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Tuesday 11 March 2025 12:24:13 PM
कोलकाता। केंद्रीय आयुष मंत्रालय की केंद्रीय आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) और केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई) कोलकाता ने मधुमेह पर नियंत्रण परियोजना के अंतर्गत आयुर्वेद अनुसंधान को बढ़ावा देते हुए स्कूल ऑफ नेचुरल प्रोडक्ट स्टडीज (एसएनपीएस) जादवपुर विश्वविद्यालय कोलकाता केसाथ एक समझौता किया है। यह समझौता ‘प्रायोगिक पशुओं में मधुमेह के प्रबंधन में एक प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक सूत्रीकरण, विडंगादि लौहम का मूल्यांकन’ एक सहयोगी शोध परियोजना की शुरुआत का प्रतीक है। दावा किया गया हैकि आयुर्वेद अनुसंधान के क्षेत्रमें इस शोध परियोजना की सफलता में अपार संभावनाएं हैं, इस अनुसंधान का मकसद मधुमेह पर विडंगादि लौहम के उपयोग केलिए एक मजबूत वैज्ञानिक आधार स्थापित करना है।
केंद्रीय आयुष मंत्रालय का कहना हैकि औषधीय पौधों की जैव भौतिकीय विशेषताओं और जैविक गतिविधि का विश्लेषण करके यह अध्ययन भारत की समृद्ध औषधीय पौधों की विरासत के संरक्षण और उद्धार में अहम योगदान देगा। इसके नतीजे मधुमेह एवं उसकी जटिलताओं से निपटने केलिए उच्च गुणवत्ता वाले, सुरक्षित और प्रभावी आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन विकसित करने में मददगार साबित होंगे। इसके अलावा यह परियोजना औषधीय पौधों के स्वास्थ्य लाभों को प्रमाणित करने केलिए एक व्यापक डेटाबेस की जरूरत पर फोकस करती है, जिससे वैश्विक स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में उनकी विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सके। दरअसल इसका लक्ष्य आयुर्वेदिक फार्मूलों को प्राकृतिक स्वास्थ्य प्रचार एजेंट के रूपमें लोकप्रिय बनाना है, जिससे दुनियाभर में पारंपरिक चिकित्सा को अधिक से अधिक बढ़ावा मिले।
मधुमेह के एक बढ़ती हुई वैश्विक चिंता के रूपमें उभरने की स्थिति में इस शोध पहल में कम से कम या बिना किसी दुष्प्रभाव वाले आयुर्वेदिक योग के विकास की संभावना है, जिससे आखिरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होगा और अनगिनत लोगों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि होगी। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के दौरान दोनों संस्थानों के अधिकारी, जिनमें सीएआरआई कोलकाता के निदेशक डॉ जी बाबू, फार्माकोग्नोसी सहायक निदेशक डॉ अनुपम मंगल, फार्माकोलॉजी अनुसंधान अधिकारी डॉ लालरिन पुइया,फार्माकोलॉजी सहायक निदेशक डॉ शरद डी पवार और अनुसंधान अधिकारी (एईपी) डॉ राहुल सिंह शामिल थे। एसएनपीएस जादवपुर विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करते हुए परियोजना के निदेशक और प्रधान अन्वेषक प्रोफेसर (डॉ) पल्लब कांति हलदर भी इस मौके पर मौजूद थे।