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टाइप-2 मधुमेह पर योग से ऐतिहासिक नियंत्रण

'मधुमेह रोग की रोकथाम में योग को मिली हुई है वैज्ञानिक मान्यता'

मधुमेह विशेषज्ञ व राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने जारी किया अध्ययन

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Saturday 28 December 2024 11:24:42 AM

diabetes expert and minister of state dr jitendra singh released the study

नई दिल्ली। फिर सिद्ध हुआ हैकि सबसे खतरनाक टाइप-2 मधुमेह पर योग से ऐतिहासिक नियंत्रण पाना संभव है और इस उपाय की योग को वैज्ञानिक मान्यता है। मेडिसिन प्रोफेसर और मधुमेह विशेषज्ञ, मधुमेह शोधकर्ताओं और चिकित्सकों के संगठन ‘रिसर्च सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया’ (आरएसएसडीआई) के संरक्षक केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने ‘योग एवं मधुमेह निवारण’ पर आरएसएसडीआई का ऐतिहासिक अध्ययन जारी किया है। इस अवसर पर यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज नई दिल्ली में मधुमेह, एंडोक्राइनोलॉजी और मेटाबॉलिज्म केंद्र के प्रमुख प्रोफेसर एसवी मधु, मुंबई के ग्रांट मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रमुख और वर्तमान में मधुमेह एंडोक्राइन पोषण प्रबंधन और अनुसंधान केंद्र मुंबई के प्रमुख प्रोफेसर एचबी चंदालिया, मणिलेक रिसर्च सेंटर जयपुर के डॉ अरविंद गुप्ता शामिल थे। यह अध्ययन आरएसएसडीआई के इन प्रतिष्ठित सदस्यों के समूह का है। यह अध्ययन प्रतिष्ठित एल्स्वियर लिमिटेड ने प्रकाशित किया है। गौरतलब हैकि भारत में मधुमेह बहुत तेजी से फैल रहा है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने टाइप-2 मधुमेह की रोकथाम में योग की परिवर्तनकारी क्षमता का उल्लेख किया। उन्होंने इस अभूतपूर्व अध्ययन के उल्लेखनीय निष्कर्षों पर जोर दिया, जो यह दर्शाते हैंकि प्री-डायबिटीज वाले व्यक्तियों में मधुमेह के जोखिम को योग काफी हद तक कम कर सकता है। अध्ययन की कुछ प्रमुख विशेषताओं के बारेमें जानकारी देते हुए अध्ययन के प्रथम लेखक प्रोफेसर एसवी मधु ने कहाकि रिसर्च सोसायटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया का ‘योग और टाइप 2 मधुमेह की रोकथाम-भारतीय मधुमेह रोकथाम अध्ययन’ में योग से मधुमेह की रोकथाम एक महत्वपूर्ण उपलब्धि पाई गई है। भारत में पांच केंद्रों पर तीन वर्ष तक किए गए इस अध्ययन में लगभग 1000 प्री-डायबिटीज व्यक्तियों को शामिल किया गया था, जिसमें पाया गयाकि दैनिक योग का 40 मिनट अभ्यास, जिसमें चुनिंदा आसन और प्राणायाम शामिल हैं, साथही मानक जीवनशैली अपनाने से मधुमेह का जोखिम लगभग 40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। ये परिणाम देश में अबतक वर्तमान मधुमेह की रोकथाम रणनीतियों के परिणामों से सबसे बेहतर हैं।
भारतीय मधुमेह रोकथाम कार्यक्रम (डीपीपी) ने जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से 28 प्रतिशत जोखिम में कमी हासिल की है, जबकि जीवनशैली से जुड़े उपायों को चरणबद्ध औषधि (मेटफॉर्मिन) केसाथ मिलाकर किए गए एक अन्य परीक्षण में 32 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। इस अध्ययन में योग की प्रभावकारिता ने दोनों से बेहतर प्रदर्शन किया, जो एक स्वतंत्र निवारक उपाय के रूपमें इसकी श्रेष्ठता को दर्शाता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने अध्ययन के निष्कर्षों को भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली केलिए संभावित रूपसे गेम चेंजर बताया। उन्होंने कहाकि वर्तमान में 101 मिलियन से अधिक लोग मधुमेह से पीड़ित हैं और 136 मिलियन लोग प्री-डायबिटिक अवस्था में हैं, इसलिए अध्ययन का साक्ष्य आधारित दृष्टिकोण बढ़ती महामारी से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। डायबिटीज एंड मेटाबोलिक सिंड्रोम: क्लिनिकल रिसर्च एंड रिव्यूज़ में प्रकाशित इस अध्ययन के निष्कर्ष मधुमेह प्रबंधन केलिए राष्ट्रीय और वैश्विक रणनीतियों पर महत्वपूर्ण रूपसे प्रभाव डाल सकते हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने केलिए राष्ट्रीय मधुमेह रोकथाम नीतियों में योग को एकीकृत करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहाकि यह अध्ययन मधुमेह की रोकथाम में योग की प्रभावशीलता को वैज्ञानिक रूपसे मान्यता देने वाला अच्छी तरह से डिज़ाइन किया गया है और यह दीर्घकालिक परीक्षण है। उन्होंने कहाकि यह अभूतपूर्व साक्ष्य आधुनिक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में प्राचीन भारतीय पद्धति योग की प्रासंगिकता की पुष्टि करता है। भारतीय मधुमेह रोकथाम अध्ययन आरएसएसजीआई की यह एक अग्रणी पहल है, जिसका उद्देश्य मधुमेह की रोकथाम केलिए अभिनव और दीर्घकालिक दृष्टिकोण की खोज करना है।

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