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डब्ल्यूसीडी का रेलवे की पहलों को वित्तपोषण

महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा में रेल और डब्ल्यूसीडी साथ आए

रेल व महिला बाल विकास मंत्रालय की संशोधित एसओपी लॉंच

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 28 October 2024 11:41:44 AM

revised sop launched by ministry of railways and women and child development

नई दिल्ली। महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा की सर्वोच्च प्राथमिकता सुनिश्चित करने केलिए भारतीय रेल और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने संशोधित एसओपी लॉंच किया है। महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) मंत्रालय महिलाओं और बच्चों की रेल यात्रा को सुरक्षित और तस्करी मुक्त बनाने के उद्देश्य से भारतीय रेल की सभी पहलों को वित्तपोषित करने जा रहा है। महिलाओं और बच्चों केलिए रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने में भारतीय रेल के महत्वपूर्ण योगदान की सराहना करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने रेलवे को आश्वासन दिया हैकि महिलाओं और बच्चों की रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने के उसके प्रयासों में डब्ल्यूसीडी की फंडिंग बाधा नहीं बनेगी। देशभर में रेल परिसरों में पाए जाने वाले कमजोर बच्चों की सुरक्षा केलिए ऐतिहासिक पहल में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से 25 अक्टूबर 2024 को रेल भवन नई दिल्ली में अद्यतन मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) शुरू कर दी है। यह व्यापक एसओपी भारतीय रेल के संपर्क में आने वाले बच्चों की सुरक्षा केलिए मजबूत ढांचे की रूपरेखा तैयार करती है।
मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करते समय एमओडब्ल्यूसीडी के सचिव अनिल मलिक ने उन्नत रेलवे स्टेशनों पर सीसीटीवी और चेहरा पहचान तकनीक स्थापित करने जैसे उपायों से किशोरों की सुरक्षा बढ़ाने की पहल केलिए भारतीय रेल की सराहना की। प्रतिदिन 2.3 करोड़ से अधिक लोग रेल से यात्रा करते हैं, जिनमें 30 प्रतिशत महिलाएं बच्चे भी शामिल हैं, जिनमें से कई अकेले यात्रा करती हैं और ऐसे में कमजोर समूहों, विशेष रूपसे किशोरों की सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता होती है, जो मानव तस्करों द्वारा शोषण और शिकार होने का ख़तरा उठाते हैं। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने मानव तस्करी विरोधी इकाइयों (एएचटीयू) को मजबूत करने के महत्व पर एमओडब्ल्यूसीडी अधिकारियों को जानकारी दी और असम, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में मानव तस्करी रोकने और यात्री सुरक्षा बढ़ाने केलिए रेलवे स्टेशनों पर इन इकाइयों को स्थापित करने का आग्रह किया।
उल्लेख किया गयाकि आरपीएफ यह सुनिश्चित करने केलिए बहुत सक्रिय भूमिका निभा रही हैकि उसके परिसर का मानव तस्करों द्वारा बच्चों को लाने लेजाने को बढ़ावा देने केलिए उपयोग नहीं किया जाए। आरपीएफ ने पिछले पांच वर्ष में 57,564 बच्चों को तस्करी से बचाया है, इनमें 18,172 लड़कियां थीं। आरपीएफ ने यह सुनिश्चित कियाकि इनमें से 80 प्रतिशत बच्चे अपने परिवारों से मिल जाएं। 'ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते' के तहत आरपीएफ ने रेल नेटवर्क में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने केलिए केंद्रित पहलों की श्रृंखला शुरू की है। बाल तस्करी की निरंतर चुनौती को पहचानते हुए आरपीएफ के ऑपरेशन एएएचटी ने 2022 से 2300 से अधिक बच्चों को बचाने और 674 तस्करों को पकड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह उपलब्धि तस्करी और शोषण से निपटने केलिए आरपीएफ के अथक समर्पण को रेखांकित करती है। देशभर में कमजोर बच्चों की सुरक्षा केलिए लगभग 262 स्टेशनों पर मानव तस्करी विरोधी इकाई एएचटीयू स्थापित की जानी थी, लेकिन कुछ राज्यों के सहयोग के अभाव के कारण वहां एएचटीयू स्थापित नहीं की जा सकी। आरपीएफ महानिदेशक मनोज यादव ने कहाकि हम रेल परिसर में बाल संरक्षण की तत्काल आवश्यकता पर बल देते हुए किशोर न्याय (जेजे) अधिनियम केसाथ निकटता से जुड़ रहे हैं।
एमओडब्ल्यूसीडी सचिव इस दिशामें त्वरित कदम के रूपमें इन राज्यों को पत्र लिखने पर सहमत हुए। एमओडब्ल्यूसीडी संबंधित राज्यों के रेल स्टेशनों पर मानव तस्करी विरोधी इकाई को स्थापित करने केलिए इन राज्य सरकारों और जिला मजिस्ट्रेटों को पत्र लिखेगा, ताकि रेलवे सुरक्षा बल के प्रयासों को और अधिक सफल बनाया जा सके। ट्रेनों में यात्रा करने वाली अकेली महिलाओं की सुरक्षा केलिए रेल मंत्रालय ‘ऑपरेशन मेरी सहेली’ चला रहा है। मानव तस्करी विरोधी गतिविधियों में आरपीएफ के योगदान की सराहना करते हुए एमओडब्ल्यूसीडी सचिव ने कहाकि एमओडब्ल्यूसीडी महिलाओं की सुरक्षा के उद्देश्य से परियोजनाओं केलिए भी धन खर्च करने केलिए तैयार है। उन्होंने बतायाकि सरकार ने देशमें महिला सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से पहल के कार्यांवयन केलिए 'निर्भया फंड' समर्पित कोष की स्थापना की थी और महिलाओं केसाथ होनेवाले अपराध रोकने केलिए देशभर के स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरे और फेस रिकग्निशन सिस्टम लगाने केलिए निर्भया फंड से पैसा दिया जा सकता है। भारतीय रेल और महिलाए एवं बाल विकास मंत्रालय ने प्रमुख रेल स्टेशनों पर बाल सहायता डेस्क (सीएचडी) के विस्तार की घोषणा की है, जिससे जरूरतमंद बच्चों केलिए उपलब्ध सहायता नेटवर्क को मजबूत किया जा सकेगा।
रेल परिसर में बच्चों और महिलाओं दोनों की भलाई सुनिश्चित करने केलिए नई पहल और सहयोगात्मक रणनीतियों पर भी चर्चा की गई। आरपीएफ के नारे ‘हमारा मिशन: ट्रेनों में बाल तस्करी को रोकें’ केसाथ भारतीय रेलवे ने सभी केलिए रेल को सुरक्षित यात्रा अनुभव बनाने की अपनी प्रतिज्ञा की पुष्टि की है। मानव तस्करों से निपटने के दौरान एक दशक में मिली सीख से संशोधित एसओपी में योगदान मिला है। अपने व्यापक रेल नेटवर्क में सुरक्षात्मक, दयालु वातावरण बनाने की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए आरपीएफ डीजी ने कहाकि भारत के बच्चों के कल्याण को ध्यान में रखना नई एसओपी के मूल में है। उन्होंने कहाकि यह एसओपी उन जोखिम वाले बच्चों केलिए सुरक्षा जाल प्रदान करके बाल शोषण और तस्करी को रोकने की रेलवे की प्रतिबद्धता को मजबूत करती है, जो अपने परिवारों से अलग हो गए हैं। मूल रूपसे किशोर न्याय (जेजे) अधिनियम केतहत 2015 में शुरू की गई और 2021 में अद्यतन की गई इस एसओपी को अब महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के 2022 मिशन वात्सल्य केबाद और परिष्कृत किया गया है। इसमें बच्चों की पहचान, सहायता और उचित दस्तावेजीकरण करने केलिए रेल कर्मियों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों का विवरण दिया गया है, जब तककि वे बाल कल्याण समिति से जुड़े हैं। एसओपी लॉंच कार्यक्रम में रेल बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ सतीश कुमार, रेलबोर्ड के सदस्य संचालन एवं व्यवसाय विकास रविंदर गोयल और दोनों मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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