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Saturday 7 December 2024 01:25:09 PM
नई दिल्ली। भारत मंडपम नई दिल्ली में कल तीन दिवसीय अष्टलक्ष्मी महोत्सव सांस्कृतिक कार्यक्रमों केसाथ शुरू हो गया। यह महोत्सव पूर्वोत्तर भारत के विशाल सांस्कृतिक भंडार पर प्रकाश डालता है, जो पारंपरिक कला, शिल्प और सांस्कृतिक प्रथाओं की एक श्रृंखला को एकसाथ लाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे दिल्ली में इंद्रधनुष की छटा बिखेरता बताते हुए अष्टलक्ष्मी महोत्सव का उद्घाटन किया। अष्टलक्ष्मी महोत्सव में पारंपरिक हस्तशिल्प, हथकरघा, कृषि उत्पाद और पर्यटन जैसे क्षेत्रोंमें आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। महोत्सव में कारीगर प्रदर्शनियां, ग्रामीण हाट, राज्य विशिष्ट मंडप और पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास से संबंधित महत्वपूर्ण प्रमुख क्षेत्रोंपर तकनीकी सत्र होंगे। प्रमुख आयोजनों में निवेशक गोलमेज सम्मेलन और खरीदार-विक्रेता बैठकें शामिल हैं, जिन्हें इस क्षेत्रके आर्थिक विकास को बढ़ावा देनेवाले नेटवर्क, साझेदारी और संयुक्त पहल को बनाने एवं उन्हें मजबूत करने के अनूठे अवसर के रूपमें तैयार किया गया है। महोत्सव में डिज़ाइन कॉन्क्लेव और फैशन शो, पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध हथकरघा एवं हस्तशिल्प परंपराओं, पूर्वोत्तर क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन होने केसाथ पूर्वोत्तर भारत के संगीत के जीवंत कार्यक्रमों और स्थानीय व्यंजन मुख्य आकर्षण होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि अष्टलक्ष्मी महोत्सव ने पूरी दिल्ली को पूर्वोत्तर भारत के विविधताभरे रंगों से इंद्रधनुषी बना दिया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि यह महोत्सव पूरे पूर्वोत्तर भारत के सामर्थ्य को देश और दुनिया के सामने प्रदर्शित कर रहा है, इसमें व्यापार से जुड़े कई समझौते होंगे, संस्कृति, व्यंजनों और अन्य आकर्षणों केसाथ-साथ पूर्वोत्तर के विभिन्न उत्पादों से देश परिचित होगा। उन्होंने कहाकि इसमें विभिन्न उपलब्धियां हासिल करनेवाले पद्म पुरस्कार विजेताओं की भागीदारी है, जिससे यह आयोजन अनोखा और अपनी तरह का पहला आयोजन है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि यह महोत्सव पूर्वोत्तर भारत में निवेश के बड़े अवसरों के द्वार खोलेगा, दुनियाभर के निवेशकों, किसानों, श्रमिकों और शिल्पकारों केलिए एक बेहतरीन अवसर है। उन्होंने अष्टलक्ष्मी महोत्सव के आयोजकों, पूर्वोत्तर भारत के लोगों, निवेशकों को बधाई और शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने कहाकि पिछले 100 से 200 वर्ष के दौरान हम सभीने पश्चिमी दुनिया का उभार देखा है और आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीति के हर स्तरपर दुनिया में पश्चिमी क्षेत्रकी एक छाप रही है। उन्होंने कहाकि भारत ने भी संयोगवश अपनी विकास गाथा में पश्चिमी क्षेत्रका प्रभाव और उसकी भूमिका देखी है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि पश्चिम केंद्रित कालखंड के बाद 21वीं सदी पूर्व यानी एशिया और भारत की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दृढ़ता से विश्वास व्यक्त कियाकि आने वाले समय में भारत की विकास गाथा पूर्वी भारत और विशेष रूपसे पूर्वोत्तर क्षेत्र की भी होगी। उन्होंने कहाकि बीते दशकों में दुनिया ने भारत के मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे बड़े शहरों को उभरते हुए देखा है। उन्होंने जोर देकर कहाकि भविष्य में गुवाहाटी, अगरतला, इंफाल, ईटानगर, गंगटोक, कोहिमा, शिलांग और आइजोल जैसे शहरों का नया सामर्थ्य दिखेगा, जिसमें अष्टलक्ष्मी जैसे आयोजन इसमें एक प्रमुख भूमिका निभाएंगे। भारतीय परंपराओं की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि देवी लक्ष्मी को सुख, आरोग्य और समृद्धि की देवी कहा जाता है, देवी लक्ष्मी के आठ रूपों को गिनाते हुए उन्होंने कहाकि जबभी देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, तो उनके सभी आठ रूप पूजे जाते हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि इसी तरह भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के आठ राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम में अष्टलक्ष्मी के दर्शन होते हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के आठ राज्यों में अष्टलक्ष्मी के आठ रूपों का प्रतिनिधित्व है। यह बताते हुए कि पहला रूप आदि लक्ष्मी का है, नरेंद्र मोदी ने कहाकि पूर्वोत्तर के हर राज्य में आदि संस्कृति का सशक्त विस्तार है। प्रधानमंत्री ने कहाकि पूर्वोत्तर भारत का प्रत्येक राज्य अपनी परंपरा और संस्कृति का उत्सव मनाता है, उन्होंने मेघालय के चेरी ब्लॉसम महोत्सव, नागालैंड के हॉर्नबिल महोत्सव, अरुणाचल के ऑरेंज महोत्सव, मिजोरम के चापचर कुट महोत्सव, असम के बिहू, मणिपुरी नृत्य को गिनाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवी लक्ष्मी के दूसरे रूप धन लक्ष्मी की चर्चा करते हुए कहाकि पूर्वोत्तर में खनिज, तेल, चाय बागानों और जैवविविधता के अद्भुत संगम केसाथ प्रचुर प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध हैं। उन्होंने कहाकि वहां नवीकरणीय ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं और धन लक्ष्मी का यह आशीर्वाद पूरे पूर्वोत्तर केलिए एक वरदान है। नरेंद्र मोदी ने देवी लक्ष्मी के तीसरे रूप धान्य लक्ष्मी की चर्चा करते हुए कहाकि पूर्वोत्तर क्षेत्र प्राकृतिक खेती, जैविक खेती और पोषक अनाजों केलिए प्रसिद्ध है, सिक्किम के भारत का पहला पूर्ण जैविक राज्य होने पर हमें गर्व है, पूर्वोत्तर में उगाए जाने वाले चावल, बांस, मसाले और औषधीय पौधे वहां की कृषि की शक्ति के साक्षी हैं। उन्होंने कहाकि भारत स्वस्थ जीवनशैली और पोषण से संबंधित जो समाधान दुनिया को देना चाहता है, उसमें पूर्वोत्तर क्षेत्रकी प्रमुख भूमिका है। अष्टलक्ष्मी के चौथे रूप गज लक्ष्मी के बारेमें उन्होंने कहाकि देवी गज लक्ष्मी कमल पर बैठी हैं और उनके चारों ओर हाथी हैं, पूर्वोत्तर में विशाल जंगल, काजीरंगा, मानस-मेहाओ जैसे राष्ट्रीय उद्यान और अन्य वन्यजीव अभयारण्य हैं। उन्होंने कहाकि वहां अद्भुत गुफाएं और आकर्षक झीलें हैं, गजलक्ष्मी के आशीर्वाद में पूर्वोत्तर क्षेत्र को दुनिया का सबसे शानदार पर्यटन स्थल बनाने का सामर्थ्य है। प्रधानमंत्री ने कहाकि पूर्वोत्तर रचनात्मकता और कौशल केलिए जाना जाता है, जिसका प्रतिनिधित्व अस्तलक्ष्मी के पांचवें रूप संतान लक्ष्मी द्वारा किया जाता है और इसका संबंध उत्पादकता एवं रचनात्मकता से है। उन्होंने कहाकि असम के मुगा सिल्क, मणिपुर के मोइरांग फी, वांखेई फी, नागालैंड के चखेशांग शॉल जैसे हथकरघा एवं हस्तशिल्प का कौशल हर किसी का दिल जीत लेता है। उन्होंने कहाकि ऐसे दर्जनों भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग वाले उत्पाद हैं, जो पूर्वोत्तर क्षेत्रके शिल्प एवं रचनात्मकता को दर्शाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि अष्टलक्ष्मी की छठी लक्ष्मी वीर लक्ष्मी साहस और शक्ति के संगम का प्रतीक हैं, पूर्वोत्तर क्षेत्र महिलाओं की शक्ति का प्रतीक है। उन्होंने मणिपुर के नुपी लान आंदोलन का उदाहरण दिया, जिसने नारी शक्ति को दर्शाया। नरेंद्र मोदी ने कहाकि पूर्वोत्तर क्षेत्र की महिलाओं ने जिस तरह गुलामी के विरुद्ध बिगुल फूंका, वह भारत के इतिहास में हमेशा स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज रहेगा। उन्होंने कहाकि लोककथाओं से लेकर हमारे स्वतंत्रता संग्राम तक रानी गाइदिनल्यू, कनकलता बरुआ, रानी इंदिरा देवी, लालनु रोपिलियानी जैसी बहादुर महिलाओं ने पूरे देश को प्रेरित किया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि पूर्वोत्तर क्षेत्र की बेटियां आज भी इस परंपरा को समृद्ध कर रही हैं। उन्होंने कहाकि पूर्वोत्तर क्षेत्र की महिलाओं की उद्यमशीलता ने पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र को एक ऐसी मजबूती दी है, जिसका कोई मुकाबला नहीं है। अष्टलक्ष्मी की सातवीं लक्ष्मी जय लक्ष्मी यश और कीर्ति प्रदान करती हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत केप्रति पूरी दुनिया की अपेक्षाओं में पूर्वोत्तर क्षेत्र की बड़ी हिस्सेदारी है, जहां भारत अपनी संस्कृति और व्यापार की वैश्विक कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, वहीं पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत को दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया के असीम अवसरों से जोड़ता है। प्रधानमंत्री ने उल्लेख कियाकि अष्टलक्ष्मी की आठवीं लक्ष्मी विद्या लक्ष्मी, जो ज्ञान और शिक्षा की प्रतीक हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि आईआईटी गुवाहाटी, एनआईटी सिलचर, एनआईटी मेघालय, एनआईटी अगरतला और आईआईएम शिलांग जैसे आधुनिक भारत के निर्माण में शिक्षा के प्रमुख केंद्र पूर्वोत्तर में स्थित हैं। उन्होंने कहाकि पूर्वोत्तर क्षेत्र को अपना पहला एम्स पहले ही मिल चुका है, जबकि देश का पहला राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय मणिपुर में बनाया जा रहा है। उन्होंने कहाकि पूर्वोत्तर ने देश को मैरी कॉम, बाइचुंग भूटिया, मीराबाई चानू, लवलीना,सरिता देवी जैसे कई महान खिलाड़ी दिए हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि पूर्वोत्तर ने भी प्रौद्योगिकी से संबंधित स्टार्टअप, सेवा केंद्रों और सेमीकंडक्टर जैसे उद्योगों में आगे बढ़ना शुरू कर दिया है, इनमें हजारों युवा काम कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि यह क्षेत्र युवाओं केलिए शिक्षा और कौशल का एक प्रमुख केंद्र बन रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अष्टलक्ष्मी महोत्सव पूर्वोत्तर के उज्जवल भविष्य का उत्सव है, यह विकास के नूतन सूर्योदय का उत्सव है, जो विकसित भारत के मिशन को गति देगा। नरेंद्र मोदी ने कहाकि पूर्वोत्तर में निवेश को लेकर काफी उत्साह है और पिछले दशक में हम सभी ने पूर्वोत्तर राज्यों की विकास की अद्भुत यात्रा देखी है। उन्होंने कहाकि सरकार ने पूर्वोत्तर के राज्यों को भारत की विकास गाथा से जोड़ने केलिए हरसंभव कदम उठाया है। उन्होंने यहभी रेखांकित कियाकि सीटों और वोटों की कम संख्या होने के कारण पिछली सरकारों ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहाकि यह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ही थी, जिसने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास केलिए पहलीबार एक अलग मंत्रालय बनाया। उन्होंने कहाकि बीते दशक में सरकार ने दिल्ली और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों केबीच की दूरी कम करने केलिए अथक प्रयास किए हैं, केंद्रीय मंत्रियों ने 700 से अधिक बार पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा किया है और लोगों केसाथ लंबा समय बिताया है, इसने सरकार और पूर्वोत्तर क्षेत्र एवं उसके विकास केबीच एक भावनात्मक जुड़ाव पैदा किया था। उन्होंने कहाकि इससे वहां विकास को अद्भुत गति मिली है। उन्होंने कहाकि उनकी सरकार ने 1990 के दशक की तुलना में 10 वर्ष में पूर्वोत्तर को बहुत अधिक अनुदान दिया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र केलिए पीएम-डिवाइन विशेष बुनियादी ढांचा विकास योजना और नॉर्थ ईस्ट वेंचर फंड जैसी कई विशेष योजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने कहाकि इन योजनाओं से रोज़गार के कई नए अवसर पैदा हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के औद्योगिक सामर्थ्य को बढ़ावा देने केलिए उन्नति योजना शुरू की है, जब नए उद्योगों के लिए बेहतर माहौल बनेगा तो नई नौकरियां भी पैदा होंगी। उन्होंने यह कहते हुएकि सेमीकंडक्टर क्षेत्र भारत केलिए नया है कहाकि सरकार ने इस नए क्षेत्र को गति देने केलिए असम को चुना है। उन्होंने कहाकि जब पूर्वोत्तर राज्यों में ऐसे नए उद्योग स्थापित होंगे तो देश और दुनिया के निवेशक वहां नई संभावनाएं तलाशेंगे। नरेंद्र मोदी ने कहाकि हम पूर्वोत्तर क्षेत्र को भावना, अर्थव्यवस्था और इकोलॉजी की त्रिवेणी से जोड़ रहे हैं। उन्होंने कहाकि सरकार न केवल पूर्वोत्तर क्षेत्रमें बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रही है, बल्कि भविष्य केलिए एक मजबूत नींव भी रख रही है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि उनकी सरकार ने 2014 केबाद भौतिक बुनियादी ढांचे और सामाजिक बुनियादी ढांचे पर काफी ध्यान केन्द्रित किया, इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता और वहां के लोगों के जीवन की गुणवत्ता, दोनों में सुधार आया। उन्होंने कहाकि सरकार ने कई वर्षों से लंबित परियोजनाओं के कार्यांवयन में भी तेजी लाई है, अब धेमाजी और डिब्रूगढ़ केबीच की यात्रा काफी समय से लंबित बोगी-बील पुल के पूरा होने से पहले दिनभर की यात्रा की तुलना में केवल एक या दो घंटे में की जा सकती है। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों में सामाजिक बुनियादी ढांचे में किए गए अभूतपूर्व कार्यों पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने कहाकि सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्रकी कनेक्टिविटी के अलावा वहां की परंपरा, वस्त्र और पर्यटन पर भी बल दिया है। उन्होंने कहाकि इसका फायदा यह हुआ हैकि लोग अब बड़ी संख्या में पूर्वोत्तर क्षेत्र को एक्सप्लोर करने केलिए आगे आरहे हैं, पूर्वोत्तर आनेवाले पर्यटकों की संख्या भी दोगुनी हो गई है, निवेश और पर्यटन में वृद्धि के कारण नए व्यवसाय एवं रोज़गार के अवसर बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे से एकीकरण तक कनेक्टिविटी से निकटता तक आर्थिक से भावनात्मक तक इस पूरी यात्रा ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत सरकार की एक बड़ी प्राथमिकता अष्टलक्ष्मी राज्यों के युवा हैं और वे हमेशा विकास चाहते हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों के कारण हजारों युवाओं ने हिंसा का रास्ता छोड़ विकास का रास्ता अपनाया। उन्होंने कहाकि पूर्वोत्तर राज्यों में कई ऐतिहासिक शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किएगए हैं और विभिन्न राज्यों केबीच सीमा विवाद को हल करने की दिशा में भी बेहद सौहार्दपूर्ण तरीके से आगे बढ़े हैं, कई जिलों से एएफएसपीए हटा दिया गया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि हमें मिलकर अष्टलक्ष्मी का नया भविष्य लिखना है और इसके लिए सरकार हर कदम उठा रही है। प्रधानमंत्री ने कहाकि पूर्वोत्तर के उत्पाद दुनिया के हर बाजार तक पहुंचें, एक जिला एक उत्पाद अभियान के तहत हर जिले के उत्पादों को बढ़ावा दिया जारहा है। उन्होंने कहाकि अष्टलक्ष्मी महोत्सव में ग्रामीण हाट बाजार की प्रदर्शनियों में पूर्वोत्तर क्षेत्र के कई उत्पाद देखे जा सकते हैं। उन्होंने लोगों से पूर्वोत्तर क्षेत्र के उत्पादों को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाने का आग्रह किया, इससे पूर्वोत्तर की अद्भुत कला एवं शिल्प को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर के लोगों को गुजरात के पोरबंदर में 2025 में होनेवाले माधवपुर मेले का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहाकि माधवपुर मेला भगवान श्रीकृष्ण और पूर्वोत्तर क्षेत्र की बेटी देवी रुक्मिणी के विवाह के उत्सव का प्रतीक है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि भारत निश्चित रूपसे 21वीं सदी में पूर्वोत्तर क्षेत्र को विकास के नए प्रतिमान स्थापित करते हुए देखेगा। महोत्सव में केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम सिंधिया, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ माणिक साहा, मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग और केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्यमंत्री डॉ सुकांत मजूमदार भी उपस्थित थे।