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'भारतीय प्रशासनिक सेवा का हुआ लोकतंत्रीकरण'

आईएएस अब एक विशिष्ट वर्ग तक सीमित नहीं रहा-कार्मिक राज्यमंत्री

राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने प्रदान किए 'एक्सीलेंस इन गवर्नेंस अवार्ड्स'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 6 March 2025 12:26:07 PM

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नई दिल्ली। भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस नेक्स्ट जेन कॉन्क्लेव ‘एक्सीलेंस इन गवर्नेंस अवार्ड्स’ को संबोधित करते हुए कहा हैकि सिविल सेवाओं का व्यापक लोकतंत्रीकरण हुआ है, आईएएस अब एक विशिष्ट वर्ग तक सीमित नहीं है। डॉ जितेंद्र सिंह ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के लोकतंत्रीकरण पर प्रकाश डाला और कहाकि यह अब समाज के एक विशिष्ट वर्ग तकही सीमित नहीं रहा है। उन्होंने बतायाकि सिविल सेवाएं भारत के विविध ताने-बाने का प्रतिनिधित्व करने केलिए विकसित हुई हैं, जो विभिन्न पृष्ठभूमि के नागरिकों केलिए व्यापक पहुंच सुनिश्चित करती हैं। उन्होंने स्वीकार कियाकि 15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि से देश में शासन में एक बुनियादी बदलाव आया। उन्होंने ब्रिटिश युग की भारतीय सिविल सेवा (आईसीएस) को आईएएस में बदलने की निंदा की और इस बात पर जोर दियाकि जिला कलेक्टर की भूमिका में बड़े स्तरपर बदलाव लाया गया है।
कार्मिक राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि पहले राजस्व संग्रह पर ध्यान केंद्रित करने वाले आधुनिक जिला कलेक्टर अब ‘जिला विकास आयुक्त (डीडीसी)’ के रूपमें कार्य कर रहे हैं, जो विकास का नेतृत्व करते हैं और अपने जिलों में बदलाव के प्रमुख एजेंट हैं। उन्होंने कहाकि औपनिवेशिक दृष्टिकोण के कुछ चुनिंदा विचारों को स्वीकार करते हुए सिविल सेवक जनता से दूरी बनाए रखते थे। डॉ जितेंद्र सिंह ने सिविल सेवाओं में बड़े बदलावों का भी ज़िक्र किया। सिविल सेवकों और आम जनता केबीच बढ़ती नज़दीकियों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहाकि आज देशभर के कई जिलों में हर रोज कॉलेजों के सामने विरोध प्रदर्शन होता है, जहां नागरिक स्वतंत्र रूपसे अपनी चिंताओं और शिकायतों को व्यक्त करते हैं। राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने नेतृत्वकारी भूमिकाओं में महिलाओं के बढ़ते प्रतिनिधित्व और भारत के विविध क्षेत्रों में शीर्ष रैंक हासिल करने में उनके लगातार प्रदर्शन का हवाला देते हुए उनकी सिविल सेवाओं में बढ़ती समावेशिता की सराहना की। उन्होंने सिविल सेवाओं में महिलाओं की लगातार बढ़ोत्तरी पर गर्व व्यक्त किया, जो लैंगिक समानता और सशक्तिकरण केप्रति भारत की प्रतिबद्धता की सफलता को दर्शाता है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने ईमानदारी के महत्व पर जोर देते हुए सिविल सेवकों से अपने दैनिक पेशेवर जीवन में ईमानदारी और नैतिक आचरण अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि बढ़ी हुई जवाबदेही, पारदर्शिता और सुशासन भारत में आजकी सिविल सेवाओं की पहचान हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने आईएएस परिवीक्षाधीन अधिकारियों केलिए विभिन्न मंत्रालयों में सहायक सचिवों के रूपमें तीन महीने के कार्यकाल जैसी उल्लेखनीय पहल पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि यह अनुभव आईएएस अधिकारियों को शासन के केंद्र में रहकर नीति निर्माण प्रक्रियाओं के लिए मूल्यवान अनुभव प्रदान करता है, जिससे राष्ट्रीय नीति और प्रशासन की उनकी समझ भी समृद्ध होती है। डॉ जितेंद्र सिंह ने अभिभावकों से सिविल सेवाओं में शामिल होने के इच्छुक अपने बच्चों केलिए महंगे कोचिंग कार्यक्रमों में निवेश पर पुनर्विचार करने की अपील की। अपने स्वयं के अनुभव के आधार पर उन्होंने इस बात पर जोर दियाकि विभिन्न पृष्ठभूमियों के कई सफल उम्मीदवार अक्सर नवोदय विद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों जैसे सरकारी स्कूलों से महंगी कोचिंग के बगैर सफल हुए हैं।

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