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Sunday 12 January 2025 01:05:10 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष एवं कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने इंडिया हैबिटेट सेंटर की विजुअल आर्ट्स गैलरी में आर्ट ऑफ इंडिया 2025 प्रदर्शनी का अवलोकन किया और आधुनिक तकनीक केसाथ पारंपरिक लोकाचार के सहजीवन की सराहना की। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि यह प्रदर्शनी हमें अपनी जड़ों से पुन: जोड़ते हुए और समकालीन अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करके न केवल हमारे अतीत का सम्मान करती है, बल्कि 2047 तक परिकल्पित विकसित भारत केलिए सांस्कृतिक नींव भी रखती है। डॉ जितेंद्र सिंह की प्रदर्शनी में मुख्य अतिथि के रूपमें भागीदारी ने वरिष्ठ और नवोदित दोनों ही कलाकारों को प्रेरणा देने वाले इस अवसर को बेहद गरिमापूर्ण बना दिया।
गौरतलब हैकि प्रदर्शनी में भारत के कुछ बेहद प्रतिष्ठित दिग्गजों, नवोदित कलाकारों और रचनाकारों की 250 से अधिक उत्कृष्ट कलाकृतियों को एकसाथ लाते हुए देश के कलात्मक विकास का विशद चित्रण प्रस्तुत किया गया है। डॉ जितेंद्र सिंह ने समावेशिता और राष्ट्रीय गौरव को बढ़ावा देने में कला की भूमिका पर जोर दिया और कहाकि कला केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिंब ही नहीं है, अपितु बदलाव के दौरमें आशा और एकता का माध्यम भी है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि द आर्ट ऑफ इंडिया जैसे कार्यक्रम रचनात्मकता की परिवर्तनकारी शक्ति को रेखांकित करते हैं और भारतीय कलाकारों की प्रतिभा और विविधता के प्रमाण के रूपमें कार्य करते हैं। उन्होंने भारत की समृद्ध कलात्मक विरासत को समृद्ध करने केप्रति आयोजकों की निरंतर प्रतिबद्धता की प्रशंसा की।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि द आर्ट ऑफ इंडिया जैसी पहलें न केवल जनमानस को समकालीन मुद्दों से अवगत रखती हैं, बल्कि हमें प्राचीन, अंतर्निहित और शाश्वत से भी पुन: जोड़ती हैं। उन्होंने बिग बुल के आकर्षक चित्रण सहित प्रदर्शित कलाकृतियों पर कहाकि यह प्रदर्शनी राष्ट्र को उसके कालातीत लोकाचार से अवगत रखते हुए 21वीं सदी में भारत के उत्थान का प्रतीक है। उन्होंने कहाकि इस तरह के कदम भारत की यात्रा को आकार देने वाले कलात्मक और सांस्कृतिक लोकाचार को संरक्षित करते हैं, ताकि भविष्य में उनका अभिन्न अंग बने रहना सुनिश्चित किया जा सके। डॉ अलका पांडे की संयोजित द आर्ट ऑफ इंडिया-2025 कलात्मक शैलियों और कथाओं की एक श्रृंखला पर प्रकाश डालती है। राजा रवि वर्मा, एमएफ हुसैन और एसएच रजा जैसे दिग्गजों के कालातीत कार्यों से लेकर समकालीन और स्वदेशी कलाकारों की नवोन्मेषी कृतियों तक यह प्रदर्शनी देश की कलात्मक वंशावली के माध्यम से एक आकर्षक यात्रा प्रस्तुत करती है।
द आर्ट ऑफ इंडिया प्रदर्शनी की इसवर्ष की थीम-भारतीय मास्टर्स, समकालीन और लोककला का जश्न मनाते हुए आशा शांति और समावेशिता के सार को समाहित करती है। वर्ष 2022 में अपनी शुरुआत केबाद से द आर्ट ऑफ इंडिया प्रदर्शनी सांस्कृतिक कैलेंडर पर एक प्रमुख कार्यक्रम के रूपमें उभरी है, जो देशभर के कला प्रेमियों, संग्रहकर्ताओं और उत्साही लोगों को आकर्षित करती है। करीब 500 से अधिक कलाकारों और दीर्घाओं के योगदान से युक्त इसवर्ष का संस्करण भारत की कलात्मक विविधता के ऐतिहासिक कीर्तिगान का वादा करता है। प्रदर्शनी का उद्देश्य भारत के कलात्मक आख्यान की व्यापक सराहना को प्रेरित करना है, ताकि इसे पीढ़ियों केलिए और सुलभ बनाया जा सके। प्रदर्शनी का समापन वैश्विक मंच पर भारत की कला और संस्कृति को उभारने वाले मंचों को बढ़ावा देना जारी रखने के आह्वान केसाथ हुआ।