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Saturday 18 January 2025 03:55:46 PM
नई दिल्ली। भारत में हालके वर्षों में डिजिटल लेनदेन में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है, जो नकदी रहित समाज बनने की दिशामें मील का पत्थर है। भारत में डिजिटल भुगतान में यूपीआई सबसे आगे है, जिसने दिसंबर 2024 में 16.73 अरब लेनदेन का रिकॉर्ड बनाया है। तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस) और एनईटीसी फास्टैग प्रमुख डिजिटन लेनदेन मंच के रूपमें उभरकर सामने आए हैं, जो वित्तीय लेनदेन को अधिक तेज, ज्यादा सुलभ और सुरक्षित बनाते हैं। एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) एक ऐसी प्रणाली है, जो एकाधिक बैंक खातों को एकही मोबाइल एप्लीकेशन में जोड़ती है और कई बैंकिंग सुविधाओं, निर्बाध फंड रूटिंग तथा व्यापारिक भुगतानों को एकही स्थान पर समाहित कर देती है। इसने न केवल वित्तीय लेनदेन को तीव्र, सुरक्षित और सरल बना दिया है, बल्कि व्यक्तियों, छोटे व्यवसायों तथा व्यापारियों को सशक्त भी बनाया है, जिससे देश नकदी रहित अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर हुआ है।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के आंकड़ों के अनुसार यूपीआई ने 16.73 अरब से अधिक लेनदेन पूरा करके एक नया रिकॉर्ड बनाया है, जिनके माध्यम से 23.25 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। यह नवंबर के 21.55 लाख करोड़ रुपये की उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है, यूपीआई ने नवंबर 2024 में लगभग 172 बिलियन लेनदेन पूरे किए, जो 2023 में 117.64 अरब से 46 प्रतिशत की बढ़त दिखाता है। यह वृद्धि वित्तीय समावेशन की ओर व्यापक बदलाव को रेखांकित करती है, जिसमें यूपीआई एक केंद्रीय स्तंभ है। यूपीआई ने मोबाइल से लेनदेन के क्षेत्रमें अपना वर्चस्व कायम कर लिया है, तत्काल भुगतान सेवा लंबे समय से खातों केबीच त्वरित भुगतान केलिए एक विश्वसनीय सेवा है। वर्ष 2010 में शुरू तत्काल भुगतान सेवा एक वास्तविक समय 24x7 इलेक्ट्रॉनिक धन हस्तांतरण सेवा है, जो बैंकों और वित्तीय संस्थानों में त्वरित लेनदेन की सुविधा प्रदान करती है। मोबाइल, एटीएम, एसएमएस और इंटरनेट सहित कई माध्यम से लेनदेन में सहायता करने की इसकी बहुमुखी प्रतिभा ने इसे व्यवसायों और व्यक्तियों केलिए एक आवश्यक उपकरण बना दिया है।
डिजिटल लेनदेन के हालिया आंकड़ों से पता चलता हैकि तत्काल भुगतान सेवा लेनदेन में वृद्धि हुई है, दिसंबर 2024 में 441 मिलियन लेनदेन दर्ज किए गए, जबकि नवंबर 2024 में यह संख्या 407.92 मिलियन थी। लेनदेन मूल्य में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो दिसंबर में 6.01 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, यह इसके पिछले महीने 5.58 लाख करोड़ रुपये था। एक अन्य महत्वपूर्ण डिजिटल भुगतान पद्धति एनईटीसी फास्टैग है, जिसका महत्व काफी बढ़ गया है। राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह फास्टैग राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल का भुगतान करने का एक निर्बाध, कैशलेस तरीका प्रदान करता है, इससे वाहनों को टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। फास्टैग को बैंक खाते (चाहे वह बचत खाता हो, चालू खाता हो या प्रीपेड खाता हो) से जोड़कर, चालक चलते-फिरते अपने टोल का भुगतान कर सकते हैं, इससे समय और ईंधन दोनों की बचत होती है। दिसंबर में फास्टैग लेनदेन 381.98 मिलियन, जबकि नवंबर में यह 358.84 मिलियन थी। इसका मूल्य भी नवंबर के 6070 करोड़ रुपये से बढ़कर 6642 करोड़ रुपये हो गया है।
यूपीआई, आईएमपीएस और एनईटीसी फास्टैग के माध्यम से डिजिटल लेनदेन में वृद्धि भारत की डिजिटल प्रथम अर्थव्यवस्था केप्रति बढ़ती लोकप्रियता का प्रमाण है। इन प्रौद्योगिकियों ने न केवल वित्तीय लेनदेन को आसान बना दिया है, बल्कि इसे अधिक सुरक्षित भी बना दिया है, जिससे यह सुनिश्चित हो गया हैकि उपयोगकर्ता धोखाधड़ी या चोरी के डर के बिना वाणिज्य गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। जिस तरह से भारत अपने डिजिटल बुनियादी ढांचे का विस्तार और भुगतान प्रणालियों को बेहतर बनाने में लगा हुआ है, उससे वित्तीय लेनदेन का भविष्य पहले से कहीं अधिक उज्ज्वल दिखाई पड़ रहा है।