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पुट्टपर्थी-आंध्रप्रदेश। शिर्डीवाले साईं बाबा के चमत्कारिक अवतारी के रूप में स्थापित, दुनिया भर में अनुयाईयों की ईश्वर तुल्य आस्था, प्रेम और विश्वास के परम आधार सत्यनारायण राजू अर्थात सत्य साईं बाबा हृदयाघात से अचेतावस्था में पहुंचकर आखिर ब्रह्मलीन हो गए। इसाईयों के पवित्र त्योहार ईस्टर को उन्होंने अपने महाप्रस्थान का दिन चुना। सत्य साईं बाबा की जीवन रक्षा की लाखों, करोड़ों प्रार्थनाओं के विभिन्न मार्मिक रूप देख, वह भी जरूर करूणा से भर गए होंगे, लेकिन नियति के शक्तिशाली समयचक्र के सामने किसी का भी वश नहीं चला है, सो वे अपने करोड़ों अनुयायियों की प्रार्थनाओं के बीच विदा हुए। उन्हें जाना था और इसका दोष उनकी लगातार एक माह चली हृदय संबंधी बीमारी को गया। दुनिया में उन्होंने मानवता के संदेश को सफलतापूर्वक प्रेम, सेवा और सद्भाव से जोड़ा। उनके महाकल्याणकारी कार्यों का दुनिया में वृहद प्रचार और प्रसार हुआ। साईं बाबा ने शिक्षा से लेकर आध्यात्म तक का एक हब खड़ा किया, जिसमें देश-विदेश के जाने-माने राजनेता, समाज सुधारक, उद्योपति, शीर्ष न्यायिक अधिकारी, नौकरशाह, दार्शनिक और विभिन्न विधाओं के महान लोग शामिल हैं। बहुत सारी विशेषताओं और जनसामान्य के लिए महान कार्यकलापों के बावजूद यह तथ्य भी अपने स्थान पर कायम है कि सत्य साईं बाबा भी लोकापवादों से मुक्त नहीं रहे। उनके विभिन्न पक्षों को लेकर संशयात्मक आलोचनाएं अभी भी मौजूद हैं।
मृत्युलोक में एक सामान्य परिवार में 23 नवंबर 1926 से सत्य साईं बाबा यानि सत्य नारायण राजू का जीवन चक्र प्रारंभ हुआ जो 24 अप्रैल 2011 को अपने महाप्रयाण को प्राप्त हुआ। वे 86 वर्ष संसार में रहे। आध्यात्मिक गुरू के रूप में और अपने अनुयायियों के बीच में अवतार के रूप में, भगवान के रूप में, महान दार्शनिक के रूप में उन्होंने अतुल्य सम्मान और मान्यता अर्जित की। उनकी कीर्ति अनेक विख्यात संतों और आध्यात्मिक गुरूओं के बीच भिन्न और शिखर पर तो रही ही, अनेक राष्ट्राध्यक्षों ने भी उनसे मार्गदर्शन और प्रेरणाएं प्राप्त कीं। सत्य साईं बाबा ने अपनी शक्तियों का उपयोग शिक्षा के प्रचार-प्रसार और उस जैसी अनेक लोक कल्याणकारी योजनाओं और आध्यात्मिक शक्ति के कारक आश्रमों और मंदिरों की स्थापना के लिए किया। उनकी विरासत में यद्यपि पचास हजार करोड़ रूपए से भी ज्यादा की देश-विदेश में परिसंपत्तियां हैं तथापि उन्हें इससे भी ज्यादा जो नसीब हुआ वह है उनकी मान्यता। वह सिद्ध पुरूष शिर्डी वाले साईं बाबा के अवतार कहलाए गए। उन्होंने अपने आध्यात्मिक महत्व को विकसित किया, सिद्ध किया। साईं बाबा को अपने जीवन में अनेक लोकापवादों का सामना भी करना पड़ा लेकिन उन्होंने आलोचनाओं की कभी परवाह नहीं की और अपने लक्ष्य पर बढ़ते रहे। सत्य साईं बाबा को उनके जीवन में करोड़ो अनुयाइयों की जो शक्ति मिली यह उसी का प्रमाण है कि उनकी जीवन रक्षा के लिए करोड़ों प्रार्थनाएं की गईं, मन्नते मांगी गईं मगर उनको जाना था और वे अनंत ब्रह्मांड के लिए प्रस्थान कर गए।
सत्य साईं बाबा एक माह से अनंतपुर जिले में पुट्टपर्थी कस्बे में खुद के स्थापित श्री सत्य साईं इंस्टीट्यूट ऑफ हायर मेडिकल साइंसेज अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष में चिकित्सकों की अनवरत निगरानी में थे और उनके शरीर के सभी अंग शिथिल पड़ गए थे। आभास होने लगा था कि वे शायद ही अचेतावस्था से लौटें। उनके करोड़ों अनुयाई उनकी जीवन रक्षा के लिए प्रार्थनाओं में लीन हो गए थे लेकिन वे अचेतावस्था से बाहर नहीं आ पाए और हृदयाघात से उनकी शारीरिक स्थिति और ज्यादा बिगड़ती चली गई। उनके आश्रम और अस्पताल के बाहर सुरक्षा एवं व्यवस्था के कड़े प्रबंध किए गए हैं और यह लग रहा है कि मानो यह व्यवस्था किसी राष्ट्राध्यक्ष के लिए की गई है। आंध्रप्रदेश सरकार ने उनके महाप्रयाण पर चार दिन का राजकीय शोक रखा है। उनका पार्थिव शरीर दर्शनों के लिए साईं कुलवंत हॉल में रखा गया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी उनके महाप्रयाण पर शोक व्यक्त किया है। मनमोहन सिंह ने सत्य साईं बाबा के देहावसान को अपने जीवन की अपूर्णीय क्षति बताया है। शोक संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि साईं बाबा ने लाखों लोगों को अपनी पसंद के धर्म के अनुरूप नैतिक और सार्थक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया है, उनकी सीख की जड़ें च्च्चाई, सही आचरण, शाति, प्रेम और अहिंसा के सार्वभौमिक विचारों में थीं।
देश के अन्य राजनेताओं ने भी साईं कुलवंत हॉल पहुंचकर उनके अंतिम दर्शन किए हैं। देश-विदेश के विख्यात अनुयाई भी उनके दर्शनों के लिए वहां पहुंच रहे हैं। हिंदू परंपराओं में दाह संस्कार के विपरीत उन्हें बुधवार को प्रशांति निलमय में समाधिस्थ किया जाएगा। अंतिम दर्शन का प्रबंध व्यवस्थित तरीके से किया गया है। साईं बाबा चार दशक से प्रशांत निलयम में ही अपने भक्तों को दर्शन और आर्शीवाद देते थे और भक्त उन्हें साक्षात भगवान की तरह पूजते है। साईं बाबा के निधन के बाद एक सबसे बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है कि करीब 50 हज़ार करोड़ रुपये के श्री सत्य साई सेंट्रल ट्रस्ट की कमान अब किसके हाथ में होगी यानि उत्तराधिकारी कौन होगा? साई बाबा ने इस ट्रस्ट का किसी को उत्तराधिकारी नामित नहीं किया था। यह ट्रस्ट मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था करने वाले विद्यालयों, एक विश्वविद्यालय, मुफ्त इलाज की व्यवस्था वाले अस्पताल और सांस्कृतिक केंद्रों को संचालित करता है। ट्रस्ट का कामकाज पुट्टपर्थी, हैदराबाद, बेंगलूर, चेन्नई, कोडईकनाल और अमेरिका सहित कई देशों में फैला है।
साईं बाबा के लगभग तीन करोड़ श्रद्धालुओं से मिलने वाले दान से 165 देशो में विकास और परोपकारी कार्य होते आ रहे हैं। सभी परोपकारी कार्यों के लिए धन की व्यवस्था इसी ट्रस्ट से की जाती है। यह ट्रस्ट बैंकों के जरिए सिर्फ चेक या नकद के रूप में दान स्वीकार करता है जो कर मुक्त है, लेकिन आय और खर्च के ब्योरे को गोपनीय बना कर रखा जाता है। इसके न्यासियों में भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश पीएन भगवती, पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त एसवी गिरी, सीआईआई के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष वी श्रीनिवासन हैं और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एवं साईं बाबा के भक्त के चक्रवर्ती प्रमुख कर्ताधर्ताओं में हैं और ट्रस्ट के सचिव भी रहे हैं। साईं बाबा के निजी सेवक सत्यजीत का नाम भी उनके महानुभावों में लिया जा रहा है जो ट्रस्ट की कमान संभाल सकते हैं।