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Saturday 28 December 2024 11:14:22 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरु गोबिंद सिंह साहब के साहिबजादों के सम्मान में राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित ‘वीर बाल दिवस’ समारोह में देशभर से चयनित 17 बच्चों को सात श्रेणियों में उनकी असाधारण उपलब्धियों केलिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्रदान किए। राष्ट्रपति ने देशवासियों की ओर से साहिबजादों की स्मृति को सादर नमन किया और पुरस्कार विजेता बच्चों को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहाकि देश और समाज को उनपर गर्व है। उन्होंने कहाकि बच्चों के स्वर्णिम भविष्य में ही भारत का भविष्य निहित है। राष्ट्रपति ने बच्चों को अपने प्रेरणाप्रद संबोधन में कहाकि उन सबने असाधारण काम किए हैं, अद्भुत उपलब्धियां हासिल की हैं, उनके पास असीमित क्षमताएं, अतुलनीय गुण हैं और उन्होंने देशके बच्चों केलिए एक मिसाल कायम की है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि बच्चों को अवसर प्रदान करना और उनकी प्रतिभा को पहचानना हमारी परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने इस बात पर बल दियाकि इस परंपरा को और मजबूत किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि वर्ष 2047 में जब हम भारत की स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएंगे, तब ये पुरस्कार विजेता देश के प्रबुद्ध नागरिक होंगे, ऐसे प्रतिभाशाली लड़के-लड़कियां विकसित भारत के निर्माता बनेंगे। इसबार राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 26 जनवरी गणतंत्र दिवस से पूर्व ही मेधावी बच्चों को प्रदान कर दिए गए हैं। राष्ट्रपति ने उल्लेख कियाकि आजके दिन लोग गुरु गोबिंद सिंह साहब के साहिबजादों के सम्मान में शीश झुकाते हैं, दिसंबर के इसी सप्ताह में गुरु गोबिंद सिंह के दो बड़े साहिबजादों-बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह ने आस्था और स्वाभिमान की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। बड़े साहिबजादों के अमरत्व प्राप्त करने के चार दिन केबाद केवल नौ साल के बाबा जोरावर सिंह और सात साल के बाबा फतेह सिंह अपना बलिदान देकर अमर शहीदों में उच्च स्थान पर सदा केलिए आसीन हो गए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि आजादी के अमृतकाल वर्ष 2022 से आजके दिन को ‘वीर बाल दिवस’ के रूपमें मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। राष्ट्रपति ने मैं चाहूंगीकि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इन बच्चों की उपलब्धियों से देशवासियों को अवगत कराए। उन्होंने पुरस्कृत हरएक बच्चे के बारेमें बात कीकि किसी ने अपनी जान जोखिम में डालकर बहादुरी केसाथ लोगों की जान बचाई है, किसी ने चिकित्सा हालत के बावजूद दिव्यांगजन की सहायता केलिए कार्य किया है, किसी ने सूचना प्रौद्योगिकी में चमत्कार किया है तो किसीने खेल-कूद अथवा कला क्षेत्रमें असाधारण योगदान दिया है, किसी ने स्वास्थ्य सेवा और नवाचार के जरिए लोगों के जीवन पर अच्छा प्रभाव डाला है तो किसीने देशप्रेम का आदर्श प्रस्तुत किया है। द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि बच्चों में देशप्रेम की भावना के उदाहरण से देशके स्वर्णिम भविष्य केप्रति विश्वास और अधिक मजबूत होता है। राष्ट्रपति ने ओडिया भाषा में एक लोकप्रिय कहावत:तुलसी दुई पत्र रु बासे अर्थात केवल दो पत्तों के उगने से ही तुलसी का पौधा अपनी सुगंध बिखेरने लगता है, कहाकि मास्टर अनीश की प्रसिद्धि उसी तरह बढ़ रही है।
वीर बाल दिवस पुरस्कार समारोह में सबसे कम आयु के पुरस्कार विजेता कोलकाता में रहने वाले मास्टर अनीश सरकार उस आयु वर्ग में हैं, जब बच्चे प्ले स्कूल और नर्सरी में होते हैं। मास्टर अनीश विश्व में सबसे कम उम्र में विश्व रैंकिंग पाने वाले चेस प्लेयर बन गए हैं, मुझे विश्वास हैकि वे भविष्य में विश्वस्तर पर अपनी पहचान बनाएंगे। उन्होंने कहाकि पंद्रह साल की बेटी हेमबती नाग के माता-पिता का स्वर्गवास हो चुका है, वह छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र से आती है, तमाम चुनौतियों केबीच धैर्य, साहस और कौशल के बल पर हेमबती ने जूडो में राष्ट्रीय स्तरपर अपनी पहचान बनाई है। राष्ट्रपति ने कहाकि कोणार्क का सूर्य मंदिर भारत की सर्वश्रेष्ठ कला और विज्ञान का अद्भुत संगम है, किसीभी मंदिर का शिखर दूर से दिखाई देता है और मंदिर की पहचान होता है। यह लोकमान्यता हैकि कोणार्क के मंदिर के शिखर के निर्माण में वरिष्ठ शिल्पकार स्वयं को असमर्थ महसूस कर रहे थे, तब धर्मपद नाम के एक छोटे से बच्चे ने उस मंदिर के शिखर को भव्य और दिव्य स्वरूप प्रदान किया था। उन्होंने कहाकि वर्ष 2047 में जब हम स्वाधीनता की शताब्दी मनाएंगे, तब ये बाल पुरस्कार विजेता लगभग 25 से 40 वर्ष की आयु के प्रबुद्ध नागरिक होंगे, ऐसे प्रतिभाशाली बालक और बालिकाएं विकसित भारत के निर्माता बनेंगे।