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महाकुंभ: राष्ट्रीय चेतना का गहन जागरण-मोदी

देश व दुनिया ने महाकुंभ में किए भारत के विराट स्वरूप के दर्शन

प्रधानमंत्री का महाकुंभ के सफल आयोजन पर संसद में संबोधन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 18 March 2025 03:55:17 PM

pm narendra modi

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आस्था और भारतीय सनातन परंपरा एवं सांस्कृतिक विरासत के महापर्व महाकुंभ के सफल आयोजन पर आज संसद को संबोधित किया। उन्होंने देश के उन असंख्य नागरिकों को हार्दिक बधाई दी, जिनके प्रयासों से महाकुंभ की भव्य सफलता सुनिश्चित हुई। महाकुंभ को सफल बनाने में विभिन्न व्यक्तियों और समूहों के सामूहिक योगदान पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने सरकार, समाज और समर्पित कर्मयोगियों के प्रयासों को स्वीकार किया और उनकी खूब प्रशंसा की। नरेंद्र मोदी ने देशभर के श्रद्धालुओं, विशेषकर उत्तर प्रदेश के लोगों और प्रयागराजवासियों का उनके अमूल्य समर्थन व भागीदारी केलिए विशेष उल्लेख करते हुए आभार व्यक्त किया। नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ के भव्य आयोजन केलिए लोगों के अथक प्रयासों को रेखांकित किया और इसकी तुलना माँ गंगा को धरती पर लाने के पौराणिक भागीरथ से किया। उन्‍होंने लालकिले से अपने संबोधन ‘सबका प्रयास’ का उल्लेख किया और कहाकि महाकुंभ ने दुनिया को भारत की भव्यता दिखाई, महाकुंभ लोगों के अटूट विश्वास से प्रेरित सामूहिक संकल्प, भक्ति और समर्पण की अभिव्यक्ति है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ में राष्ट्रीय चेतना की गहन जागृति पर प्रकाश डालाकि कैसे यह चेतना राष्ट्र को नए संकल्पों और उन्हें पूरा करने केलिए प्रेरित करती है। उन्होंने कहाकि महाकुंभ ने राष्ट्र की क्षमताओं के बारेमें कुछ लोगों की शंकाओं और आशंकाओं को निर्मूल कर दिया। राष्ट्र की परिवर्तनकारी यात्रा पर प्रकाश डालते हुए पिछले वर्ष अयोध्या में श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह और इसवर्ष महाकुंभ केबीच समानता दर्शाते हुए नरेंद्र मोदी ने कहाकि ये आयोजन अगली सहस्राब्दी केलिए राष्ट्र की तत्परता को सुदृढ़ करते हैं। उन्होंने कहाकि राष्ट्र की सामूहिक चेतना इसकी अपार क्षमता को दर्शाती है, मानव इतिहास की तरहही राष्ट्र के इतिहास में महत्वपूर्ण क्षण आनेवाली पीढ़ियों केलिए उदाहरण के रूपमें काम करते हैं। उन्होंने स्वदेशी आंदोलन के दौरान आध्यात्मिक पुनरुत्थान, शिकागो में स्वामी विवेकानंद के जोरदार भाषण और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण क्षणों जैसे-1857 के विद्रोह, भगत सिंह की शहादत, नेताजी सुभाषचंद्र बोस के ‘दिल्ली चलो’ आह्वान और महात्मा गांधी की दांडी यात्रा का हवाला देते हुए भारत के ऐतिहासिक मील के पत्थरों पर विचार किया, जिन्होंने राष्ट्र को जागृत किया और नई दिशा प्रदान की। उन्होंने कहाकि प्रयागराज महाकुंभ भी इसी तरह का एक मील का पत्थर है, जो राष्ट्र की जागृत भावना का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत में लगभग डेढ़ महीने तक चले महाकुंभ में देखे गए जीवंत उत्साह को रेखांकित करते हुए कहाकि करोड़ों श्रद्धालुओं ने सुविधा या असुविधा की बिना चिंता किए अटूट आस्था केसाथ भाग लिया और देश की अपार शक्ति का प्रदर्शन किया। मॉरीशस की अपनी हालिया यात्रा का हवाला देते हुए जहां वे महाकुंभ के दौरान एकत्र किए गए त्रिवेणी प्रयागराज से पवित्र जल लेकर गए थे, प्रधानमंत्री ने मॉरीशस के गंगा तालाब में पवित्र जल अर्पित करने के समय भक्ति और उत्सव के गहन माहौल का उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि यह भारत की परंपराओं, संस्कृति और मूल्यों को अपनाने, मनाने और संरक्षित करने की बढ़ती भावना को दर्शाता है। नरेंद्र मोदी ने पीढ़ियों से चली आरही परंपराओं की निर्बाध निरंतरता पर टिप्पणी की और कहाकि भारत के आधुनिक युवा महाकुंभ और अन्य त्योहारों में गहरी श्रद्धा के साथ सक्रिय रूपसे भाग लेते हैं, आजके युवा अपनी परंपराओं, आस्था और विश्वासों को गर्व केसाथ अपना रहे हैं, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत केसाथ उनके मजबूत जुड़ाव को दर्शाता है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि जब कोई समाज अपनी विरासत पर गर्व करता है तो वह भव्य और प्रेरक क्षण बनाता है जैसाकि महाकुंभ के दौरान देखा गया। उन्होंने कहाकि इस तरहका गर्व एकता को बढ़ावा देता है और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने केलिए आत्मविश्वास को मजबूत करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि परंपराओं, आस्था और विरासत से जुड़ाव समकालीन भारत केलिए एक मूल्यवान संपत्ति है, जो देश की सामूहिक ताकत और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है। उन्होंने कहाकि महाकुंभ ने कई अमूल्य परिणाम दिए हैं, जिसमें एकता की भावना सबसे पवित्र भेंट है, देश के हर क्षेत्र और कोने से लोग प्रयागराज में एकसाथ आए, व्यक्तिगत अहंकार को अलग रखते हुए और ‘मैं’ की बजाय ‘हम’ की सामूहिक भावना को अपनाया। उन्होंने कहाकि विभिन्न राज्यों के लोग पवित्र त्रिवेणी का हिस्सा बन गए, जिससे राष्ट्रवाद और एकता की भावना मजबूत हुई। उन्होंने कहाकि जब विभिन्न भाषाएं और बोलियां बोलने वाले लोग संगम पर हर-हर गंगे का नारा लगाते हैं तो यह ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के सार को दर्शाता है और एकता की भावना को बढ़ाता है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि महाकुंभ ने छोटे और बड़े केबीच भेदभाव की अनुपस्थिति को प्रदर्शित किया, जो भारत की अपार शक्ति को दर्शाता है। उन्होंने कहाकि राष्ट्र के भीतर अंतर्निहित एकता इतनी गहन हैकि यह सभी विभाजनकारी प्रयासों को मात देती है। उन्होंने कहाकि यह एकता भारतीयों केलिए एक महान सौभाग्य है और विखंडन का सामना कररहे विश्व में एक महत्वपूर्ण ताकत है।
महाकुंभ से मिलीं अनेक प्रेरणाओं के बारेमें बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोहरायाकि विविधता में एकता भारत की पहचान है, एक भावना जिसे लगातार महसूस किया जाता है और अनुभव किया जाता है जैसाकि प्रयागराज महाकुंभ की भव्यता से स्पष्ट होता है। उन्होंने राष्ट्र से विविधता में एकता की इस अनूठी विशेषता को समृद्ध करना जारी रखने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमारे देश में इतनी सारी छोटी-बड़ी नदियां हैं, कई नदियां ऐसी हैं, जिनपर संकट है, कुंभ से प्रेरणा लेते हुए हमें नदी उत्सव की परंपरा को नया विस्तार देना होगा, इसबारे में हमें जरूर सोचना चाहिए, इससे वर्तमान पीढ़ी को पानी का महत्व समझ आएगा, नदियों की साफ-सफाई को बल मिलेगा, नदियों की रक्षा होगी। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि महाकुंभ से प्राप्त प्रेरणाएं राष्ट्र के संकल्पों को प्राप्त करने केलिए एक सशक्त माध्यम बनेंगी। उन्होंने महाकुंभ के आयोजन में शामिल प्रत्येक व्यक्ति की सराहना की, देश-विदेशभर के श्रद्धालुओं को नमन किया और सदन की ओर से शुभकामनाएं दीं।

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