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दिल्ली विधानसभा में लोकसभा स्पीकर का संबोधन

'नई सरकार से दिल्ली के लोगों की अपेक्षाएं व आकांक्षाएं बहुत अधिक'

दिल्ली विधानसभा सदस्यों के लिए दो दिवसीय ओरिएंटेशन कार्यक्रम

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 19 March 2025 12:52:09 PM

lok sabha speaker in delhi assembly

नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दिल्ली विधानसभा के सदस्यों से इसे आदर्श विधानसभा बनाने को कहा है, क्योंकि नई सरकार से दिल्लीवासियों की अपेक्षाएं और आकांक्षाएं बहुत अधिक हैं। ओम बिरला ने कहाकि दिल्ली के जनप्रतिनिधि सर्वप्रथम दिल्ली के लोगों केप्रति जवाबदेह हैं, लेकिन पूरा देश उनके काम पर नज़र रखता है। ओम बिरला ने सदस्यों से लोगों की समस्याओं केलिए अभिनव समाधान खोजने और प्रतिस्पर्धी भावना से विचारों और अनुभवों को साझा करने का आग्रह करते हुए कहाकि विधायकों का उद्देश्य विधानसभा में ऐसे नवाचार पेश करना होना चाहिए, जो लोगों की समस्याओं का समाधान करने में त्वरित और कारगर हों। उन्होंने कहाकि देश की राजधानी दिल्ली से निकलने वाले समाधान न केवल दिल्ली के काम आएंगे, बल्कि देश के दूसरे राज्यों और विधायी निकायों केलिए भी उदाहरण स्थापित करेंगे।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दिल्ली विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों केलिए दो दिवसीय ओरिएंटेशन कार्यक्रम का उद्घाटन किया। ओरिएंटेशन कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली विधानसभा और संसदीय लोकतंत्र अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (पीआरआईडीई) लोकसभा सचिवालय ने किया है। ओम बिरला ने सदस्यों को सुझाव दियाकि वे अपने निर्वाचन क्षेत्रों तक सीमित रहने के बजाय समग्र रूपसे दिल्ली के विकास पर ध्यान केंद्रित करें। यह देखते हुएकि दिल्ली भारत का छोटा सा हिस्सा है, जहां सभी राज्यों के लोग, विभिन्न भाषाओं, धर्मों और संस्कृतियों केलोग एकसाथ आते हैं ओम बिरला ने कहाकि इन विभिन्न आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को पूरा करना जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहाकि सदस्य सदन के नियमों, प्रक्रियाओं और परंपराओं का पालन करते हुए लोकतांत्रिक भावना और संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखें। उन्होंने विधानमंडल को कार्यकारी जवाबदेही केलिए अधिक प्रभावी मंच बनाने केलिए प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग और सदस्यों के क्षमता निर्माण पर भी बल दिया।
स्पीकर ओम बिरला ने कहाकि विधानमंडल सार्थक संवाद केलिए मंच है और सदन के भीतर किसीभी प्रकार के गतिरोध की स्थिति नहीं होनी चाहिए तथा असहमति को गरिमापूर्ण और सार्थक संवाद के माध्यम से व्यक्त किया जाना चाहिए। ओम बिरला ने सदस्यों से अपने सार्वजनिक जीवन में आचरण और नैतिकता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने का आग्रह किया। लोकसभा अध्यक्ष ने दिल्ली विधानसभा के गौरवशाली इतिहास को रेखांकित करते हुए कहाकि मिनी भारत के रूपमें दिल्ली देश की राजधानी है, इसके विधायी सदन में होने वाली चर्चा-संवाद और लोकतांत्रिक परम्पराओं को मजबूत करने के प्रयासों से पूरे देश में संदेश जाता है। गौरतलब हैकि दिल्ली विधानसभा के इसी ऐतिहासिक भवन में वर्ष 1912 से 1926 के मध्य भारत की आधुनिक संसद की नींव रखी गई थी। उन्होंने कहाकि हमारा प्रयास होकि विचार–विमर्श केसाथ तकनीकी के प्रयोग एवं विधायकों की कार्य कुशलता बढ़ाने केलिए दिल्ली विधानसभा एक मॉडल बने। उन्होंने कहाकि विधायकों का आचरण और विधानसभा में उनके कार्य एवं चर्चाएं राष्ट्र की लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करती हैं। ओम बिरला ने कहाकि जनप्रतिनिधियों को उत्कृष्ट श्रोता बनने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि सुनना बोलने जितनाही महत्वपूर्ण है। ओम बिरला ने कहाकि पिछले कार्यों, बहसों, कानूनों व नए अभिनव विचारों को सीखने और समझने की मानसिकता केसाथ काम करें।
ओम बिरला ने कहाकि विधानसभा नियम प्रक्रिया की सदस्यों को जितनी अधिक जानकारी होगी, विधानसभा का उतना ही श्रेष्ठ उपयोग हो पाएगा, नए विधायक विधानसभा की पुरानी डिबेट्स, कार्यवाही का अध्ययन करें, सभी नियम-प्रक्रियाओं की जानकारी प्राप्त करें, विधायी साधनों के उपयोग की दक्षता हासिल करें, ताकि सदस्य के रूपमें वे अपना श्रेष्ठ दे सकें। ओम बिरला ने कहाकि विधायी सदस्य श्रेष्ठ श्रोता बनें, देर तक सदन की कार्यवाही में बैठें, बोलने का अवसर ना हो तो भी सुनने का लाभ उठाएं, जो विधायक जितने बेहतर श्रोता होंगे, उतना ही बेहतर चर्चा-संवाद कर पाएंगे। ओम बिरला ने इस अवसर पर विधायी प्रारूपण के ज्ञान के महत्व को दोहराया, जिसमें कुशल जनप्रतिनिधि अपने राज्य और सरकार के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं, अच्छे विधायी प्रारूपण से एक विधायक विधानसभा की सहायता कर सकता है और सरकार को प्रभावी कानून बनाने और बेहतर सार्वजनिक सेवा वितरण में मदद कर सकता है। उन्होंने कहाकि संसदीय लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका सकारात्मक और रचनात्मक होनी चाहिए, क्योंकि लोकतंत्र की नींव संवाद और आम सहमति पर आधारित है।
स्पीकर ओम बिरला ने कहाकि सदस्य यह सुनिश्चित करेंकि उनकी भाषा, आचरण और तर्क संसदीय मानदंडों के अनुरूप हों। उन्होंने कहाकि लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की महत्वपूर्ण भूमिकाएं होती हैं और उनके सकारात्मक योगदान से लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत होती है। उन्होंने पक्ष और प्रतिपक्ष सभी का आह्वान कियाकि सदन में तर्कपूर्ण बात रखें, मुद्दों पर चर्चा करें तथा भाषा और व्यवहार सदैव संसदीय हो, जनता से हमेशा जुड़े रहें, उनके विषयों को समझें तथा अपनी नॉलेज बढ़ाने केलिए टेक्नॉलजी का उपयोग करें, प्रतिस्पर्धा हो तो इस बातकी होकि अपने-अपने क्षेत्र में नवाचार करके अधिक से अधिक लोगों की समस्याओं का समाधान कर पाएं। समितियों को लघु विधानमंडल बताते हुए ओम बिरला ने सदस्यों से समिति की बैठकों में सक्रिय रूपसे भाग लेने को कहा। दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी और दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट ने भी सदन को संबोधित किया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री, दिल्ली से सांसद और विधानसभा के सदस्य भी उपस्थित थे।

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