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Friday 10 January 2025 03:16:41 PM
भुवनेश्वर। भारत सरकार का प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन एक प्रमुख कार्यक्रम है, जो प्रवासी भारतीयों से जुड़ने और उन्हें एक-दूसरे केसाथ वार्तालाप करने में सक्षम बनाने केलिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है। इसबार ओडिशा सरकार ने भुवनेश्वर में 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन की मेजबानी की, जिसका विषय ‘विकसित भारत में प्रवासी भारतीयों का योगदान’ था। प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में 50 से अधिक देशों से प्रवासी भारतीयों ने भाग लेने केलिए पंजीकरण कराया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भुवनेश्वर में 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के उद्घाटन पर दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए प्रतिनिधियों और प्रवासियों का स्वागत करते हुए प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस को रवाना किया, जो भारतीय प्रवासियों केलिए एक विशेष पर्यटक ट्रेन है और यह दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से रवाना होगी और तीन सप्ताह की अवधि केलिए भारत में पर्यटन और धार्मिक महत्व के कई स्थलों की यात्रा कराएगी। प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस का संचालन प्रवासी तीर्थ दर्शन योजना के अंतर्गत किया गया है। प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में ग्रैमी पुरस्कार विजेता कलाकार रिकी केज और उनकी टीम की शानदार प्रस्तुति केलिए उनकी सराहना की, जिसमें भारतीय प्रवासियों की भावनाओं और संवेदनाओं को दर्शाया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वीडियो संदेश में उत्साहपूर्ण और स्नेहभरे शब्दों केलिए मुख्य अतिथि त्रिनिदाद और टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू को धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि कुछही दिन में प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ होगा और मकर संक्रांति, लोहड़ी, पोंगल, माघ बिहु के त्यौहार भी आनेवाले हैं। उन्होंने वर्ष 1915 में इसी दिन महात्मा गांधी लंबे समय तक विदेश में प्रवास केबाद भारत लौटे थे का स्मरण करते हुए कहाकि ऐसे अद्भुत समय में भारत में प्रवासी भारतीयों की उपस्थिति ने उत्सव की भावना को और बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि प्रवासी भारतीय दिवस का यह संस्करण अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मशताब्दी के कुछदिन बाद आयोजित हुआ, जिनकी दूरदर्शिता प्रवासी भारतीय दिवस केलिए महत्वपूर्ण थी। उन्होंने कहाकि प्रवासी भारतीय दिवस, भारत और उसके प्रवासियों केबीच संबंधों को प्रगाढ़ करने वाली एक संस्था बन चुकी है, हमसब भारत, भारतीयता, अपनी संस्कृति और प्रगति का उत्सव मनाते हैं, साथही अपनी जड़ों से जुड़ते हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि ओडिशा की भूमि भारत की समृद्ध विरासत का प्रतिबिंब है, ओडिशा में हर कदम पर हम अपनी विरासत देख सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि उदयगिरि और खंडगिरि की ऐतिहासिक गुफाओं, कोणार्क के भव्य सूर्य मंदिर, ताम्रलिप्ति, माणिकपटना और पलुर के प्राचीन बंदरगाहों को देखने पर हर कोई गौरवांवित महसूस करता। उन्होंने जिक्र कियाकि सैकड़ों वर्ष पूर्व ओडिशा के व्यापारियों और सौदागरों ने बाली, सुमात्रा और जावा जैसे स्थानों पर लंबी समुद्री यात्राएं की थीं, आजभी ओडिशा में बाली यात्रा उसीकी याद में मनाई जाती है। उन्होंने कहाकि ओडिशा का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल धौली शांति का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि सम्राट अशोक ने यहां शांति का मार्ग चुना था, जबकि दुनिया तलवार की ताकत से साम्राज्यों का विस्तारकर रही थी। नरेंद्र मोदी ने आग्रह कियाकि यह विरासत भारत को दुनिया को यह बताने केलिए प्रेरित करती हैकि भविष्य बुद्ध में है, युद्ध में नहीं। प्रधानमंत्री ने हमेशा प्रवासी भारतीयों को भारत का राजदूत माना है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत न केवल लोकतंत्र की जननी है, बल्कि लोकतंत्र भारतीय जीवन का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहाकि भारतीय स्वाभाविक रूपसे विविधता को अपनाते हैं और स्थानीय नियमों और परंपराओं का सम्मान करते हुए जिस समाज में शामिल होते हैं, उसमें सहज रूपसे एकीकृत होते हैं, भारतीय अपने मेजबान देशों की सत्यनिष्ठा से सेवा करते हैं, उनके विकास और समृद्धि में योगदान देते हैं, जबकि वे हमेशा भारत को अपने हृदय के करीब रखते हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारतीय प्रवासी भारत की हर प्रसन्नता और उपलब्धि का महोत्सव बेहद उत्साह केसाथ मनाते हैं। इक्कसवीं सदी के भारत में विकास की असाधारण गति और व्यापकता का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत में हरक्षेत्र नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है। उन्होंने कहाकि आजका भारत न केवल विश्व पटल पर अपनी बात को मजबूती से रखता है, बल्कि वैश्विक दक्षिण की आवाज़ कोभी मजबूती से उठाता है। उन्होंने अफ्रीकी संघ को जी-20 का स्थायी सदस्य बनाने के भारत के प्रस्ताव केलिए सर्वसम्मति से मिले समर्थन काभी जिक्र किया और मानवता सर्वप्रथम केप्रति भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय प्रतिभा की वैश्विक मान्यता पर जोर दिया, जिसमें प्रमुख कंपनियों के माध्यम से वैश्विक विकास में योगदान देनेवाले पेशेवर शामिल हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से प्रवासी भारतीय सम्मान प्राप्त करने वालों को शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहाकि भारत दशकों तक दुनिया की सबसे युवा और सबसे कुशल आबादी बना रहेगा, जो वैश्विक कौशल मांगों को पूरा करेगा। उन्होंने कहाकि कई देश कुशल भारतीय युवाओं का अब स्वागत करते हैं और भारत सरकार यह सुनिश्चित करने केलिए प्रतिबद्ध हैकि विदेश जानेवाले भारतीय निरंतर कौशल, पुनः कौशल और कौशल को बढ़ाने के प्रयासों के माध्यम से अत्यधिक कुशल हों। भारतीय प्रवासियों केलिए सुख-सुविधाओं के महत्व और उनकी सुरक्षा एवं कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि संकट की स्थितियों में प्रवासियों की सहायता करना भारत की जिम्मेदारी है, जो भारत की विदेश नीति के प्रमुख सिद्धांत को दर्शाता है। उन्होंने कहाकि एक दशक में दुनियाभर में भारतीय दूतावास और कार्यालय संवेदनशील हैं और सक्रिय रूपसे कार्य कर रहे हैं। कांसुलर सुविधाओं तक पहुंचने केलिए लंबी दूरी तय करने और कई दिनों तक इंतजार करने के लोगों के पिछले अनुभवों को स्मरण करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहाकि इन मुद्दों का समाधान किया जा रहा है, दो वर्ष में चौदह नए दूतावास और वाणिज्य दूतावास खोले गए हैं। उन्होंने कहाकि मॉरीशस से 7वीं पीढ़ी के भारतीय मूल के व्यक्तियों और सूरीनाम, मार्टिनिक और ग्वाडेलोप से 6वीं पीढ़ी के लोगों को शामिल करने केलिए ओसीआई कार्ड का दायरा बढ़ाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनियाभर में भारतीय प्रवासियों के इतिहास की जानकारी देते हुए विभिन्न देशों में उनकी उपलब्धियों को भारत की विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। उन्होंने आग्रह कियाकि इन दिलचस्प और प्रेरक कहानियों को साझा विरासत के रूपमें साझा, प्रदर्शित और संरक्षित किया जाना चाहिए। मन की बात में चर्चा का उल्लेख करते हुए जहां गुजरात के कई परिवार सदियों पहले ओमान में बस गए थे प्रधानमंत्री ने उनकी 250 वर्ष की यात्रा को प्रेरणादायक बताते हुए कहाकि इस समुदाय से संबंधित हजारों दस्तावेजों को डिजिटल बनाने केलिए एक प्रदर्शनी लगाई गई थी और एक मौखिक इतिहास परियोजना जहां समुदाय के वरिष्ठ सदस्यों ने अपने अनुभव साझा किए थे। विभिन्न देशों में प्रवासी समुदाय केसाथ इसी तरह के प्रयास करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए नरेंद्र मोदी ने गिरमिटिया भाइयों और बहनों का उदाहरण दिया। उन्होंने भारत में उन गांवों और शहरों की पहचान करने केलिए एक डेटाबेस बनाने का आग्रह किया, जहां से वे आए थे और जहां वे बसे थे। प्रधानमंत्री ने कहाकि प्रवासियों के जीवन का दस्तावेजीकरण, उन्होंने चुनौतियों को अवसरों में कैसे बदला, इसे फिल्मों और वृत्तचित्रों के माध्यम से दिखाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने गिरमिटिया विरासत का अध्ययन और शोध करने के महत्व का उल्लेख किया और इसके लिए एक विश्वविद्यालय पीठ की स्थापना का प्रस्ताव रखा। प्रधानमंत्री ने नियमित रूपसे विश्व गिरमिटिया सम्मेलन काभी आग्रह किया और अपनी टीम को इन संभावनाओं का पता लगाने और इन पहलों को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य करने के निर्देश दिए।
प्रधानमंत्री ने कहाकि आधुनिक भारत विकास और विरासत के मंत्र केसाथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहाकि जी-20 बैठकों के दौरान दुनिया को भारत की विविधता का प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान करने केलिए देशभर में सत्र आयोजित किए गए थे। उन्होंने काशी-तमिल संगमम, काशी तेलुगु संगमम और सौराष्ट्र-तमिल संगमम जैसे आयोजनों का गर्व से उल्लेख किया। उन्होंने संत तिरुवल्लुवर दिवस काभी उल्लेख किया और उनकी शिक्षाओं का प्रसार करने केलिए तिरुवल्लुवर संस्कृति केंद्रों की स्थापना की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने कहाकि इसका पहला केंद्र सिंगापुर में शुरू हो गया है और अमरीका के ह्यूस्टन विश्वविद्यालय में तिरुवल्लुवर चेयर की स्थापना की जा रही है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि इन प्रयासों का उद्देश्य तमिल भाषा और विरासत तथा भारत की विरासत को दुनिया के हर कोने में ले जाना है। भारत में विरासत स्थलों को जोड़ने पर प्रधानमंत्री ने कहाकि रामायण एक्सप्रेस जैसी विशेष रेल भगवान श्रीराम और सीता माता से जुड़े स्थानों तक पहुंच प्रदान करती हैं। उन्होंने कहाकि भारत गौरव रेल देशभर में महत्वपूर्ण विरासत स्थलों को भी जोड़ती हैं, जबकि सेमी-हाईस्पीड वंदे भारत रेल भारत में प्रमुख विरासत केंद्रों को जोड़ती हैं। प्रधानमंत्री ने 1947 में भारत की स्वतंत्रता में प्रवासी भारतीयों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए कहाकि प्रवासी भारतीयों का देश के विकास में योगदान देना जारी है, इससे भारत दुनिया में धन प्रेषण का शीर्ष प्राप्तकर्ता बन गया है। उन्होंने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य पर जोर दिया। नरेंद्र मोदी ने प्रवासी भारतीयों से छोटे शहरों और गांवों का दौरा करके एवं अपने अनुभव साझा करके दुनिया को इस विरासत से जोड़ने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रवासी भारतीयों से अपने अगले भारत दौरे पर गैर-भारतीय मूल के कम से कम पांच मित्रों को साथ लाने केलिए प्रोत्साहित किया, जिससे उन्हें देश को जानने और उसकी सराहना करने केलिए प्रेरणा मिले। नरेंद्र मोदी ने प्रवासी समुदाय से ‘भारत को जानिए’ प्रश्नोत्तरी में भाग लेने की अपील की। प्रधानमंत्री ने उन्हें भारत में अध्ययन कार्यक्रम और आईसीसीआर छात्रवृत्ति योजना का लाभ उठाने केलिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने प्रवासी भारतीयों से भारत के सच्चे इतिहास को दुनिया केसाथ साझा करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत अब विश्वबंधु के रूपमें पहचाना जाता है और प्रवासी भारतीयों से अपने प्रयासों को बढ़ाकर इस वैश्विक संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ करने का आग्रह किया। उन्होंने अपने-अपने देशों में विशेष रूपसे स्थानीय निवासियों केलिए पुरस्कार समारोह आयोजित करने का सुझाव दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि ये पुरस्कार साहित्य, कला और शिल्प, फिल्म तथा रंगमंच जैसे विभिन्न क्षेत्रोंमें प्रमुख व्यक्तियों को दिए जा सकते हैं। उन्होंने प्रवासी भारतीयों को भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों के सहयोग से उपलब्धि हासिल करने वालों को प्रमाणपत्र देकर पुरस्कृत करने केलिए प्रोत्साहित किया, जिससे उनका स्थानीय लोगों केसाथ व्यक्तिगत संबंध और भावनात्मक जुड़ाव बढ़ेगा। नरेंद्र मोदी ने उनसे स्थानीय या ऑनलाइन मेड इन इंडिया खाद्य पैकेट, कपड़े और अन्य सामान खरीदने व इस्तेमाल करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने प्रवासी भारतीयों को प्रोत्साहित कियाकि वे जहां भी हों अपनी मां के नाम पर एक पौधा अवश्य लगाएं। इस अवसर पर ओडिशा के राज्यपाल डॉ हरिबाबू कंभमपति, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी, विदेश मंत्री एस जयशंकर, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, राज्यमंत्री जुएल ओराम, शोभा करंदलाजे, कीर्तिवर्धन सिंह और पबित्रा मार्गेरिटा उपस्थित थे।