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Tuesday 21 January 2025 12:15:18 PM
बैंगलुरू। भारतीय कॉफी की दुनियाभर में मांग बढ़ी है। कर्नाटक राज्य कॉफी उत्पादन में सबसे अग्रणी है। बताते चलेंकि भारत में कॉफी पेय की यात्रा सदियों पहले शुरू हुई थी, जब महान संत बाबा बुदन 1600 ईस्वी में वे कर्नाटक की पहाड़ियों पर सात मोचा बीज लेकर आए थे। बाबा बुदन गिरि के अपने आश्रम परिसर में अनजाने में ही इन बीजों को लगाने के उनके कार्य ने भारत को दुनिया के प्रमुख कॉफ़ी उत्पादकों में स्थापति कर दिया है। सदियों से भारत में कॉफ़ी की खेती एक साधारण विधि से विकसित होकर अब एक संपन्न उद्योग में बदल गई है और भारतीय कॉफी अब दुनियाभर में खूब पसंद की जाती है। भारत अब वैश्विक स्तरपर सातवां सबसे बड़ा कॉफ़ी उत्पादक है, जिसका निर्यात वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1.29 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। यह 2020-21 के 719.42 मिलियन डॉलर से लगभग दोगुना है ।
भारतीय कॉफी के अनूठे स्वाद और लगातार बढ़ती मांग से भारत के कॉफी निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जनवरी 2025 की पहली छमाही में भारत ने इटली, बेल्जियम और रूस सहित शीर्ष खरीदारों केसाथ 9300 टन से अधिक कॉफी का निर्यात किया है। भारत के कॉफी उत्पादन का लगभग तीन चौथाई हिस्सा अरेबिका और रोबस्टा किस्म की कॉफी से होता है, इन्हें मुख्य रूपसे बिना भुने बीन्स के रूपमें निर्यात किया जाता है। हालांकि रोस्टेड और इंस्टेंट कॉफी जैसे उत्पादों की मांग बढ़ने से निर्यात में तेजी आई है। कैफे संस्कृति के बढ़ने, अधिक खर्च करने योग्य आय और चाय की तुलना में कॉफी को बढ़ती प्राथमिकता के कारण भारत में कॉफी की खपत भी लगातार बढ़ रही है। यह प्रवृत्ति विशेष रूपसे शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में देखी गई है। कॉफी की घरेलू खपत 2012 में 84000 टन से बढ़कर 2023 में 91000 टन हो गई है। यह वृद्धि कॉफी के शौकीन लोगों की बढ़ती मांग को दर्शाती है, क्योंकि दैनिक जीवन में कॉफी एक अभिन्न अंग बन गई है।
भारत की कॉफ़ी मुख्य रूपसे पारिस्थितिकी रूपसे समृद्ध पश्चिमी और पूर्वी घाटों में उगाई जाती है, जो अपनी जैव विविधता केलिए प्रसिद्ध क्षेत्र हैं। कर्नाटक कॉफी उत्पादन में सबसे अग्रणी है, जिसने 2022-23 में 248020 टन कॉफी उत्पादन का योगदान दिया। इसके बाद केरल और तमिलनाडु का स्थान है। ये क्षेत्र छायादार बागानों का घर हैं, जो न केवल कॉफ़ी उद्योग को सहारा प्रदान करते हैं, बल्कि प्राकृतिक पर्यावरण को संरक्षित करने मेंभी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे इन जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट के पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है। कॉफी उत्पादन को बढ़ाने व बढ़ती घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मांग को पूरा करने केलिए भारतीय कॉफी बोर्ड ने कई महत्वपूर्ण पहल शुरू की हैं। एकीकृत कॉफी विकास परियोजना के माध्यम से पैदावार में सुधार, गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में खेती का विस्तार और कॉफी की खेती की स्थिरता सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
भारत में कॉफी उत्पादन के उपाय भारत के कॉफी उद्योग को सहारा देने, उत्पादकता बढ़ाने और इसकी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं। इसकी सफलता का एक प्रमुख उदाहरण अराकू घाटी है, जहां लगभग 150000 आदिवासी परिवारों ने कॉफ़ी बोर्ड और एकीकृत आदिवासी विकास एजेंसी के सहयोग से कॉफ़ी उत्पादन में 20 प्रतिशत की वृद्धि की है। यह उपलब्धि गिरिजन सहकारी निगम से ऋण द्वारा समर्थित है। यह दर्शाता हैकि कॉफ़ी की खेती इन समुदायों को किस प्रकार सशक्त बनाती है और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण का समर्थन करती है। निर्यात प्रोत्साहन और अन्य प्रकार की सहायता से यह पहल भारत के कॉफी उद्योग के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। यह घरेलू उत्पादन और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता दोनों को बेहतर बनाने में मदद करती हैं, जिससे भारत को वैश्विक कॉफी बाजार में एक अग्रणी देश के रूपमें मजबूती से स्थापित होने में मदद मिली है।