स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 14 February 2025 05:29:28 PM
वाशिंगटन डीसी। अमेरिका और भारत दोनों का मिलकर आतंकवाद का खात्मा करने का संकल्प है। उन्होंने एक ओर जहां भारत और अमेरिका की आतंकवाद पर यह विश्व नीति और रणनीति तय की है तो दोनों देशों केबीच वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य भी दोगुना से भी ज्यादा रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्तराज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड जे ट्रम्प ने वाशिंगटन डीसी में भारत-अमेरिका संयुक्त वक्तव्य में स्वतंत्रता, कानून के शासन, मानवाधिकारों और बहुलवाद को महत्व देने वाले संप्रभु और जीवंत लोकतंत्रों के प्रमुखों के रूपमें भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी की क्षमता की इस तरह पुष्टि की, जो आपसी विश्वास, साझा हितों, सद्भावना और अपने नागरिकों की मजबूत भागीदारी पर आधारित है। नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड जे ट्रम्प ने आपसी सहयोग के प्रमुख स्तंभों में परिवर्तनकारी बदलाव लाने हेतु एक नई पहल 21वीं सदी केलिए यूएस-इंडिया कॉम्पैक्ट यानी सैन्य साझेदारी, त्वरित वाणिज्य और प्रौद्योगिकी केलिए अवसरों को उत्प्रेरित करने के इस ऐतिहासिक अध्याय का शुभारंभ किया। नरेंद्र मोदी ने जहां दुनिया के सामने डोनाल्ड ट्रंप से अपनी चार साल पुरानी गहरी दोस्ती को याद किया तो डोनाल्ड ट्रंप ने भी दिल की गहराइयों से नरेंद्र मोदी से कहा कि मैने भी आपको बहुत मिस किया है। नरेंद्र मोदी का सम्मान और उनका महत्व प्रकट करने केलिए डोनाल्ड ट्रंप ने कोई कसर नहीं छोड़ी। दुनिया मान गई हैकि यह दोस्ती और हर क्षेत्र में साझेदारी बहुत लंबी जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका में जोरदार स्वागत बड़ा मायने रखता है। इस तरह का स्वागत आजतक भारत के किसी अन्य प्रधानमंत्री या राष्ट्राध्यक्ष का नरेंद्र मोदी से पहले कभी नहीं हुआ। भारतीय समुदाय ने भी दिखा दियाकि वह अपने प्रधानमंत्री को कितना दिल से चाहता है। डोनाल्ड ट्रंप और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने यह मंजर अपनी आंखों से देखा और जहां अपने नेता केलिए जनसमुदाय पलकपावड़े बिछा रहा हो तो दुनिया भी उसका महत्व समझती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप को सपरिवार भारत आने का न्योता दिया और दोनों केबीच ऐतिहासिक सहयोग का एक वृहद वक्तव्य स्वीकार किया गया। भारत अमेरिका का कोई भी क्षेत्र हो जो इस दोस्ती से बचा हो। चीन को भी समझ आ गई होगीकि यह भारत से टकराव का युग नहीं रहा, इसलिए भारत से दोस्ती करके चलने में ही लाभ है। भारत का परंपरागत मित्र रशिया भी समझ चुका हैकि दुनिया नरेंद्र मोदी को अंतर्राष्ट्रीय नेता मानने लगी है और रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाने में भारत की आवश्यकता और भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होगी। भारत-अमेरिका ने आतंकवाद के विषय पर पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया है। अमेरिका की जेल में बंद मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमले के आरोपी और आतंकवादी तहव्वुर राणा को अमेरिका का भारत को सौंपने का फैसला और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तान का नाम लेकर उसकी घोषणा करना यह साबित करता हैकि जो शक्तिशाली देश भारत में आतंकवाद को कभी भारत की कानून व्यवस्था का मामला बताया करते थे, वास्तव में आतंकवाद ही था, जिसका आज पूरी दुनिया सामना कर रही है और जिसके खात्मे की रणनीति बनाने केलिए भारत के सुझावों और उसकी रणनीतियों को गंभीरतापूर्वक स्वीकार किया जा रहा है।
भारत-अमेरिका ने पारस्परिक रूपसे लाभकारी साझेदारी केलिए विश्वास के स्तर को प्रदर्शित करने केलिए इसवर्ष प्रारंभिक परिणामों केसाथ परिणाम संचालित एजेंडे पर प्रतिबद्धता जताई। अमेरिका-भारत रणनीतिक हितों के गहन अभिसरण का उल्लेख करते हुए दोनों राजनेताओं ने कई क्षेत्रोंमें फैली एक गतिशील रक्षा साझेदारी केलिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की। रक्षा संबंधों को और आगे बढ़ाने केलिए दोनों पक्षों ने इस वर्ष 21वीं सदी में यूएस-भारत प्रमुख रक्षा साझेदारी केलिए एक नए दस वर्षीय फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर करने की योजना की घोषणा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आजतक भारत की सैन्य सूची में सी‑130जे सुपर हरक्यूलिस, सी‑17 ग्लोबमास्टर III, पी‑8I पोसीडॉन विमान, सीएच‑47एफ चिनूक, एमएच‑60आर सीहॉक्स और एएच‑64ई अपाचे, हार्पून जहाज रोधी मिसाइलें, एम777 हॉवित्ज़र और एमक्यू‑9बीएस जैसी अमेरिकी मूल की रक्षा वस्तुओं के महत्वपूर्ण एकीकरण का स्वागत किया। आखिर कुछ तो है कि अमेरिका भारत को सैन्य शक्ति के रूपमें और ज्यादा शक्तिशाली देखना चाहता है, क्योंकि यह दोस्ती अमेरिका को दुनिया का आगे और भी सबसे शक्तिशाली देश स्वीकार करने का मार्ग निर्विवाद रूपसे प्रशस्त करती है। जैसाकि पहले ही कहा जाचुका हैकि यह दोस्ती चीन को एक खास संदेश है तो पाकिस्तान को एक बहुत बड़ी चेतावनी है। दोनों राजनेताओं ने निर्धारित कियाकि अमेरिका अंतर-संचालन और रक्षा औद्योगिक सहयोग को मजबूत करने केलिए भारत केसाथ रक्षा बिक्री और सहउत्पादन का विस्तार किया जाएगा।
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की रक्षा आवश्यकताओं को तेजी से पूरा करने केलिए भारत में जेवलिन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों और स्ट्राइकर इन्फैंट्री कॉम्बैट वाहनों केलिए इसवर्ष नई खरीद और सह-उत्पादन व्यवस्था को आगे बढ़ाने की योजना की घोषणा की है। उन्होंने बिक्री शर्तों पर समझौते केबाद हिंद महासागर क्षेत्रमें भारत की समुद्री निगरानी पहुंच को और ज्यादा बढ़ाने केलिए छह अतिरिक्त पी-8आई समुद्री गश्ती विमानों की खरीद पूरी होने कीभी आशा व्यक्त की। यह स्वीकार करते हुएकि भारत सामरिक व्यापार प्राधिकरण-1 (एसटीए‑1) प्राधिकरण वाला एक प्रमुख रक्षा साझेदार है और एक प्रमुख क्वाड साझेदार है अमेरिका और भारत अपने संबंधित हथियार हस्तांतरण विनियमों की समीक्षा करेंगे, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय शस्त्र यातायात विनियम (आईटीएआर) शामिल है, ताकि रक्षा व्यापार, प्रौद्योगिकी विनिमय और रखरखाव, अतिरिक्त आपूर्ति और अमेरिका द्वारा प्रदान की जानेवाली रक्षा प्रणालियों की देश में मरम्मत और ओवरहाल को सुव्यवस्थित किया जा सके। दोनों नेताओं ने अपनी खरीद प्रणालियों को बेहतर ढंग से अनुकूल करने और रक्षा वस्तुओं और सेवाओं की पारस्परिक आपूर्ति को सक्षम करने केलिए इस वर्ष पारस्परिक रक्षा खरीद (आरडीपी) समझौते केलिए वार्तालाप का शुभारंभ करने का भी आह्वान किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अंतरिक्ष, वायु रक्षा, मिसाइल, समुद्री और जल के नीचे की प्रौद्योगिकियों में रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग में तेजी लाने का संकल्प लिया, साथही अमेरिका ने भारत को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों और जल सतह की प्रणालियों को जारी करने की अपनी नीति की समीक्षा की घोषणा की। रक्षा औद्योगिक सहयोग केलिए अमेरिका-भारत रोडमैप पर निर्माण और स्वायत्त प्रणालियों के बढ़ते महत्व को पहचानते हुए मोदी और ट्रंप ने इंडो-पैसिफिक में उद्योग साझेदारी और उत्पादन को बढ़ाने केलिए एक नई पहल-स्वायत्त प्रणाली उद्योग गठबंधन की घोषणा की। दोनों राजनेताओं ने क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने केलिए अत्याधुनिक समुद्री प्रणालियों और उन्नत एआई-सक्षम काउंटर मानवरहित हवाई प्रणाली के सह-विकास और सह-उत्पादन केलिए उन्नत स्वायत्त प्रौद्योगिकियों पर एंडुरिल इंडस्ट्रीज और महिंद्रा समूह केबीच एक नई साझेदारी और सक्रिय टोड ऐरे सिस्टम के सह-विकास केलिए एल 3 हैरिस और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स केबीच साझेदारी का स्वागत किया। दोनों राजनेताओं ने नवीनतम तकनीकों को शामिल करते हुए उन्नत प्रशिक्षण, अभ्यास और संचालन के माध्यम से वायु, भूमि, समुद्र, अंतरिक्ष और साइबरस्पेस में सैन्य सहयोग को बढ़ाने काभी संकल्प लिया। उन्होंने भारत में व्यापक और महत्वपूर्ण रूपसे आयोजित होनेवाले आगामी टाइगर ट्रायम्फ त्रि-सेवा अभ्यास का स्वागत किया।
नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी और भारतीय सेनाओं की तैनाती का समर्थन करने और उसे बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई। भारत-अमेरिका ने अपने नागरिकों को अधिक समृद्ध, राष्ट्रों को मजबूत, अर्थव्यवस्थाओं को अधिक नवीन और आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक सरल बनाने केलिए व्यापार व निवेश का विस्तार करने, राष्ट्रीय सुरक्षा और रोज़गार सृजन सुनिश्चित करनेवाले विकास को बढ़ावा देने केलिए अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों को गहरा करने का संकल्प लिया। इस उद्देश्य केलिए द्विपक्षीय व्यापार केलिए एक साहसिक नया लक्ष्य निर्धारित किया-मिशन 500, जिसका लक्ष्य 2030 तक कुल द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना से अधिक करके 500 बिलियन डॉलर करना है। महत्वाकांक्षा के इस स्तर केलिए नए निष्पक्ष व्यापार शर्तों की आवश्यकता को समझते हुए मोदी और ट्रंप ने 2025 के अंततक पारस्परिक रूपसे लाभकारी, बहुक्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के पहले चरण पर बातचीत करने की योजना की घोषणा की। दोनों ने इन वार्ताओं को आगे बढ़ाने और यह सुनिश्चित करने केलिए वरिष्ठ प्रतिनिधियों को नामित करने की प्रतिबद्धता जताईकि व्यापार संबंध पूरी तरह से कॉम्पैक्ट की आकांक्षाओं को दर्शाता है। इस अभिनव व्यापक बीटीए को आगे बढ़ाने केलिए अमेरिका और भारत माल और सेवा क्षेत्रमें द्विपक्षीय व्यापार को मजबूत और गहरा करने केलिए एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाएंगे और बाजार पहुंच बढ़ाने, टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने और आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण को गहरा करने की दिशामें काम करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने द्विपक्षीय व्यापार बाधाओं को दूर करने केलिए आपसी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के लिए शुरुआती कदमों का स्वागत किया। अमेरिका ने बोरबॉन, मोटरसाइकिल, आईसीटी उत्पादों और धातुओं के क्षेत्रों में अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ कम करने केसाथ अल्फाल्फा घास और बत्तख मीट और चिकित्सा उपकरणों जैसे अमेरिकी कृषि उत्पादों केलिए बाजार पहुंच बढ़ाने के उपायों केलिए भारत के हाल के उपायों का स्वागत किया। भारत ने अमेरिका को भारतीय आमों और अनारों के निर्यात को बढ़ाने केलिए अमेरिका के कदमों की भी सराहना की। दोनों पक्षों ने भारत को औद्योगिक वस्तुओं के अमेरिकी निर्यात और अमेरिका को श्रम-प्रधान निर्मित उत्पादों के भारतीय निर्यात को बढ़ाकर द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने केलिए सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों पक्ष कृषि वस्तुओं के व्यापार को बढ़ाने केलिए भी मिलकर काम करेंगे। दोनों ने अमेरिकी और भारतीय कंपनियों केलिए एक-दूसरे के देशों में उच्चमूल्य वाले उद्योगों में ग्रीनफील्ड निवेश करने के अवसरों को बढ़ावा देने केलिए प्रतिबद्धता जताई। इस संबंध में भारतीय कंपनियों द्वारा लगभग 7.35 बिलियन डॉलर के वर्तामान में जारी निवेश जैसे हिंडाल्को के नोवेलिस द्वारा अलबामा और केंटकी में अपनी अत्याधुनिक सुविधाओं में तैयार एल्यूमीनियम वस्तुओं में, टेक्सास और ओहियो में स्टील निर्माण कार्यों में जेएसडब्ल्यू, उत्तरी कैरोलिना में महत्वपूर्ण बैटरी सामग्री के निर्माण में एप्सिलॉन एडवांस्ड मैटेरियल्स और वाशिंगटन में इंजेक्टेबल्स के निर्माण में जुबिलेंट फार्मा का स्वागत किया। ये निवेश स्थानीय परिवारों केलिए 3000 से अधिक उच्च-गुणवत्तायुक्त रोज़गारों का समर्थन करते हैं।
भारत और अमेरिका ने बड़े पैमाने पर स्थानीयकरण और संभावित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के जरिए भारत में अमेरिका के डिजाइन किए गए परमाणु रिएक्टरों के निर्माण केलिए मिलकर काम करने की योजनाओं केसाथ आगे बढ़ते हुए अमेरिका-भारत 123 असैन्य परमाणु समझौते को पूरी तरहसे साकार करने की अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा की। यह भविष्य का मार्ग बड़े अमेरिकी डिजाइन वाले रिएक्टरों के निर्माण की योजनाओं को अनलॉक करेगा और उन्नत छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों केसाथ परमाणु ऊर्जा उत्पादन को विकसित करने, तैनात करने और बढ़ाने केलिए सहयोग को सक्षम करेगा। दोनों राजनेताओं ने यूएस-इंडिया ट्रस्ट पहल की शुरूआत की घोषणा की, जो रक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अर्धचालक, क्वांटम, जैव प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रोंमें महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग को बढ़ावा देने केलिए सरकार-से-सरकार, शिक्षा और निजी क्षेत्रके सहयोग को उत्प्रेरित करेगी। ट्रस्ट पहल के एक केंद्रीय स्तंभ के रूपमें वर्षके अंततक एआई इंफ्रास्ट्रक्चर को गति देनेवाले यूएस-इंडिया रोडमैप को आगे बढ़ाने केलिए यूएस और भारतीय निजी उद्योग केसाथ काम करने की प्रतिबद्धता जताई, जिसमें भारत में बड़े पैमाने पर यूएस-मूल एआई इंफ्रास्ट्रक्चर को वित्तपोषण, निर्माण, शक्ति प्रदान करने और महत्वपूर्ण एवं भविष्य की कार्रवाइयों केसाथ इसे जोड़ने में बाधाओं की पहचान की गई। दोनों नेताओं ने विशेष रूपसे तेल और गैस बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने और दोनों देशों की ऊर्जा कंपनियों केबीच अधिक सहयोग को सुविधाजनक बनाने केलिए भी प्रतिबद्धता जताई।
अमेरिका और भारत अगली पीढ़ी के डेटा केंद्रों में उद्योग भागीदारी और निवेश को सक्षम करने, एआई केलिए कंप्यूटर और प्रोसेसर तक विकास और पहुंच पर सहयोग, एआई मॉडल में नवाचारों और सामाजिक चुनौतियों को हल करने केलिए एआई अनुप्रयोगों के निर्माण केलिए मिलकर काम करेंगे, जबकि इन प्रौद्योगिकियों की सुरक्षा और नियामक बाधाओं को कम करने केलिए आवश्यक सुरक्षा और नियंत्रण को संबोधित करेंगे। मोदी-ट्रंप ने इंडस इनोवेशन के शुभारंभ की घोषणा की, जो सफल इंडस-एक्स प्लेटफॉर्म केबाद तैयार किया गया एक नया नवाचार सेतु है, जो यूएस-इंडिया उद्योग और शैक्षणिक साझेदारी को आगे बढ़ाएगा और अंतरिक्ष, ऊर्जा और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों में निवेश को बढ़ावा देगा, ताकि नवाचार में यूएस-भारत का नेतृत्व बनाए रखा जा सके और 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा किया जा सके। दोनों ने इंडस-एक्स पहल केप्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी मजबूत किया, जो हमारी सेनाओं केलिए महत्वपूर्ण क्षमता का उत्पादन करने केलिए अमेरिकी और भारतीय रक्षा कंपनियों, निवेशकों और विश्वविद्यालयों के बीच साझेदारी की सुविधा प्रदान करता है और 2025 में अगले शिखर सम्मेलन का स्वागत किया। उभरती प्रौद्योगिकियों और उन्नत विनिर्माण केलिए महत्वपूर्ण खनिजों के रणनीतिक महत्व को पहचानते हुए भारत और अमेरिका अनुसंधान व विकास में सहयोग को तेज करेंगे और संपूर्ण महत्वपूर्ण खनिज मूल्य श्रृंखला में निवेश को बढ़ावा देंगे, साथही खनिज सुरक्षा साझेदारी के माध्यम से, जिसके अमेरिका और भारत दोनों सदस्य हैं। दोनों देशों ने महत्वपूर्ण खनिजों की खोज, लाभकारीकरण और प्रसंस्करण केसाथ-साथ पुनर्चक्रण प्रौद्योगिकियों में सहयोग को गहरा करने के प्रयासों को तेज करने केलिए प्रतिबद्धता जताई है।
नरेंद्र मोदी-ट्रंप ने 2025 को अमेरिका-भारत नागरिक अंतरिक्ष सहयोग केलिए एक अग्रणी वर्ष बताया, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री को लाने केलिए एएक्सओएम के जरिए नासा-इसरो के प्रयास की योजना है और संयुक्त एनआईएसएआर मिशन का शीघ्र प्रक्षेपण, दोहरे राडार का उपयोग करके पृथ्वी की सतह पर परिवर्तनों को व्यवस्थित रूपसे मैप करने वाला अपनी तरह का पहला मिशन है। दोनों ने अंतरिक्ष अन्वेषण में अधिक सहयोग का आह्वान किया, जिसमें लंबी अवधि के मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, अंतरिक्ष उड़ान सुरक्षा और ग्रह संरक्षण सहित उभरते क्षेत्रों में विशेषज्ञता और पेशेवर आदान-प्रदान साझा करना शामिल है। दोनों ने पारंपरिक और उभरते क्षेत्रों जैसे कनेक्टिविटी, उन्नत अंतरिक्ष उड़ान, उपग्रह और अंतरिक्ष प्रक्षेपण प्रणाली, अंतरिक्ष स्थिरता, अंतरिक्ष पर्यटन और उन्नत अंतरिक्ष निर्माण में उद्योग की भागीदारी के माध्यम से वाणिज्यिक अंतरिक्ष सहयोग को बढ़ाने केलिए प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने अमेरिका और भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान समुदायों केबीच संबंधों को गहरा करने के महत्व को रेखांकित किया, महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के शोध में अमेरिकी राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन और भारतीय अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन केबीच एक नई साझेदारी की घोषणा की। यह साझेदारी सेमीकंडक्टर, कनेक्टेड वाहन, मशीन लर्निंग, अगली पीढ़ी के दूरसंचार, बुद्धिमान परिवहन प्रणाली और भविष्य के जैव विनिर्माण के क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान को सक्षम करने केलिए यूएस नेशनल साइंस फाउंडेशन और कई भारतीय विज्ञान एजेंसियों केबीच चल रहे सहयोग पर आधारित है।
अमेरिका और भारत केबीच घनिष्ठ साझेदारी एक स्वतंत्र, खुले, शांतिपूर्ण और समृद्ध हिंद प्रशांत क्षेत्र केलिए केंद्रित है। क्वाड भागीदारों के रूपमें नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप ने दोहरायाकि यह साझेदारी आसियान केंद्रीयता की मान्यता, अंतर्राष्ट्रीय कानून और सुशासन का पालन, सुरक्षा और नेविगेशन की स्वतंत्रता, ओवरफ्लाइट और समुद्र के अन्य वैध उपयोगों केलिए समर्थन, बेरोक वैध वाणिज्य और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार समुद्री विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत द्वारा समर्थित है। प्रधानमंत्री ने कहाकि वह क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन केलिए नई दिल्ली में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मेजबानी करने केप्रति आशांवित हैं, इससे पूर्व वे प्राकृतिक आपदाओं केलिए नागरिक प्रतिक्रिया का समर्थन करने और अंतर-संचालन में सुधार केलिए समुद्री गश्ती केलिए साझा एयरलिफ्ट क्षमता पर नई क्वाड पहल को सक्रिय करेंगे। दोनों राजनेताओं ने मध्य पूर्व में भागीदारों केसाथ सहयोग बढ़ाने, कूटनीतिक परामर्श बढ़ाने और ठोस सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया। उन्होंने क्षेत्रमें शांति और सुरक्षा केलिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और आर्थिक गलियारों में निवेश के महत्व पर प्रकाश डाला। दोनों ने 2025 में नई पहलों की घोषणा करने केलिए अगले छह महीने के भीतर भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर और I2U2 समूह के भागीदारों को बुलाने की योजना बनाई है। अमेरिका हिंद महासागर क्षेत्रमें विकासात्मक, मानवीय सहायता और शुद्ध सुरक्षा प्रदाता के रूपमें भारत की भूमिका की सराहना की। इस संदर्भ में दोनों राजनेताओं ने विशाल हिंद महासागर क्षेत्रमें द्विपक्षीय संवाद और सहयोग को गहरा करने केलिए व आर्थिक संपर्क और वाणिज्य में समन्वित निवेश केलिए एक नया द्विपक्षीय, संपूर्ण-सरकारी मंच हिंद महासागर रणनीतिक उद्यम शुरू किया।
हिंद महासागर में अधिक संपर्क का समर्थन करते हुए दोनों ने मेटा की एक अंडरसी केबल परियोजना में बहुअरब बहुवर्षीय निवेश की घोषणा का भी स्वागत किया, जो इस वर्ष काम करना शुरू कर देगी और अंततः पांच महाद्वीपों को जोड़ने, हिंद महासागर क्षेत्र, उससे आगे वैश्विक डिजिटल राजमार्गों को मजबूत करने केलिए 50000 किलोमीटर से अधिक तक फैलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के संयुक्त वक्तव्य में इस बात पर फिर से जोर दियाकि आतंकवाद के वैश्विक संकट से लड़ा जाना चाहिए और दुनिया के हर कोने से आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों को खत्म किया जाना चाहिए। उन्होंने 26/11 को मुंबई में हुए हमलों और 26 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में एबी गेट बम विस्फोट जैसे जघन्य कृत्यों को रोकने केलिए अलकायदा, आईएसआईएस, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा सहित आतंकवादी समूहों से आतंकवादी खतरों के खिलाफ सहयोग को और ज्यादा मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नागरिकों को नुकसान पहुंचाने वालों को न्याय के कटघरे में लाने की साझा इच्छा को स्वीकार करते हुए अमेरिका ने तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। दोनों राजनेताओं ने पाकिस्तान से 26/11 मुंबई और पठानकोट हमलों के अपराधियों को शीघ्र न्याय के कटघरे में लाने और यह सुनिश्चित करने का भी आह्वान कियाकि उसके क्षेत्रका उपयोग सीमापार आतंकवादी हमलों को अंजाम देने केलिए न किया जाए। दोनों ने सामूहिक विनाश के हथियारों और उनकी डिलीवरी प्रणालियों के प्रसार को रोकने और आतंकवादियों और गैर-राज्य अभिनेताओं द्वारा ऐसे हथियारों तक पहुंच को रोकने केलिए मिलकर काम करने का भी संकल्प लिया।
राष्ट्रपति ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों देशों के लोगों केबीच संबंधों के महत्व पर ध्यान दिया और कहाकि 300000 से अधिक भारतीय छात्र समुदाय अमेरिकी अर्थव्यवस्था में वार्षिक 8 बिलियन डॉलर से अधिक का योगदान देता है और कई प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष नौकरियों के सृजन में मदद करता है। उन्होंने मानाकि छात्रों, शोधकर्ताओं और कर्मचारियों के प्रतिभा प्रवाह और आवागमन ने दोनों देशों को परस्पर लाभांवित किया है। दोनों राजनेताओं ने संयुक्त, दोहरी डिग्री और जुड़वां कार्यक्रमों, संयुक्त उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना और भारत में अमेरिका के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के अपतटीय परिसरों की स्थापना जैसे प्रयासों के माध्यम से उच्च शिक्षा संस्थानों केबीच सहयोग को मजबूत करने का संकल्प लिया। दोनों ने अवैध आव्रजन नेटवर्क, संगठित अपराध सिंडिकेट जिसमें नार्को-आतंकवादी मानव और हथियार तस्कर शामिल हैं केसाथ अन्य तत्व जो सार्वजनिक व राजनयिक सुरक्षा और सुरक्षा और दोनों देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खतरा पहुंचाते हैं, के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने केलिए कानून प्रवर्तन सहयोग को मजबूत करने कीभी प्रतिबद्धता दोहराई। राष्ट्रपति ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों देशों की सरकारों, उद्योगों और शैक्षणिक संस्थानों केबीच उच्चस्तरीय जुड़ाव और एक स्थायी भारत-अमेरिका साझेदारी केलिए अपने महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण को साकार करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की, जो दोनों देशों के लोगों की उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य की आकांक्षाओं को आगे बढ़ाएगी, वैश्विक कल्याण करेगी और एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत में योगदान देगी।