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Tuesday 4 March 2025 12:39:11 PM
गिर (गुजरात)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व वन्यजीव दिवस पर राजसी एशियाई शेरों के घर के रूपमें विख्यात गिर राष्ट्रीय उद्यान का दौरा किया। उन्होंने इस अवसर पर उन सामूहिक प्रयासों की सराहना की, जिनके कारण देश में एशियाई शेरों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। गौरतलब हैकि एशियाई शेरों की जनसंख्या का अनुमान हर पांच साल में एकबार किया जाता है, पिछलीबार ऐसा 2020 में किया गया था। प्रधानमंत्री ने 2025 में शेरों की संख्या का अनुमान करने के 16वें चक्र की शुरुआत की घोषणा की। यह देखते हुएकि एशियाई शेरों ने अब प्राकृतिक फैलाव के माध्यम से बर्दा वन्यजीव अभयारण्य को अपना घर बना लिया है प्रधानमंत्री ने घोषणा कीकि बर्दा में शेर संरक्षण को शिकार वृद्धि और अन्य आवास सुधार प्रयासों के जरिए समर्थन दिया जाएगा। उन्होंने राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की 7वीं बैठक में वन्यजीव संरक्षण में सरकार की विभिन्न पहलों की भी समीक्षा की, जिनमें नए संरक्षित क्षेत्रों के निर्माण और प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलीफेंट, प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड जैसे प्रजाति विशिष्ट प्रमुख कार्यक्रमों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने डॉल्फिन और एशियाई शेरों के संरक्षण संबंधी प्रयासों और अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट्स एलायंस की स्थापना की जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने पहलीबार नदी डॉल्फिन अनुमान रिपोर्ट जारी की, जिसके अनुसार देश में नदी डॉल्फिन की कुल संख्या 6327 है, रिपोर्ट में आठ राज्यों की 28 नदियों का सर्वेक्षण किया गया है, जिनमें 8500 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को कवर करने केलिए 3150 दिन का समय लगा। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक नदी डॉल्फिन की संख्या दर्ज की गई, उसके बाद बिहार, पश्चिम बंगाल और असम का स्थान रहा। प्रधानमंत्री ने स्थानीय लोगों और ग्रामीणों की भागीदारी से डॉल्फिन संरक्षण के बारेमें जागरुकता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने डॉल्फिन के आवास क्षेत्रों में स्कूली बच्चों केलिए जागरुकता यात्राएं भी आयोजित करने की सलाह दी। प्रधानमंत्री ने जूनागढ़ में राष्ट्रीय वन्यजीव रेफरल सेंटर की आधारशिला रखी, जो वन्यजीव स्वास्थ्य और रोग प्रबंधन से संबंधित विभिन्न पहलुओं के समन्वय और एक प्रशासनिक केंद्र के रूपमें कार्य करेगा। वन्यजीव आवासों के विकास और संरक्षण के साधन के रूपमें इकोटूरिज्म के महत्व पर उन्होंने कहाकि वन्यजीव पर्यटन केलिए यात्रा और कनेक्टिविटी में आसानी होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने में सक्षम और प्रभावी प्रबंधन केलिए कोयंबटूर के सलीम अली पक्षी विज्ञान और प्राकृतिक इतिहास केंद्र (एसएसीओएन) में भारतीय वन्यजीव संस्थान परिसर में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की घोषणा की। यह केंद्र राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उन्नत प्रौद्योगिकी केसाथ तीव्र प्रतिक्रिया टीमों, ट्रैकिंग, पूर्व चेतावनी केलिए गैजेट से लैस करने में सहायता करेगा, मानव-वन्यजीव संघर्ष के हॉटस्पॉट में निगरानी और घुसपैठ का पता लगाने वाली प्रणालियों को निर्धारित करेगा और संघर्ष शमन उपायों को निष्पादित करने केलिए क्षेत्रके चिकित्सकों और समुदाय की क्षमता का निर्माण करेगा। प्रधानमंत्री ने जंगल की आग और मानव-पशु संघर्ष जैसी समस्याओं से निपटने केलिए रिमोट सेंसिंग और भू-स्थानिक मानचित्रण तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व मशीन लर्निंग के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने मानव-वन्यजीव संघर्ष की चुनौती से निपटने केलिए भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग संस्थान और जिओ-इन्फॉरमेटिक्स, (बीआईएसएजी-एन) केसाथ भारतीय वन्यजीव संस्थान को जोड़ने का सुझाव दिया।
वनों की आग की निगरानी और प्रबंधन केलिए विशेष रूपसे अत्यधिक संवेदनशील संरक्षित क्षेत्रों में पूर्वानुमान, पता लगाने, रोकथाम और नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग के जरिए भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून और बीआईएसएजी-एन केबीच सहयोग की सलाह दी। प्रधानमंत्री ने बतायाकि चीता को मध्य प्रदेश के गांधीसागर अभयारण्य और गुजरात के बन्नी घास के मैदानों सहित अन्य क्षेत्रोंमें भी लाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने बाघ अभयारण्यों के बाहर बाघों के संरक्षण पर केंद्रित एक योजना की घोषणा की, जिसका उद्देश्य स्थानीय समुदायों केसाथ सहअस्तित्व सुनिश्चित करके इन अभयारण्यों के बाहर के क्षेत्रोंमें मानव-बाघ और दूसरे सहशिकारी संघर्षों को संबोधित करना है। घड़ियालों की घटती जनसंख्या को देखते हुए तथा उनके संरक्षण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री ने उनके संरक्षण केलिए भी एक नई परियोजना की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण के प्रयासों की सराहना की और राष्ट्रीय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड संरक्षण कार्ययोजना के बारेमें बताया। प्रधानमंत्री ने बोर्ड और पर्यावरण मंत्रालय से वनों और वन्यजीवों के संरक्षण व प्रबंधन के संबंध में भारत के विभिन्न क्षेत्रों के पारंपरिक ज्ञान और पांडुलिपियों को शोध और विकास केलिए एकत्रित करने को कहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन्यजीव संरक्षण रणनीति और भविष्य की कार्रवाई केलिए रोडमैप तैयार करने और भारतीय भालू, घड़ियाल व ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण व विकास पर काम करने केलिए विभिन्न टास्क फोर्स गठन केलिए कहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि गिर राष्ट्रीय उद्यान शेर और तेंदुए के संरक्षण की एक अच्छी सफलता की कहानी है। उन्होंने सुझायाकि इस पारंपरिक ज्ञान का दूसरे राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों में भी उपयोग केलिए एआई की मदद से दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर संयुक्तराष्ट्र सम्मेलन केतहत समन्वय इकाई में सहयोग बढ़ाने का सुझाव दिया। प्रधानमंत्री ने वन्यजीव संरक्षण में स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी की प्रशंसा की। उन्होंने वन्यजीव संरक्षण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित उन्नत प्रौद्योगिकियों के उपयोग के महत्व पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने वन क्षेत्रों में औषधीय पौधों के अनुसंधान और दस्तावेज़ीकरण पर सलाह दी, जो पशु स्वास्थ्य प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने वैश्विक स्तरपर पशु स्वास्थ्य प्रबंधन केलिए पौधों पर आधारित चिकित्सा प्रणालियों के उपयोग को बढ़ावा देने की संभावनाओं का उल्लेख किया। बैठक केबाद प्रधानमंत्री ने फ्रंटलाइन वन कर्मचारियों केलिए मोटरसाइकिलों को हरी झंडी दिखाई। उन्होंने गिर में फील्डस्तर के अधिकारियों से बातचीत की, जिसमें फ्रंटलाइन कर्मचारी, इको गाइड और ट्रैकर शामिल थे।