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विधायी कार्यों में बाधा से उपराष्ट्रपति नाराज़

अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित किया

अरुणाचल प्रदेश की प्रगति से देश की एकता और समृद्धि बढ़ी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 1 December 2024 03:06:38 PM

special session of arunachal pradesh assembly

ईटानगर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विधायी कार्यों में बाधा पर घोर चिंता और नाराज़गी व्यक्त की है। उपराष्ट्रपति अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहाकि भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार पर विधायी कामकाज में व्यवधान घोर चिंता का विषय है, हम इस तरह और ऐसे व्यवधानों को बर्दाश्त नहीं कर सकते, जो लोकतंत्र के विरुद्ध हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, हम संविधान की भावना के खिलाफ कैसे जा सकते हैं? हम अपने दायित्वों से कैसे पीछे हट सकते हैं? उन्होंने विषय परिवर्तन करते हुए कहाकि एक्ट ईस्ट नीति ने लुक ईस्ट नीति को कार्यात्मक और परिवर्तनकारी स्तरपर पहुंचा दिया है, 90 के दशक में जब नीति निर्माण हुआ, तब पूर्वोत्तर ने विशेष रूपसे देश के लोगों का ध्यान खींचा। उन्होंने उल्लेख कियाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लुक ईस्ट के विज़न को ऊंचे स्तरपर ले गए हैं, एक अधिक कार्यात्मक स्तरपर जो जमीनी हकीकत को प्रभावित करता है और परिवर्तनकारी है, यही एक्ट ईस्ट नीति है।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि पूर्वोत्तर में तेजीसे विकास कार्य होरहे हैं, जैसे यहां 17 हवाई अड्डे, 20 जलमार्ग और गहन डिजिटल पहुंच मुहैया है। उन्होंने कहाकि पूर्वोत्तर क्षेत्रकी जैविक और प्राकृतिक खेती देशके दूसरे राज्यों केलिए आदर्श मॉडल प्रस्तुत करती है, बांस, रबर और रेशम जैसे इसके स्वदेशी संसाधन बाजार केलिए प्रचुर अवसर प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश की प्रगति और देश की एकता और समृद्धि में इसके योगदान की सराहना की। जगदीप धनखड़ ने कहाकि अरुणाचल प्रदेश प्रकृति, आदिवासी संस्कृति, लोगों, संवाद, पारदर्शी झीलों, हिमालय की चोटियों, प्राचीन मठ, कालातीत मंत्रों से गूंजता स्वर्ग है, केवल पिछले वर्ष 1.19 करोड़ पर्यटकों ने इसकी सुंदरता और समृद्ध संस्कृति का आनंद लिया है। उन्होंने वोकल फॉर लोकल होने का महत्व भी याद दिलाया। उन्होंने कहाकि यहां स्थानीय रहवासियों केलिए रोज़गार के अवसर पैदा होंगे, विदेशी मुद्रा बचेगी और उद्यमिता फलेगी-फूलेगी। उपराष्ट्रपति ने कहाकि हम कालीन से लेकर फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स, खिलौने, पतंग, दीये और मोमबत्ती जैसी वस्तुओं का आयात नहीं कर सकते, जो इस देशमें बनती हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि प्रौद्योगिकी के जरिए भ्रष्टाचार को बेअसर कर दिया गया है, शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की गई है, परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी को धन्यवाद, अब लाभ अंतरण में कोई मानव इंटरफ़ेस नहीं है, अब यह सब डिजिटल, प्रत्यक्ष और निर्बाध है।
उपराष्ट्रपति ने संविधान दिवस और संविधान हत्या दिवस मनाने पर भी प्रकाश डाला और कहाकि संविधान दिवस मनाना हम सभी केलिए न्याय, समानता और बंधुत्व सुनिश्चित करने की हमारी प्रतिज्ञा की याद दिलाता है, जबकि संविधान हत्या दिवस हमें आपातकाल जैसे इतिहास के काले दौर केप्रति सतर्क करता है। उन्होंने बतायाकि भारत में 21 महीने तक आपातकाल चला, जो लोग देश से प्यार करते थे, लोकतंत्र से प्यार करते थे, उनमें से कई स्वतंत्रता सेनानी थे, उन्हें जेल में डाल दिया गया था, उन्हें न्याय नहीं मिला, उनके लिए कोई स्वतंत्रता का अधिकार नहीं था। जगदीप धनखड़ ने एकता और राष्ट्रवाद के महत्व को दोहराते हुए कहाकि हम एक हैं, चूंकि हम एक-दूसरे की भाषा जानते हैं, केवल इसलिए हम एक नहीं हैं, हम एक हैं, क्योंकि हम इस महान राष्ट्र के हैं। इस अवसर पर अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनायक, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष तेसम पोंगटे और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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