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Sunday 16 February 2025 02:16:36 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात को मान्यता के रूपमें स्वीकार किया हैकि देश के नागरिक विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं, जबकि देश की पिछली सरकारें कड़ी मेहनत और सुधारों से बचती थीं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि उन्होंने पहले ही बड़ी विनम्रता से कहा था कि भारत उनके तीसरे कार्यकाल में नई गति से काम करेगा। उन्होंने संतोष व्यक्त कियाकि यह गति अब स्पष्ट है और इसे देश से समर्थन मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईटी नाउ ग्लोबल बिजनेस समिट 2025 को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने ओडिशा, महाराष्ट्र, हरियाणा और नई दिल्ली के लोगों को विकसित भारत के प्रति प्रतिबद्धता जताकर अपार समर्थन दिखाने केलिए धन्यवाद दिया। फ्रांस और अमेरिका की यात्रा से लौटे नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज चाहे बड़े देश हों या वैश्विक मंच, भारत में उनका विश्वास पहले से कहीं अधिक मजबूत हुआ है। उन्होंने कहाकि यह भावना पैरिस में एआई एक्शन समिट में भी परिलक्षित हुई थी। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज भारत वैश्विक भविष्य की चर्चाओं के केंद्र में है और कुछ मामलों में तो अग्रणी भी है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज का विकसित भारत 2014 केबाद से भारत में सुधारों की एक नई क्रांति का परिणाम है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस तथ्य पर प्रकाश डालाकि भारत पिछले दशक में दुनिया की पांच शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया है, जो विकसित भारत के विकास की गति को दर्शाता है। उन्होंने कहाकि कुछही वर्ष में लोग जल्दही भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनते देखेंगे। उन्होंने जोर दियाकि भारत जैसे युवा देश केलिए यह आवश्यक गति है और भारत इसी गति से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहाकि आज भारत में जो सुधार किए जा रहे हैं, वे पूरे विश्वास केसाथ किए जारहे हैं। उन्होंने इस बातपर प्रकाश डाला कि देशमें शायद ही कोई चर्चा हुई होकि बड़े सुधार देश में कैसे महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने कहाकि भारत में उपनिवेशवाद (गुलामी) के बोझ तले जीना एक आदत बन गई थी, आजादी के बादभी ब्रिटिशकाल के अवशेषों को ढोया जाता जाता रहा है। उन्होंने एक उदाहरण दिया जहां 'न्याय में देरी, न्याय न मिलना है' जैसे वाक्यांश लंबे समय तक सुने जाते रहे, लेकिन इस मुद्दे के समाधान केलिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। प्रधानमंत्री ने कहाकि समय केसाथ लोग उस जीवन के इतने आदी हो गए और उन्हें बदलाव की जरूरत ही नज़र नहीं आई। उन्होंने कहाकि देश में एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र है, जो अच्छी बातों केबारे में चर्चा नहीं होने देता है और ऐसी चर्चाओं को रोकने में अपनी ऊर्जा लगाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हाल तक भारत में वर्ष 1860 की दंड संहिताएं थीं, जिनका उद्देश्य औपनिवेशिक शासन को मजबूत करना और भारतीय नागरिकों को दंडित करना था, इसपर नरेंद्र मोदी ने कहाकि सजा पर आधारित व्यवस्था न्याय नहीं दे सकती, जिससे लंबे समय तक न्याय मिलने में देरी होती थी। उन्होंने कहाकि 7-8 महीने पहले नई भारतीय न्यायिक संहिता के कार्यांवयन केबाद से उल्लेखनीय परिवर्तन आए हैं। उन्होंने उदाहरण दियाकि एक ट्रिपल मर्डर के मामले में एफआईआर दर्ज करने से लेकर सजा सुनाए जाने तक केवल 14 दिन लगे और इसमें अभियुक्त को उम्रकैद की सजा हो गई, इसी तरह एक नाबालिग की हत्या के मामले का निपटारा 20 दिन के अंदर कर लिया गया। प्रधानमंत्री ने बताया कि गुजरात में 9 अक्टूबर 2024 को दर्ज एक गैंगरेप के मामले में 26 अक्टूबर तक आरोप पत्र दायर किया गया और 15 फरवरी को अदालत ने त्वरित न्याय कर आरोपियों को दोषी ठहराया दिया। उन्होंने आंध्र प्रदेश का एक और उदाहरण दिया, जिसमें एक 5 महीने के बच्चे से जुड़े अपराध में अदालत ने अपराधी को 25 साल की सजा सुनाई। इस केस में डिजिटल साक्ष्य ने बड़ी भूमिका निभाई। एक अन्य मामले में ई-प्रिजन मॉड्यूल ने एक बलात्कार और हत्या के संदिग्ध का पता लगाने में सहायता की, जो पहले किसी अन्य राज्य में अपराध केलिए जेल जा चुका था, जिससे उसकी त्वरित गिरफ्तारी हुई। उन्होंने कहाकि अब ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां लोगों को समय पर न्याय मिल रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि लोकतंत्र में सकारात्मक चर्चाएं और मंथन होना महत्वपूर्ण है, हालांकि एक नैरेटिव बनाया गया हैकि कुछ नकारात्मक कहना या नकारात्मकता फैलाना लोकतांत्रिक माना जाता है, जबकि अगर सकारात्मक मुद्दों पर चर्चा की जाती है तो लोकतंत्र को कमजोर करार दिया जाता है, इस मानसिकता से बाहर आना जरूरी है। संपत्ति अधिकारों से संबंधित एक बड़े सुधार की ओर इशारा करते हुए नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के एक अध्ययन का उल्लेख किया, जो दर्शाता हैकि किसी भी देश में संपत्ति अधिकारों की कमी एक महत्वपूर्ण चुनौती है, दुनियाभर में लाखों लोगों के पास संपत्ति के कानूनी दस्तावेजों का अभाव है, संपत्ति का अधिकार होने से गरीबी कम करने में मदद मिलती है। उन्होंने कहाकि पिछली सरकारें इन जटिलताओं से अवगत थीं, लेकिन ऐसे चुनौतीपूर्ण कार्यों से बचती थीं, इस तरह के दृष्टिकोण से देश का निर्माण या संचालन नहीं किया जा सकता है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि देश में स्वामित्व योजना शुरू की गई, जिसमें देश के 3 लाख से अधिक गांवों का ड्रोन सर्वेक्षण हुआ और 2.25 करोड़ से अधिक लोगों को संपत्ति कार्ड मिले। उन्होंने कहाकि स्वामित्व योजना के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में 100 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति को खोजा जा सका है, यह संपत्ति पहले भी मौजूद थी, लेकिन संपत्ति के अधिकार के अभाव के कारण इसका उपयोग आर्थिक विकास केलिए नहीं किया जा सका, संपत्ति के अधिकार के अभाव के कारण ग्रामीण बैंकों से ऋण प्राप्त नहीं कर पाते थे। उन्होंने कहाकि यह मुद्दा अब स्थायी रूपसे हल हो गया है और आज देशभर से रिपोर्टें आ रही हैंकि स्वामित्व योजना संपत्ति कार्ड से लोगों को कैसे लाभ होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान की एक महिला केसाथ हाल ही में हुई बातचीत साझा की। उन्होंने बताया कि उस महिला को इस योजना के तहत संपत्ति कार्ड प्राप्त हुआ, उसका परिवार 20 वर्ष से एक छोटे से घर में रह रहा था और जैसे ही उसे संपत्ति कार्ड मिला, उसके बाद उसने एक बैंक से लगभग 8 लाख रुपये का ऋण प्राप्त किया, इस पैसे से उन्होंने एक दुकान शुरू की और अब इस आय से वह परिवार चलाती है बच्चों की उच्चशिक्षा का खर्च पूरा करती है। प्रधानमंत्री ने दूसरे राज्य का एक अन्य उदाहरण साझा करते हुए कहाकि एक ग्रामीण ने एक बैंक से 4.5 लाख रुपये का ऋण प्राप्त करने केलिए अपने संपत्ति कार्ड का उपयोग किया और परिवहन व्यवसाय शुरू करने केलिए एक वाहन खरीदा, दूसरे गांव में एक किसान ने अपनी जमीन पर आधुनिक सिंचाई सुविधाएं स्थापित करने केलिए अपने संपत्ति कार्ड पर ऋण का उपयोग किया। प्रधानमंत्री ने ऐसे कई उदाहरण दे डाले, जहां गांवों और गरीबों को इन सुधारों के कारण आय के नए रास्ते मिले हैं। उन्होंने सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन की वास्तविक कहानियां बताईं जो आमतौर पर समाचार पत्रों और टीवी चैनलों में सुर्खियां नहीं बनती हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दियाकि आजादी केबाद खराब शासन व्यवस्था की वजह से देश के कई जिले विकास से अछूते रह गए, इन जिलों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय उन्हें पिछड़ा करार दिया गया और उनके हाल पर छोड़ दिया गया। उन्होंने कहाकि कोई भी उनके मुद्दों को हल करने को तैयार नहीं था और सरकारी अधिकारियों को सजा के रूपमें पोस्टकर वहां भेजा गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हमने 100 से अधिक जिलों को आकांक्षी जिले घोषित करके इस दृष्टिकोण को बदल दिया है। उन्होंने कहाकि सूक्ष्म स्तर पर प्रशासन में सुधार केलिए युवा अधिकारियों को इन जिलों में भेजा गया, जिन्होंने उन पैरामीटर्स पर काम किया, जिसकी वजह से ये जिले पिछड़ गए थे और प्रमुख सरकारी योजनाओं को मिशन मोड में लागू किया गया, आज इनमें से कई आकांक्षी जिले प्रेरणादायक जिले बन गए हैं। एक उदाहरण देते हुए नरेंद्र मोदी ने कहाकि 2018 में असम के बारपेटा में केवल 26% प्राथमिक विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात था, जो अब 100% हो गया है। उन्होंने कहाकि बिहार के बेगुसराय में पूरक पोषण प्राप्त करने वाली गर्भवती महिलाओं की संख्या 21% थी और उत्तर प्रदेश के चंदौली में यह संख्या 14% थी, जबकि आज दोनों जिलों ने 100% हासिल किया है। प्रधानमंत्री ने बाल टीकाकरण अभियानों में उल्लेखनीय सुधार का भी उल्लेख किया। उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती में टीकाकरण 49 प्रतिशत से बढ़कर 86 प्रतिशत हो गया है, जबकि तमिलनाडु के रामनाथपुरम में यह 67 प्रतिशत से बढ़कर 93 प्रतिशत हो गया, ऐसी सफलताओं को देखते हुए देश में 500 ब्लॉकों को अब आकांक्षी ब्लॉक घोषित किया गया है और इन क्षेत्रों में तेजी से काम चल रहा है।
ईटी नाउ ग्लोबल बिजनेस सम्मेलन में आए उद्योग जगत के दिग्गजों के व्यापार में दशकों के अनुभव को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री ने याद कियाकि भारत में व्यावसायिक वातावरण उनकी इच्छा कैसे सूची का हिस्सा हुआ करती थी। उन्होंने पिछले 10 वर्ष में हुई प्रगति का जिक्र कियाकि एक दशक पहले भारतीय बैंक संकट में थे और बैंकिंग प्रणाली नाजुक थी, क्योंकि लाखों भारतीय बैंकिंग प्रणाली से बाहर थे। उन्होंने कहाकि भारत उन देशों में से एक है, जहां ऋण तक पहुंच सबसे चुनौतीपूर्ण है, लेकिन हमारी सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र को मजबूत करने केलिए कई रणनीतियां बनाईं, इसके तहत बैंकिंग से वंचित लोगों को बैंक से जोड़ना, असुरक्षित लोगों को सुरक्षित करना और वित्त पोषित लोगों को धन देना शामिल है। उन्होंने कहाकि वित्तीय समावेशन में काफी सुधार हुआ है, अब लगभग हर गांव में 5 किलोमीटर के दायरे में एक बैंक शाखा या बैंकिंग अभिकर्ता हैं। उन्होंने मुद्रा योजना का उदाहरण दिया, जिसने उन व्यक्तियों को लगभग 32 लाख करोड़ रुपये प्रदान किए हैं, जो पुरानी बैंकिंग प्रणाली के तहत ऋण प्राप्त नहीं कर पाते थे। उन्होंने कहाकि एमएसएमई केलिए ऋण बहुत आसान हो गया है, यहां तककि रेहड़ी-ठेली और पटरी वाले (स्ट्रीट वेंडर्स) को भी आसान ऋण से जोड़ा गया है, जबकि किसानों को दिया जानेवाला ऋण दोगुना से अधिक हो गया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि जहां सरकार बड़ी संख्या में ऋण प्रदान कर रही है, वहीं बैंकों का मुनाफा भी बढ़ रहा है। उन्होंने इसकी तुलना 10 साल पहले से की, जब रिकॉर्ड बैंक घाटे की ख़बरें और एनपीए पर चिंता व्यक्त करनेवाले संपादकीय अखबारों में छपते थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि अप्रैल से दिसंबर तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक का मुनाफा दर्ज किया है, यह सिर्फ हेडलाइंस में बदलाव नहीं है, बल्कि बैंकिंग सुधारों में निहित एक प्रणालीगत बदलाव है, जो अर्थव्यवस्था के मजबूत स्तंभों को दर्शाता करता है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि बीते एक दशक में उनकी सरकार ने 'व्यापार की चिंता' को 'व्यापार करने में आसानी' में बदल दिया है। उन्होंने जीएसटी के माध्यम से एकल बड़े बाजार की स्थापना से उद्योगों को प्राप्त लाभों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि पिछले दशक में बुनियादी ढांचे में अभूतपूर्व विकास हुआ है, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत कम हुई है और दक्षता भी बढ़ी है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि सरकार ने सैकड़ों अनुपालनों को समाप्त कर दिया है और अब जन विश्वास 2.0 के माध्यम से अनुपालन को और कम कर रही है। उन्होंने कहाकि समाज में सरकारी हस्तक्षेप को कम करने केलिए विनियमन आयोग की भी स्थापना की जा रही है। नरेंद्र मोदी ने ध्यान दिलायाकि भारत भविष्य की तैयारियों से संबंधित एक महत्वपूर्ण परिवर्तन देख रहा है, पहली औद्योगिक क्रांति के दौरान भारत औपनिवेशिक शासन से ग्रसित था, दूसरी औद्योगिक क्रांति के दौरान जब दुनियाभर में नए आविष्कार और कारखाने उभर रहे थे, भारत में स्थानीय उद्योगों को नष्ट किया जा रहा था और कच्चा माल देश से बाहर भेजा जा रहा था। उन्होंने कहाकि आजादी केबाद भी परिस्थितियों में ज्यादा बदलाव नहीं आया। उन्होंने कहाकि जब दुनिया कंप्यूटर क्रांति की ओर बढ़ रही थी, तब भारत में कंप्यूटर खरीदने केलिए लाइसेंस लेना पड़ता था। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत को पहली तीन औद्योगिक क्रांतियों से ज्यादा लाभ नहीं हुआ, लेकिन देश अब चौथी औद्योगिक क्रांति में दुनिया केसाथ कदम से कदम मिलाने केलिए तैयार है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि उनकी सरकार विकसित भारत की यात्रा में निजी क्षेत्र को एक महत्वपूर्ण भागीदार मानती है, निजी क्षेत्र केलिए कई नए क्षेत्र खोले गए हैं जैसे-अंतरिक्ष क्षेत्र, जहां कई युवा और स्टार्टअप महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, ड्रोन क्षेत्र युवाओं केलिए व्यापक अवसर सामने ला रहा है, वाणिज्यिक कोयला खनन क्षेत्र को निजी कंपनियों केलिए खोल दिया गया है और निजी कंपनियों केलिए नीलामी प्रक्रिया को उदार बनाया गया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि निजी क्षेत्र देश की नवीकरणीय ऊर्जा उपलब्धियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और सरकार दक्षता बढ़ाने केलिए बिजली वितरण क्षेत्रमें निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने रेखांकित कियाकि हालिया बजट में एक महत्वपूर्ण बदलाव निजी भागीदारी केलिए परमाणु क्षेत्र को खोलना है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आजकी राजनीति प्रदर्शनउन्मुख हो गई है और भारत के लोगों ने स्पष्ट रूपसे कहा हैकि केवल जमीन से जुड़े और परिणाम देने वाले ही टिके रहेंगे। उन्होंने कहाकि उनकी सरकार ने लोगों के मुद्दों को संवेदनशीलता केसाथ समझा है और उन्हें हल करने केलिए जुनून और उत्साह केसाथ आवश्यक कदम उठाए हैं। नरेंद्र मोदी ने वैश्विक अध्ययनों का हवाला देते हुए बतायाकि पिछले एक दशक में बुनियादी सुविधाओं और सशक्तिकरण की वजह से 25 करोड़ भारतीय गरीबी से बाहर निकले हैं और यह बड़ा समूह नव-मध्यम वर्ग का हिस्सा बन गया है, जो अब अपने पहले दोपहिया, पहली कार और पहले घर का सपना देख रहा है। उन्होंने कहाकि मध्यम वर्ग का समर्थन करने केलिए इस बार के बजट में शून्य कर सीमा को 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया गया है, जिससे पूरे मध्यम वर्ग को मजबूती मिली है और आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहाकि ये उपलब्धियां एक सक्रिय और संवेदनशील सरकार के कारण संभव हुई हैं।