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Wednesday 6 November 2024 02:33:28 PM
वाशिंगटन डीसी/ नई दिल्ली। भारत के मित्र और रिपब्लिकन पार्टी के नेता डोनाल्ड ट्रम्प एकबार फिर अमेरिका के सैंतालीसवें राष्ट्रपति का चुनाव जीत गए हैं, जिन्होंने भारतीय मूल की होकर भी भारत विरोधी ज़हर उगलने वाली डेमोक्रेट कमला हैरिस को कड़ी शिकस्त दी है। कमला हैरिस ने डोनाल्ड ट्रम्प के सामने साजिशों के अनेक जाल बिछाए, मगर काम नहीं आए। डोनाल्ड ट्रम्प पर चुनाव के दौरान तीन बार जानलेवा हमला हुआ, अमरीकियों ने डोनाल्ड ट्रम्प की शानदार विजय के रूपमें आज उसका जवाब दे दिया। डोनाल्ड ट्रम्प भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक अच्छे दोस्त और भारत के मित्र माने जाते हैं। पिछले चुनाव में नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में भारतीय समुदाय के सामने डोनाल्ड ट्रम्प का हाथ उठाकर कहा थाकि अबकी बार डोनाल्ड ट्रम्प सरकार, लेकिन एक गहरी साजिश के चलते डोनाल्ड ट्रम्प अपने प्रतिद्वंदी जो बाइडन से राष्ट्रपति का चुनाव हार गए थे। इस चुनाव में भी कमला हैरिस उपराष्ट्रपति चुनी गईं थीं, जो इसबार राष्ट्रपति का चुनाव लड़ीं और हार गईं। अमरीका में इस समय डोनाल्ड ट्रम्प की विजय का जश्न शुरू हो चुका है, राष्ट्राध्यक्षों की उन्हें बधाइयां मिल रही हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अमेरिका का राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी विजय सुनिश्चित होने के तुरंत बाद अमेरिकावासियों को संबोधित करते हुए उन्हें जिताने केलिए तहेदिल से धन्यवाद दिया और कहाकि यह उनकी ऐतिहासिक जीत है, उन्होंने ऐसी जीत कभी नहीं देखी, वह अमेरिका के उज्जवल भविष्य और उसकी सीमाओं की रक्षा एवं अमरीकियों की सुरक्षा केलिए दिनरात काम करेंगे। उन्होंने कहाकि वह अवैध घुसपैठ को बंद करने का काम करेंगे। उन्होंने कहाकि मेरी हर सांस अमेरिका केलिए है। दुनिया के करोड़ों लोगों ने डोनाल्ड ट्रम्प का यह संबोधन सुना। उन्होंने कहाकि सीनेट पर उनका फिर नियंत्रण हो गया है। उन्होंने कहाकि एशियन अमेरिकन, अफ्रीकन अमरीकन, अरब अमरीकन, यूरोप अमेरिकन सभी केसाथ मिलकर काम करेंगे। उन्होंने मेक अमेरिका ग्रेट अगेन का नारा दोहराया। इस मौके पर मौजूद लाखों लोग ट्रम्प की विजय में जोश से भरे थे। ट्रम्प ने अपने संबोधन में अमेरिका को आश्वस्त करते हुए कहाकि यह अमेरिका का सुनहरा दौर है और अमेरिका पहले से और ज्यादा मजबूत होगा। उन्होंने नाम लेकर अपने समर्थकों का अनेक बार आभार जताया। उन्होंने यह भी संकेत दे दिया कि चाइना के प्रोडेक्ट केलिए उनकी जो धारणा है, वह बदलेगी नहीं। इसका मतलब यह हुआकि डोनाल्ड ट्रम्प का चाइना की ओर झुकाव नहीं होगा।
डोनाल्ड ट्रम्प और कमला हैरिस के मुकाबले में कमला हैरिस का चीन की तरफ झुकाव देखा गया, जिसे अमरीकियों ने उन्हें हराकर खारिज कर दिया। कमला हैरिस केलिए भारत में भी आंतरिक विघटनकारी शक्तियां सक्रिय थीं, मगर उनको भी निराशा हाथ लगी। उनका यह कार्ड किसी काम नहीं आयाकि कमला हैरिस भारत मूल की है और महिला है। भारत की अधिकतर जनता को कमला हैरिस का भारत विरोधी रुख देखने को मिला। इससे बड़ी और क्या बात होगीकि वह भारत मूल की अमेरिका की उपराष्ट्रपति होते हुए एकबार भी भारत नहीं आई। अमेरिका में भारतीय मूल की महिलाओं के कुछ समूह कमला हैरिस के समर्थन में सक्रिय थे, लेकिन महिलाओं के ही अनेक ग्रुप यह कहकर कमला हैरिस का विरोध भी कर रहे थेकि वह भारत विरोधी है, जबकि ट्रम्प भारत के मित्र हैं। इस चुनाव के सर्वे अमेरिका में भी विफल हुए, जिनमें कहा जा रहा थाकि इसबार कमला हैरिस अमेरिका की राष्ट्रपति होने जा रही हैं, लेकिन वे ट्रम्प के सामने बुरी तरह पराजित हुईं। डोनाल्ड ट्रम्प की नरेंद्र मोदी से दोस्ती के कारण पाकिस्तान जैसे देश भी कमला हैरिस के पक्ष में थे, लेकिन चुनाव में कमला हैरिस का पूरा खेल ही उलट गया। एक्स के प्रेसिडेंट ऐलन मस्क खुलेतौर पर डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थन में थे और वे बार-बार कह रहे थेकि ट्रम्प हारे तो अमेरिका में फिर कभी चुनाव नहीं होंगे, लेकिन उनकी सक्रियता ट्रम्प की विजय में काम आई।
जो बाइडन प्रशासन एक तरह से भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहा है, जिसमें कमला हैरिस की सक्रिय भूमिकाएं किसी से छिपी नहीं हैं। यह जो बाइडन प्रशासन का भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप और भारत के भीतर सक्रिय विघटनकारियों को पूरी शह का ही परिणाम हैकि कमला हैरिस को शर्मनाक पराजय का सामना करना पड़ा है, उन्हें अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों का समर्थन नहीं मिल पाया। कमला हैरिस ने भारतमूल की होकर भी कश्मीर में धारा 370 के मुद्दे पर विघटनकारियों के साथ रही हैं, यहांतक कि जो बाइडन प्रशासन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के भ्रष्टाचार पर कार्रवाई के मुद्दे को उठाता रहा है और विदेशों में भारत की छवि खराब करते घूम रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भारत और नरेंद्र मोदी विरोधी ऐजेंडे केलिए अमरीकी धरती का इस्तेमाल होने दिया। भारत की अनेक चुनाव सर्वे एजेंसियां अपने यहां के चुनाव की तरह जो फेक सर्वे करती हैं, उन्होंने अमरीकी राष्ट्रपति के चुनाव में भी कमला हैरिस को जिताने और डोनाल्ड ट्रम्प को हराने में अपने सर्वे मुंह की खाई। बहरहाल भारत की वर्तमान राजनीतिक स्थिति को देखते हुए ट्रम्प प्रशासन की क्या स्थिति रहेगी, यह देखना बहुत महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि भारत में आज नरेंद्र मोदी की पहले जैसी पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं है, बल्कि इसबार मोदी सरकार गठबंधन सहयोगियों की बैसाखी पर चल रही है।