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हरियाणा में 'बटोगे तो कटोगे' में कांग्रेस उड़ी

हरियाणा में नायब सिंह सैनी देश में पिछड़ों के एक और अवतार

महाराष्ट्र झारखंड बिहार और दिल्ली पर भी हरियाणा का असर

Tuesday 8 October 2024 06:14:05 PM

दिनेश शर्मा

दिनेश शर्मा

nayab singh saini

चंडीगढ़/ नई दिल्ली। हरियाणा में ‘बटोगे तो कटोगे’ दलितों और छत्तीस पिछड़ी जातियों ने मिलकर कांग्रेस को ज़मीदोज़ कर दिया। देश के अधिकतर नामधारी समाचार चैनल कांग्रेस की ‘जलेबी’ खाकर जिस प्रकार आज सुबह सात बजे से अपनी दुकानें सजाकर बैठ गए थे...कांग्रेस को हरियाणा में 71-65-60-50 सीटों का प्रचंड बहुमत दिखा रहे थे, भाजपा का सूपड़ा साफ और भाजपा में सन्नाटे की सनसनी चलाए हुए थे, पांच घंटे बाद ही हरियाणा में ‘बटोगे तो कटोगे’ दलितों और छत्तीस पिछड़ी जातियों का चमत्कार सामने आ गया और चुनावी सर्वेक्षणों, टीवी चैनलों, पत्रकारों और कांग्रेस के तोते उड़ गए। हरियाणा में कांग्रेस के सत्ता में आने और नरेंद्र मोदी का जादू खत्म हो जाने के चौतरफा दावे कर रहे थे, वे हरियाणा में भाजपा की प्रचंड विजय देखकर यह कहते दिखाई दे रहे हैंकि महाराष्ट्र झारखंड बिहार और दिल्ली पर भी हरियाणा में भाजपा की जीत पूरा असर दिखाएगी। दोपहर होते-होते हर तरफ कोहराम मच गयाकि हरियाणा में यह क्या हो गया? क्योंकि सभी कहते आ रहे थेकि आंधी तो कांग्रेस की चल रही है, मगर हरियाणा में भाजपा की आंधी आई और कांग्रेस को ले उड़ी, सब देखते रह गए। हरियाणा में भाजपा की जीत में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी बड़ी भूमिका मानी जाती है, जिन्होंने यहां चुनाव प्रचार में ‘बंटोगे तो कटोगे’ का स्लोगन उछाला जो सुपर हिट हुआ है।
हरियाणा में भाजपा की लगातार तीसरी बार विजय ने यह सिद्ध कर दिया हैकि जनता का भाजपा के शासन पर पूरा भरोसा है और इसबार तो हरियाणा ने भाजपा को पूर्ण बहुमत ही दे दिया है। मतगणना के प्रारंभिक दौर में आज सवेरे जब कांग्रेस की प्रचंड आंधी दिखाई जा रही थी, तबतक किसी भी राजनीतिक दल ने ईवीएम पर किसी भी गड़बड़ी का कोई आरोप नहीं लगाया था, मगर जैसे ही पासा उल्टा तो कांग्रेस की नज़र में ईवीएम और चुनाव आयोग दोनों बेईमान हो गए। कांग्रेस के एक के बाद एक दिग्गज विकट गिरते जा रहे थे और किसी को नहीं सूझ रहा थाकि माजरा क्या है, क्योंकि बारी भाजपा की थी जो हरियाणा में अपनी ताकत का करिश्मा दिखाती जा रही थी। देश के नामधारी समाचार चैनलों सर्वेक्षणों और विश्लेषणकर्ता पत्रकारों के सामने बहुत असहज स्थिति आ गई थी, क्योंकि कांग्रेस की बड़ी विजय के विश्लेषणों की धज्जियां उड़ रही हैं, उन्हें कुछ नहीं सूझ रहा हैकि वे अपने झूंठ और बकवास को किस तरह सही सिद्ध करें। शाम होते-होते जलेबियों के ऑडर मिट्टी में मिल गए और हरियाणा में कांग्रेस के बजाए भाजपा के लगातार तीसरी बार सत्तारोहण की तैयारियां अपने चरम की तरफ जा बढ़ीं। भाजपा की इस विजय का श्रेय तीन महीने के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को दिया जा रहा है, जो देश में भाजपा में पिछड़ों का एक और अवतार बनकर सामने आए हैं, जिनके नेतृत्व में हरियाणा की छत्तीस बिरादरियां भाजपा का कवच बन गईं और कांग्रेस के दिग्गजों को ज़मीदोज़ कर दिया है। भाजपा नेतृत्व का नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला भी कामयाब रहा।
हरियाणा में भाजपा की प्रचंड जीत की चर्चा पूरे देश में हो रही है, जिसके शोर में लोग जम्मू-कश्मीर के चुनाव के हालचाल ही भूल गए हैं। महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार और दिल्ली में होनेवाले विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश में होने जा रहे उपचुनावों पर भी हरियाणा में भाजपा की जीत का पूरा साया होगा। हरियाणा में विजय से भाजपा का मनोबल शीर्ष पर पहुंच गया है, जबकि इंडी अलायंस के सदस्य कांग्रेस और सपा आदि का मनोबल धड़ाम हुआ है। केंद्रशासित जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉंफ्रेंस और कांग्रेस की विजय का कोई महत्व नहीं रहा है और न ही यह चुनाव हरियाणा जैसी चर्चा में आया। वैसे भी जम्मू-कश्मीर अब एक केंद्रशासित राज्य ही रह गया है, जहां पर पुलिस तो केंद्र सरकार के हाथ में होगी और वहां दिल्ली की तरह जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री को शासन प्रशासन के सीमित अधिकार ही होंगे। जाहिर सी बात हैकि उमर अब्दुल्ला हों या फारुख अब्दुल्ला, उनकी सरकार की हैसियत सफेद हाथी से ज्यादा नहीं रह गई है, क्योंकि वहां के उपराज्यपाल जो करेंगे, शासन प्रशासन में वही फाइनल होगा। हरियाणा में कांग्रेस की पराजय से इंडी अलायंस में बौखलाहट है और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने तो यहां तक कहा हैकि हमसे जीत छीन ली गई है। कांग्रेस के प्रवक्ता बौखलाहट में ऊलजुलूल बोल रहे हैं।
भाजपा संविधान बदल रही है, आरक्षण खत्म कर रही है, दलितों पिछड़ों के हितों को चोट पहुंचा रही है, सांप्रदायिकरण कर रही है या देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश कर रही है, कांग्रेस के इन तूफानों से हरियाणा विचलित नहीं हुआ, कांग्रेस के ये सारे कार्ड फेल हो गए हैं, बल्कि हरियाणा की सभी पिछड़ी जातियों ने कांग्रेस के जाटलैंड को भी धूल चटाने का काम किया है। माना जा रहा हैकि हरियाणा में कांग्रेस के एकछत्र ‘तानाशाह’ राजनेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा को अपने कैंपेन गोल में या टिकट वितरण में दखल नहीं करने दिया, जबकि शैलजा हरियाणा में कोई आज की नहीं, बल्कि बहुत पुरानी जनाधार वाली दलित महिला राजनेता हैं, उनकी उपेक्षा कांग्रेस को बहुत भारी पड़ी है। दरअसल भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस नेतृत्व को यह विश्वास दिलाने में सफल रहे थेकि वह अकेलेही हरियाणा में कांग्रेस को बड़ा बहुमत दिलाने में सफल होंगे। कांग्रेस नेतृत्व ने उनपर यकीन कर लिया क्योंकि कांग्रेस की त्रिमूर्ति का हरियाणा में केवल कांग्रेस सरकार बनाने और उसे उस सरकार से प्रतिमाह बड़ा पैकेज लेने से मतलब रहा है, इसीलिए सदैव की तरह कांग्रेस नेतृत्व हरियाणा के नतीजों से बेपरवाह होकर, हुड्डा के भरोसे कांग्रेस सरकार बनने से संतुष्ट होकर विदेश में भ्रमण पर है। इस चुनाव में उन नेताओं को भी तगड़ा झटका लगा है, जो मौका देखकर इधर-उधर भागते थे, चाहे वह चौटाला परिवार हो या भाजपा के भी कुछ नेता हों, जिन्होंने बीजेपी छोड़कर या दूसरे दल में जाकर अपनी जीत सुनिश्चित करने का चांस लिया। उन्होंने भी आया राम गया राम की राजनीति करने का मजा चख लिया है।
हरियाणा की आया राम गया राम की राजनीति बंसीलाल देवीलाल और भजनलाल के दौर से चली आ रही है। एकबार बंसीलाल पूरी सरकार के साथ पलट चुके हैं। हरियाणा यूं तो एक छोटा राज्य है, लेकिन इसका राजनीतिक महत्व बड़े राज्यों जैसा है, जिससे इसकी चर्चा देश और विदेश तक होती रही है। हरियाणा का चुनाव कांग्रेस और भाजपा की नाक का विषय था, जिसमें यह कहा जा रहा थाकि हरियाणा में भाजपा सरकार के खिलाफ माहौल बना है, क्योंकि हरियाणा सरकार से किसान, नौजवान और पहलवान नाराज हैं, जिनकी नाराजगी भाजपा को अवश्य ही महंगी पड़ेगी, जिसमें भाजपा की सरकार को जाना ही होगा। भाजपा ने यहां नेतृत्व परिवर्तन करके नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया था और तीन महीने के मुख्यमंत्री कहकर दूसरे दलों में उनकी मजाक भी उड़ाई जा रही थी, लेकिन उन्होंने हरियाणा की छत्तीस बिरादरियों को एककर उन्हें भाजपा के पक्ष में खड़ा कर दिया और जिस प्रकार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरियाणा में अपनी चुनाव सभाओं में ‘बटोगे तो कटोगे, एक रहोगे तो नेक रहोगे’ का नारा देकर उन्हें बटने से रोक दिया, उससे भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में तीसरी बार भी प्रचंड जीत हासिल करली और सारे टीवी चैनलों के विश्लेषण धरे के धरे रह गए।
राहुल गांधी ने हाल ही में विदेश में बैठकर एक प्रकार से भाजपा के खिलाफ बहुत बड़ा कैंपेन लॉंच किया था और कहा थाकि भारत में बदलाव हो रहा है और देश का मोदी से मोह भंग हो रहा है, बाहर के लोगों को भी उनकी बातों से यह भरोसा हो गया था, लेकिन हरियाणा ने कांग्रेस के मंसूबे ध्वस्त कर दिए। जहां तक जम्मू कश्मीर के चुनाव की बात है तो लोगों की उसपर उतनी दृष्टि नहीं थी, क्योंकि सब जानते हैं कि कश्मीर घाटी में बीजेपी का कुछ भी नहीं है, जो कुछ है, वह जम्मू में है और वहां से बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन कर ही दिया है। हरियाणा में कांग्रेस की पराजय ने देश-विदेश तक यह संदेश दे दिया हैकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी भाजपा का मुकाबला करने में विफल होते आ रहे हैं, भले ही लोकसभा में कांग्रेस का आंकड़ा बढ़कर 99 तक पहुंच गया है। ऐसी ही स्थिति इंडी अलायंस की सहयोगी पार्टी समाजवादी पार्टी की है, जो उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक सीटें जीतने में सफल तो रही है, किंतु उसकी असली परीक्षा उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपचुनाव में होगी, जिसकी वह बड़ी तैयारी कर रही है। कांग्रेस-सपा का मतदाताओं को भ्रमित करने का चांस सफल रहा और उत्तर प्रदेश में लोग राहुल गांधी और अखिलेश यादव के भ्रमजाल का शिकार हो गएकि सपा और कांग्रेस को वोट देनेपर मतदाताओं को खटाखट साढ़े आठ हजार रुपये महीना मिलेंगे। अधिकांश मतदाता इस खटाखट की चपेट में आ गए। हरियाणा में तो खटाखट नहीं चल पाया, अब देखना होगाकि यह खटाखट महाराष्ट्र झारखंड बिहार और दिल्ली में भी चल पाएगा कि नहीं और अगर ऐसा नहीं हुआ तो कांग्रेस का फिर बुरा हाल देखने को तैयार रहिए। हरियाणा के राजनीतिक घटनाक्रम से एक बात और स्पष्ट हुई हैकि बिकाऊ नामधारी टीवी चैनलों, विश्लेषकों और सर्वेक्षणों से जनसामान्य का भरोसा उठ चुका है। इनकी विश्वसनीयता तार-तार हो चुकी है।

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