटरक्षक बल के कमांडरों केलिए रणनीतिक, परिचालन और प्रशासनिक मामलों पर सार्थक चर्चा में शामिल होने केलिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूपमें कार्य करेगा, जो तटरक्षक की क्षमताओं को बढ़ाने केलिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत करेगा। रक्षामंत्री ने आईसीजी को भारत का अग्रणी रक्षक बताया, जो विशेष आर्थिक क्षेत्रकी निरंतर निगरानी करते हुए देशकी विशाल तटरेखा की सुरक्षा सुनिश्चित करता है और आतंकवाद तथा हथियारों, ड्रग्स और मानव तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों की सख़्त निगरानी करते हुए कड़ी कार्रवाई और रोकथाम करता है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आंतरिक आपदाओं से देशकी रक्षा करने में आईसीजी जवानों के योगदान को अद्वितीय बताया। उन्होंने चक्रवात मिचांग केबाद चेन्नई में तेल रिसाव केदौरान आईसीजी की त्वरित प्रतिक्रिया की प्रशंसा की, जिसने क्षेत्रके तटीय परितंत्र को बड़ा नुकसान होने से बचा लिया। आईसीजी को सबसे मजबूत तटरक्षक बलों मेंसे एक बनाने के दृष्टिकोण को साझा करते हुए रक्षामंत्री ने आजके अप्रत्याशित समय में पारंपरिक और उभरते खतरों से निपटने केलिए मानवउन्मुख से प्रौद्योगिकी संपन्न बल बनने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने समुद्री सीमाओं पर अत्याधुनिक तकनीक के महत्व को रेखांकित करते हुए कहाकि यह देशकी सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत करने केलिए एक बल गुणक के रूपमें कार्य करता है। रक्षामंत्री ने कहाकि दुनिया तकनीकी क्रांति के दौरसे गुजर रही है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम टेक्नोलॉजी और ड्रोन युग में सुरक्षा के क्षेत्रमें महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने आईसीजी कमांडरों को सावधान करते हुए उनसे कहाकि वर्तमान भू राजनीतिक स्थिति को देखते हुए भविष्य में समुद्री खतरे बढ़ेंगे, हमें सतर्क और तैयार रहने की जरूरत है। रक्षामंत्री ने कहाकि तटरक्षक बलों में जनशक्ति का महत्व हमेशा रहेगा, लेकिन दुनिया हमें प्रौद्योगिकी संपन्न भारतीय तटरक्षक बल के रूपमें भी जाने।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आईसीजी कमांडरों से संभावित चुनौतियों से निपटने केलिए सक्रिय, सतर्क और तैयार रहने को कहा। उन्होंने स्वदेशी प्लेटफार्मों और उपकरणों केसाथ सशस्त्रबलों एवं आईसीजी के आधुनिकीकरण व मजबूती केलिए नरेंद्र मोदी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के प्रयासों पर उन्होंने कहाकि भारतीय शिपयार्ड आईसीजी केलिए 4000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 31 जहाजों का निर्माण कररहा है। उन्होंने आईसीजी की क्षमताओं को बढ़ाने केलिए रक्षा अधिग्रहण परिषद की मंजूरियों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें बहुमिशन समुद्री विमान, सॉफ्टवेयर परिभाषित रेडियो, इंटरसेप्टर नौकाएं, डोर्नियर विमान और अगली पीढ़ी के तेज गश्ती जहाजों की खरीद शामिल है। उन्होंने कहाकि तीनों सेनाएं बदलते समय केसाथ खुदको विकसित कर रही हैं। रक्षामंत्री ने आईसीजी से खुदमें सुधार जारी रखने, एक विशिष्ट पहचान बनाने, अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने और नए उत्साह केसाथ आगे बढ़ने का आग्रह किया। रक्षामंत्री ने इस अवसर पर आईसीजी जवानों की बहादुरी और समर्पण से अनुकरणीय राष्ट्रसेवा की सराहना करते हुए उन शहीद आईसीजी जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने पोरबंदर केपास हालही में एक ऑपरेशन में अपनी जान गंवा दी थी।
भारतीय तटरक्षक कमांडर सम्मेलन में रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने, सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार, सचिव (पूर्व सैनिक कल्याण) डॉ नितेन चंद्रा और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। सम्मेलन में आईसीजी कमांडर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ केसाथ नौसेना प्रमुख और इंजीनियर इन चीफ केसाथ बातचीत करेंगे। इन चर्चाओं को समुद्री सुरक्षा के पूर्ण स्पेक्ट्रम में सेवाओं केबीच सहयोग को बढ़ावा देने केलिए डिज़ाइन किया गया है, जबकि आईसीजी के विकास और बुनियादी ढांचे के विकास को भी बढ़ावा दिया गया है। यह सम्मेलन वरिष्ठ आईसीजी अधिकारियों को पिछले वर्ष में किएगए प्रमुख परिचालन, सामग्री, तार्किक, मानव संसाधन विकास, प्रशिक्षण और प्रशासनिक पहलों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने केलिए एक मंच प्रदान करता है। वे राष्ट्र के समुद्री हितों की सुरक्षा केलिए आवश्यक महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर भी विचार-विमर्श करेंगे। आईसीजी कमांडर सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण के अनुरूप 'मेक इन इंडिया' पहल के माध्यम से स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने केलिए डिज़ाइन की गई आईसीजी परियोजनाओं का आकलन करेंगे।