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Saturday 16 November 2024 01:37:54 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति बनाए रखने और ऊर्जावान बोडो समाज के निर्माण केलिए भाषा, साहित्य और संस्कृति के दो दिवसीय बड़े आयोजन प्रथम बोडोलैंड महोत्सव का उद्घाटन किया। नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली पर देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने श्रीगुरुनानक देवजी के 555वें प्रकाश पर्व पर दुनियाभर के सिख भाई-बहनों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहाकि भारत के नागरिक भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रूपमें मना रहे हैं। उन्होंने प्रथम बोडोलैंड महोत्सव का उद्घाटन करने पर प्रसन्नता प्रकट की तथा समृद्धि, संस्कृति और शांति के नए भविष्य का कीर्तिगान करने केलिए देश के कोने-कोने से आए बोडो समुदाय को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने इस अवसर को अपने लिए भावुक करदेने वाला पल बताया और कहाकि यह बहुत ही उपयुक्त क्षण है, क्योंकि इसने पूर्वोत्तर में 50 वर्ष की हिंसा को समाप्त कर दिया है और बोडो समुदाय अपनी एकता का पहला उत्सव मना रहा है। उन्होंने कहाकि रणचंडी नृत्य अपने आप में बोडोलैंड के सामर्थ्य को प्रदर्शित करता है, वर्षों के संघर्ष और मध्यस्थता के प्रयासों केबाद नया इतिहास रचने केलिए बोडो समुदाय की सराहना की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2020 के बोडो शांति समझौते केबाद कोकराझार की यात्रा को याद करते हुए कहाकि उस दौरान उन्हें जो अपनापन और स्नेह मिला, उसने उनको बोडो समुदाय में से ही एक होने का एहसास कराया। नरेंद्र मोदी ने बोडो समुदाय से कही अपनी इस बात को याद कियाकि-बोडोलैंड में शांति और समृद्धि की एक नई सुबह हो चुकी है, ये शब्द बोडो समुदाय के लोगों को हथियार त्यागकर शांति की राह चुनते हुए देखने केबाद कहे थे। उन्होंने कहाकि यह वास्तव में उनके लिए बेहद भावुक क्षण था। प्रधानमंत्री ने कहाकि बोडो समुदाय के उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव तैयार हो चुकी है, पिछले 4 वर्ष में बोडोलैंड में हुई प्रगति बहुतही महत्वपूर्ण है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि शांति समझौते केबाद बोडोलैंड ने विकास की नई लहर देखी है। उन्होंने कहाकि बोडो शांति समझौते के फायदे और बोडो समुदाय के जीवन पर इसके प्रभाव को देखकर आज उनके मन को तसल्ली मिली है। उन्होंने कहाकि बोडो शांति समझौते ने कई अन्य समझौतों केलिए नए रास्ते खोले हैं, इसके परिणामस्वरूप अकेले असम मेंही 10 हजार से अधिक युवाओं ने हथियार त्याग दिए हैं, हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास की मुख्यधारा में लौट आए हैं। उन्होंने कहाकि यह किसीकी कल्पना से भी परे थाकि कार्बी आंगलोंग समझौता, ब्रू-रियांग समझौता और एनएलएफटी-त्रिपुरा समझौता किसी दिन वास्तविकता बन जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि लोगों और सरकार केबीच आपसी विश्वास का दोनों ने सम्मान किया है तथा अब केंद्र सरकार और असम सरकार बोडोलैंड और उसके लोगों के विकास में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। उन्होंने कहाकि बोडोलैंड के विकास केलिए केंद्र सरकार ने 1500 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज दिया है, जबकि असम सरकार ने एक विशेष विकास पैकेज दिया है। उन्होंने कहाकि बोडोलैंड में शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कृति से संबंधित बुनियादी ढांचे के विकास केलिए 700 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि खर्च की गई है। प्रधानमंत्री ने कहाकि सरकार ने हिंसा छोड़ मुख्यधारा में लौटे लोगों केप्रति पूरी संवेदनशीलता से निर्णय लिए हैं। उन्होंने कहाकि नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के 4 हजार से ज्यादा पूर्व कैडर्स का पुनर्वास किया गया है, जबकि कितने ही युवाओं को असम पुलिस में नौकरी दी गई है। उन्होंने कहाकि बोडो संघर्ष से प्रभावित प्रत्येक परिवार को असम सरकार ने 5 लाख रुपये की सहायता दी है और बोडो समुदाय के विकास केलिए असम सरकार हर साल 800 करोड़ रुपए से ज्यादा धनराशि खर्च कर रही है। उन्होंने किसीभी क्षेत्रके विकास हेतु युवाओं और महिलाओं केलिए कौशल विकास और अवसरों की उपलब्धता के महत्व पर जोर देते हुए सीड मिशन शुरू किए जाने को रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीड के बारेमें जानकारी देते हुए कहाकि इसका आशय कौशल, उद्यमिता, रोज़गार और विकास के माध्यम से युवाओं का कल्याण है और विश्वास व्यक्त कियाकि बोडो युवाओं को इससे बहुत लाभ मिल रहा है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि उन्हें इस बात की खुशी हैकि जिन युवाओं ने अतीत में बंदूक थाम रखी थी, वे अब खेलों के क्षेत्रमें आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहाकि कोकराझार में दो बार डूरंड कप का आयोजन होना और उनमें बांग्लादेश, नेपाल और भूटान की टीमों का भाग लेना अपने आपमें ऐतिहासिक है। प्रधानमंत्री ने कहाकि शांति समझौते केबाद तीन साल से कोकराझार में लगातार बोडोलैंड साहित्य महोत्सव का भी आयोजन हो रहा है, जो बोडो साहित्य की बहुत बड़ी सेवा है। उन्होंने कहाकि यह बोडो साहित्य और बोडो भाषा के उत्सव का दिन है, जिसके तहत एक सांस्कृतिक रैली भी निकाली जाएगी। महोत्सव में प्रदर्शनी का अवलोकन करने संबंधी अपने अनुभवों को साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि उन्होंने आरोनाये, दोखोना, गामसा, करै-दक्खिनी, थोरखा, जौ गिशी, खाम और अन्य उत्पादों जैसी समृद्ध बोडो कला और शिल्प को देखा, जिन्हें भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग प्राप्त है। उन्होंने कहाकि जीआई टैग के महत्व ने उत्पादों की पहचान बनाए रखने में मदद की है यानी ये उत्पाद दुनिया में कहीं भी जाएं, इनकी पहचान बोडोलैंड से, बोडो संस्कृति से ही जुड़ी रहेगी।
सेरीकल्चर के हमेशा से बोडो संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा रहने पर जोर देते हुए नरेंद्र मोदी ने कहाकि सरकार ने बोडोलैंड सेरीकल्चर मिशन लागू किया है, हर बोडो परिवार में बुनाई की परंपरा है, बोडोलैंड हैंडलूम मिशन के माध्यम से बोडो समुदाय की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने केलिए आवश्यक प्रयास किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि असम भारत के पर्यटन क्षेत्रकी बहुत बड़ी ताकत है, जबकि बोडोलैंड असम के पर्यटन की ताकत है। नरेंद्र मोदी ने प्रसन्नता व्यक्त कीकि मानस नेशनल पार्क, रायमोना नेशनल पार्क और सिखना झालाओ नेशनल पार्क के घने जंगल जो कभी छुपने की जगह के रूपमें इस्तेमाल किए जाते थे, वे अब युवाओं की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने का माध्यम बन रहे हैं, बोडोलैंड में बढ़ते पर्यटन से युवाओं केलिए रोज़गार के अनेक नए अवसर सृजित होंगे। बोडोफा उपेंद्रनाथ ब्रह्मा और गुरुदेव कालीचरण ब्रह्मा को उनके योगदान केलिए याद करते हुए उन्होंने कहाकि बोडोफा ने हमेशा भारत की अखंडता और बोडो लोगों के संवैधानिक अधिकारों केलिए लोकतांत्रिक तरीके को आगे रखा, जबकि गुरुदेव कालीचरण ब्रह्मा ने अहिंसा और अध्यात्म के मार्ग पर चलकर समाज को एकजुट किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि ऐसा उनके समक्ष मौजूद सफल बोडो व्यक्तित्वों की प्रेरणा की बदौलत है, जिन्होंने महत्वपूर्ण पदों पर रहकर देशसेवा की है, इनमें पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त हरिशंकर ब्रह्मा, मेघालय के पूर्व राज्यपाल रंजीत शेखर मुशहरी शामिल हैं, जिन्होंने बोडो समुदाय का मान बढ़ाया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि उन्हें खुशी हैकि बोडोलैंड के युवा अच्छा करियर बनाने के सपने देख रहे हैं और केंद्र व राज्य दोनों सरकारें उनकी प्रगति में भागीदार के रूपमें हर बोडो परिवार की साथी बनकर उनके साथ खड़ी है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि असम सहित पूरा पूर्वोत्तर भारत की अष्टलक्ष्मी है और अब विकास का सूरज पूर्वी भारत से उगेगा, जो विकसित भारत के संकल्प को नई ऊर्जा देगा, इसलिए सरकार पूर्वोत्तर के राज्यों केबीच सीमा विवादों का सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने की कोशिश करके पूर्वोत्तर में स्थायी शांति केलिए लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने कहाकि असम के लाखों लोगों ने ग़रीबी को हराया है और हिमंता बिस्वा सरमा सरकार के कार्यकाल में असम विकास के नए कीर्तिमान बना रहा है, सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे पर विशेष ध्यान दिया है। उन्होंने कहाकि बीते डेढ़ साल में असम को 4 बड़े अस्पतालों की सौगात मिली है, जिनमें गुवाहाटी एम्स और कोकराझार, नलबाड़ी, नागांव मेडिकल कॉलेज शामिल हैं, जिससे लोगों की मुश्किलें कम हुई हैं। उन्होंने कहाकि असम में कैंसर अस्पताल खुलने से पूर्वोत्तर के मरीजों को बड़ी राहत मिली है, वर्ष 2014 से पहले असम में 6 मेडिकल कॉलेज थे, आज इनकी संख्या 12 हो गई है। उन्होंने कहाकि 12 और नए मेडिकल कॉलेज खोलने का काम चल रहा है, जिससे युवाओं केलिए अवसरों के नए द्वार खुलेंगे। नरेंद्र मोदी ने कहाकि बोडो शांति समझौते ने जो रास्ता दिखाया है, वो पूरे पूर्वोत्तर की समृद्धि का रास्ता है। उन्होंने कहाकि हमें इस संस्कृति और परंपराओं को निरंतर सशक्त बनाना होगा। इस अवसर पर असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य, बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र के प्रमुख प्रमोद बोरो, ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष दीपेन बोडो, बोडो साहित्य सभा के अध्यक्ष डॉ सुरथ नारजारी मौजूद थे और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम से जुड़े।