दिनेश शर्मा
मुंबई। भारत को क्रिकेट का विश्वविजेता बनने के लिए अट्ठाईस साल प्रतीक्षा करनी पड़ी। इस प्रतीक्षा में विश्वविख्यात बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को कई बार निराश होना पड़ा। आखिर महेंद्र सिंह धोनी का उदय हुआ और भारत ने लगातार तीन बार के विश्वविजेता आस्ट्रेलिया को इस विश्वकप से बाहर करने के बाद पहले अपने परंपरागत और सनसनीख़ेज़ प्रतिद्वंदी पाकिस्तान पर शानदार विजय हासिल की और उसके बाद फाइनल मुकाबले में श्रीलंका को पराजित कर आईसीसी के विश्वकप के विश्वविजेता का खिताब हासिल किया-बधाई!
इस विश्वकप में भी कई रिकार्ड बने और टूटे। फुटबाल के बाद क्रिकेट भी अर्थव्यवस्था की प्रगति से जुड़ गया है। क्रिकेट ने दुनिया में क्रिकेट कूटनीति के नए द्वार खोल दिए हैं। नयी पीढ़ी के लिए यह गजब का रोमांचकारी और सबसे लोकप्रिय खेल दूसरे देशों के लिए एक कूटनीतिक ब्रिज के रूप में भी स्थापित हुआ। आपने देखा कि किस तरह राष्ट्राध्यक्षों ने यहां आकर अपनी टीमों का हौंसला बढ़ाया और लगते हाथ कुछ आपसी विवादों के समाधान के अवरूद्ध पड़े रास्ते खोले जिन्हें खोलने के लिए अभी तक अवसर या बहाने नहीं मिल रहे थे। जैसे-भारत और पाकिस्तान के बीच बंद वार्ताओं का बड़ा अड़ंगा दूर हुआ और ये दोनों देश फिर से एक-दूसरे से बातचीत शुरू करने जा रहे हैं। कम से कम क्रिकेट का धन्यवाद दिया जाना चाहिए जिसके कारण भारत और पाकिस्तान में घंटो बैठकर बहुत सारी बातें हुईं। वास्तव में खेल बहुत सारी समस्याओं का समाधान भी रखते हैं।
अब क्रिकेट भी फुटबाल की तरह अर्थव्यवस्था से जुड़ चुका है। विश्वविजेता भारत पर चारों ओर से धन की वर्षा हो रही है, जो टीमें पहली बार विश्वकप में शामिल हुई थीं उनके देश भी खुशी के मारे अपने खिलाड़ियों को मालामाल कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि अब न सही आगे चलकर वे भी जरूर विश्वकप के दावेदार और विजेता होंगे। क्रिकेट की हर क्षेत्र में तेजी से बढ़ती महत्ता इसी बात से प्रकट होती है कि टीमों के राष्ट्राध्यक्ष या प्रधानमंत्री भी उनका मनोबल बढ़ाने के लिए मैच में मौजूद रहे एवं और राजनेताओं एवं उद्योगपतियों ने मैच देखे। मैच फिक्सिंग से डरे क्रिकेटरों की कई स्तरों पर जमकर जासूसी भी हुई। सतर्कता इतनी तेज थी कि क्रिकेटरों के परिवारवाले भी सहमे हुए थे, फिर भी जानकार कह रहे हैं कि क्रिकेट के बाहर सट्टाबाजार अरबों रूपए के पार चला गया। भारत में क्रिकेट का जुनून एक बड़ी आशा में बदला है जिससे आने वाले चार साल में भारतीय क्रिकेट में वर्ल्डकप जीतने की गजब का हौंसला होगा।
काफी समय बाद वर्ल्डकप एशिया में लौटा है। यह विश्वकप कई मामलों में भारत के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ है। एक तो यही कि भारत विश्वविजेता बना और दूसरा यह कि क्रिकेट के सुपर स्टार और क्रिकेट के भगवान का दर्जा प्राप्त सचिन तेंदुलकर के लिए यह जीत संजीवनी बनी, जिससे उनकी सार्थकता पर लगा ग्रहण हट गया। सचिन तेंदुलकर के टीम में रहते भारत विश्वविजेता बना। इस जीत में यह भ्रम दूर हुआ कि केवल सुपरस्टार ही मैच जिता सकते हैं। अच्छा होता यदि तेंदुलकर अपनी घरेलू पिच पर विश्वकप विजेता का शॉट लगाते। बहुत उम्मीद थी कि वानखेड़े स्टेडियम में सचिन तेंदुलकर चारों दिशाओं में अपने विख्यात कलात्मक शॉट खेलते हुए दिखाई देगें, लेकिन निराशाजनक रूप से वे जल्दी ही विदा हो गए। खैर यह सबसे अच्छी बात रही है कि उनके रहते टीम इंडिया ने विश्वकप जीता अन्यथा यह कलंक सचिन तेंदुलकर का हमेशा पीछा करता कि क्रिकेट के भगवान होने के बावजूद भारत विश्वकप नहीं जीत पाया जबकि जो खिलाड़ी क्रिकेट के भगवानों के बिना खेलते हैं वे तीन-तीन बार विश्वविजेता बने।
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी को इस बात के लिए बधाई देनी होगी कि न केवल उन्होंने शानदार और विजयी पारियां खेली हैं अपितु अपनी टीम को हर तरह के विवाद से बचाते हुए अनुशासन के साथ क्रिकेट के मैदान पर नियंत्रण रखा और विश्वविजेता होने के विजयीभाव को भी शालीनता का रूप दिया। महेंद्र सिंह धोनी, भारत के शानदार क्रिकेट कप्तान, कूल कप्तान, सबसे सफल कप्तान कहलाए गए हैं जो कि भारत में क्रिकेट की नर्सरी के लिए आदर्श और प्रेरणा के स्रोत हो गए हैं। विश्वविजेता बनने के लिए केवल चौके और छक्के लगाना या जीतना ही आवश्यक नहीं होता बल्कि इसके और भी मापदंड हैं जिन पर खरा उतरना बहुत जरूरी है, यह भद्र पुरूषों का खेल है जिसमें किसी भी खिलाड़ी या कप्तान के लिए धैर्य, शालीनता और अनुशासन बहुत आवश्यक है। महेंद्र सिंह धोनी ने इन सबका शानदार प्रदर्शन किया है।
भारतीय क्रिकेट टीम में हर खिलाड़ी टीम भावना से खेलता नजर आया। विश्वकप के श्रेष्ठ खिलाड़ी युवराज सिंह को भी जिताऊ खिलाड़ी के रूप में याद किया जाएगा। सुरेश रैना, गौतम गंभीर, विराट कोहली, आशीष नेहरा, जहीर खान जैसे खिलाड़ियों को भुलाया नहीं जा सकता। अनुभवी स्पिनर हरभजन सिंह ने अपनी बॉलिंग से भारत को भारी राहत पहुंचाई। आईसीसी ने हर खिलाड़ी को एक करोड़ रूपए इनाम दिया है। देश की राज्य सरकारों और दूसरे व्यवसायिक संगठनों ने भी टीम इंडिया के लिए राजकोष के द्वार खोल दिए हैं। क्रिकेट की लोकप्रियता और उसके बढ़ते महत्व के कारण भारत के अन्य परंपरागत खेलों की प्रगति पीछे छूट रही है। देखा जा रहा है कि अब हर कोई अपने पुत्र को या पुत्री को क्रिकेटर और क्रिकेटर में भी बल्लेबाज बनाना चाहता है। क्रिकेटर कपिल देव ने कहा है कि भारत को गेंदबाजों की भी बहुत जरूरत है। इसी प्रकार देश के अन्य खेलों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
भारत ने पहली बार 1983 में कपिल देव की कप्तानी में विश्वकप जीता था। इसे हासिल करने के लिए भारत को 7 विश्वकपों का इंतजार करना पड़ा। इस विश्वकप के फाइनल में 275 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय बैटिंग की शुरूआत में एक भारी निराशा का दौर आया जब सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग जल्दी ही आउट हो गए। बल्लेबाज गौतम गंभीर और विराट कोहली ने संभलकर खेलना शुरू किया और भारत का पलड़ा भारी होता गया। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी आए। गौतम गंभीर मैच को रोमांच में बदल कर विजय के सूत्रधार बने तो कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने शानदार बैटिंग कर भारत को सिक्स लगाकर विश्वकप जिताया। इस मैच की सफलता का श्रेय भारतीय क्षेत्ररक्षण को भी जाता है जिसमें श्रीलंका के रनों को आगे बढ़ने से रोक दिया गया और श्रीलंका टीम बेहतर प्रदर्शन के बावजूद 274 रन पर सिमट गई। यदि भारतीय क्षेत्ररक्षण सुदृढ़ न होता तो श्रीलंका का स्कोर 300 के पार जा सकता था जो कि किसी भी टीम के लिए कठिन चुनौती बन सकता था। सचिन तेंदुलकर का यूंही आउट होना दर्शकों को बहुत खराब लगा। युवराज सिंह वर्ल्डकप के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुने गए जबकि महेंद्र सिंह धोनी मैन ऑफ द मैच। सचिन तेंदुलकर इस विश्वकप में केवल एक खिलाड़ी के रूप में ही दर्ज किए गए। सचिन तेंदुलकर का भारत का विश्वविजेता बनने का सपना तो पूरा हुआ लेकिन वे अपने शतकों का महाशतक पूरा करने से वंचित रहे। इसके लिए उन्हें अगले अंर्तराष्ट्रीय मैचों की प्रतीक्षा करनी होगी।
भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल, उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा अध्यक्ष मीराकुमार, वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, झारखंड के राज्यपाल एमओएच फारूख़, बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, गायिका लता मंगेशकर एवं आशा भोसले, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, रेल मंत्री ममता बनर्जी, भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और विश्वकप विजेता कपिल देव, श्रीलंका के राष्ट्रपति महेंद्रा राजपक्षे, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री युसुफ रजा गिलानी, सहारा इंडिया परिवार के अध्यक्ष सुब्रतराय सहारा, समाजवादी पार्टी के प्रदेश अखिलेश यादव, उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, भाजपा नेता अरूण जेटली, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष शरद पवार, उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला, उद्योगपति मुकेश अंबानी, भारतीय टीम के कोच गैरी कर्स्टन आदि ने भारतीय क्रिकेट टीम को विश्वविजेता बनने के लिए बधाईयां दी हैं। खैर अब आप भारतीय क्रिकेट टीम को आराम करने दीजिए और अगले विश्वकप में फिर से विश्वविजेता बनने का ख्वाब देखिए!