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इस्लामाबाद/वाशिंगटन। दुनिया में जेहाद के नाम पर आतंकवाद के जनक और अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हवाई जहाजों से हमला करा कर सैकड़ों निर्दोषों की हत्या के जिम्मेदार और फरार इनामी मुख्य अभियुक्त ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में शरण लेने और वहां अमरीकी फौज के संक्षिप्त अभियान में मारे जाने की ख़बर पूरी दुनिया को पता हो चुकी है। इस समाचार की अगली कड़ी यह है कि लादेन का मारा जाना अमरीकी राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा के लिए वरदान बन गया है और पाकिस्तान के लिए नरक। अमेरिका दस साल से जो ख़बर सुनना चाहता था वह उसे बराक ओबामा से मिली है इसलिए ओबामा का दोबारा से अमरीका का राष्ट्रपति होने का सपना पूरा समझिए। दूसरी ख़बर यह है कि पाकिस्तान दुनिया के सामने दस साल तक झूठ बोलता रहा और आखिर अमेरिका ने उसके घर में घुसकर अपना इनामी मुलजिम हासिल कर हीलिया है। दुनिया वाले जानते हैं कि अमरीका, पाकिस्तान को अब तक यूं ही खैरात नहीं बांटता आ रहा है, उसे पाकिस्तान के बारे में सब मालूम था और जब अवसर आया तो उसने सिद्ध कर दिया है कि पाकिस्तान वास्तव में एक आतंकवादी देश है उसे आतंकवादी देश घोषित करने की कोई आवश्यकता नहीं है और यह भी कि उसके किसी राजनेता या हुक्मरान पर कतई भरोसा नहीं किया जा सकता अगर पाकिस्तान कुछ सूचनाओं का अमेरिका से आदन-प्रदान करता भी है तो अपने लालच में करता है।
यदि आपको याद हो तो अमेरिकी दूतावास पर हमले के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज बुश ने पाकिस्तान को यह धमकी दी थी कि या तो वह उसके अपराधी सौंप दे या फिर अपने को पाषाण युग में चले जाने के लिए तैयार हो जाए। यह पाकिस्तान की बड़ी मजबूरी थी जिसमें तब पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ को रातों-रात कार्रवाई करनी पड़ी थी। जनरल परवेज मुशर्रफ लंदन में बैठकर बयानबाजी कर रहे हैं कि यदि वह होते तो अमरीकी फौज को पाकिस्तान में घुसने नहीं देते। मुशर्रफ भूल रहे हैं कि जब तक अमेरिका ने चाहा उन्होंने पाकिस्तान पर राज किया और जैसे ही अमेरिका की नज़र टेढ़ी हुई, मुशर्रफ पाकिस्तान के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देकर लंदन जाने वाले हवाई जहाज में बैठ लिए। आज उनकी हिम्मत नहीं हो रही है कि वे पाकिस्तान की ओर रूख़ भी कर सकें। वे डरे हैं कि उनकी दुनिया के सामने पोल-पट्टी खुल गई है।
परवेज मुशर्रफ ने पैतरा बदलकर पाकिस्तान के चरमपंथियों को फुसलाने के लिए राजनीतिक बयानबाजी की है जिसका उनको कोई लाभ होने वाला नहीं है। वे यह भी भूल रहे हैं कि उन्होंने ने ही अपने कार्यकाल में अमरीका को अपने सैनिक अड्डे दिए हैं जहां से अफगानिस्तान में तालिबान और अलकायदा के खिलाफ नाटो की कार्रवाई चली। वह मकान भी उन्हीं के कार्यकाल में बना है जिसमें लादेन छिपकर रह रहा था। अमेरिका का पाकिस्तान के सैनिक ठिकानों पर कब्जा है जो पाकिस्तानी हुक्मरानों की सहमति से हुआ है इसलिए परवेज मुशर्रफ हों या पाकिस्तान के मौजूदा राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, प्रधानमंत्री यूसुफ गिलानी हों और या फिर हों पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल कियानी और खुफिया एजेंसी आईएसआई, सबकी हालत खराब है और ये सब अमेरिका के रहमो करम पर हैं। लादेन का पाकिस्तान में शरण पाना पाकिस्तान के लिए एक ऐसा नासूर बन चुका है जो कभी भर नहीं सकता और पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के पाकिस्तान को वास्तव में पाषाण युग में ले जाने के लिए और भयानक तरह से फूट पड़ा है।
ओसामा बिन लादेन की मुखबिरी भी पाकिस्तान के हुकमरानों की तरफ से ही हुई होगी। यह पाकिस्तानी फौज और पाकिस्तान के नेतृत्व में एक बड़ी फूट का नतीजा है जो लादेन केवल 40 मिनट में ढेर कर दिया गया। अमेरिका के पास यह ख़बर कब से थी कि वह पाकिस्तान में रह रहा है यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि यह तथ्य गौर करने के काबिल है कि भले ही अमरीका को लादेन की दस साल प्रतीक्षा करनी पड़ी लेकिन अमरीका ने दुनिया के सामने उसे हासिल करके दिखाया और दुनिया में पाकिस्तान की ज़मी पर उसे ढेर किया और उसकी लाश को अपने हेलीकाप्टर में डालकर ले गया। अब पाकिस्तानी गाल बजा रहे हैं और दुनिया के सामने मुंह चुरा रहे हैं कि वह कैसे सफाई दें कि हम आतंकवादी नहीं हैं। पाकिस्तान में जिस तरह चरमपंथियों का दब-दबा बढ़ रहा था उसे देखकर लग रहा था कि वहां कोई है जो उन्हें यह भरोसा दे रहा है कि वे अपने मिशन में तेजी से आगे बढ़ें। पाकिस्तान में कई आतंकवादी वारदातों और उसमें सरकार की विफलताओं से अमेरिका भी बहुत परेशान था। अमेरिका को सबसे बड़ा डर यह था कि ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के परमाणु बटन पर कब्जा कर सकता है और यदि ऐसा हो गया तो दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कोई भी गुल खिला सकती है। यह माना जाता कि यदि लादेन का खातमा नही होता तो एक दिन वह होता जब पाकिस्तान उसके और वहां के चरमपंथियों के कब्जे में होता। इस पूरे घटनाक्रम के बाद पाकिस्तान की राजनीति में और पाकिस्तान की विश्व में भूमिका में जबरदस्त बदलाव संभावित है।
अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की ओसामा बिन लादेन के मारे जाने की घोषणा के बाद अमरीकी मीडिया सहित दुनियाभर में समाचार विश्लेषकों, रक्षा एवं आंतरिक सुरक्षा विशेषज्ञों ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया है और कहा है कि पाकिस्तान सरकार को शर्म आनी चाहिए कि ओसामा बिन लादेन उन्हीं के यहां शरण लिए हुए था और पाकिस्तान सरकार हमेशा से झूठ बोलता आ रहा था कि ओसामा बिन लादेन उनके देश में नहीं है। अमरीकी समाचार चैनल सीएनएन और पाकिस्तान के समाचार चैनलों पर बताया गया है कि लादेन पाकिस्तान में ऐबटाबाद में पाकिस्तानी सेना के सर्वोच्च सुरक्षा जोन में बंकर जैसे सुरक्षित एक बड़े घर में आराम से रह रहा था। ऐबटाबाद कोई जंगल नहीं है जहां उसके रहने का सरकार को पता न चले, बल्कि इस्लामाबाद से करीब साठ मील दूर यह क्षेत्र है जहां परिंदे का भी पाकिस्तानी सेना या सरकार पता रखती है, इसलिए दुनिया में पाकिस्तान की इस बात पर किसी को भी यकीन नहीं है कि उसके यहां और वह भी उसके महत्वपूर्ण सैनिक ठिकाने में लादेन के लंबे समय से रहने की जानकारी नहीं थी। पाकिस्तानी सैन्य दल ने इस कार्रवाई के बाद इलाके को पूरी तरह से अपने कब्ज़े में ले लिया है।
पाकिस्तान के समाचार चैनलों ने कहा है कि ऐबटाबाद में कोई हेलीकॉप्टर हादसा नहीं था बल्कि वहां की बिलाल कॉलोनी क्षेत्र में अमरीका का ऑपरेशन लादेन यानी एक विशिष्ट अभियान था जिसमें अमरीका का मोस्ट वांटेड ओसामा बिन लादेन मारा गया है और अमरीकी फौज उसकी लाश भी अपने साथ ले गई है जिसे उसने अपने यहां समुद्र में दफन भी कर दिया है। अमरीका का कहना है कि उसने ऐसा इसलिए किया कि कोई भी देश उसकी लाश अपने यहां दफन होने नहीं देता। ओसामा बिन लादेन का नाम उस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया था जब 11 सितंबर 2001 को अमरीका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हवाई जहाजों से हमला हुआ। अमरीका का कहना है कि लादेन का पाकिस्तान में होने का पहला सुराग उसे पिछले साल अगस्त में मिला था।
ओसामा बिन लादेन के मारे जाने पर दुनियाभर के शीर्ष नेताओं की प्रतिक्रियाएं आई हैं। ओसामा बिन लादेन के मारे जाने की अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की घोषणा पर भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि 'मैं इस घोषणा का स्वागत करता हूं और उम्मीद करता हूं कि यह कदम अल कायदा और अन्य आतंकी संगठनों पर निर्णायक प्रहार साबित होगा, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और खासतौर से पाकिस्तान को इस तरह के संगठनों की गतिविधियों को पूरी तरह खत्म करने की दिशा में काम करना चाहिए क्योंकि ये सभी आतंकी संगठन सभ्य मानवीय कार्यव्यवहार को क्षति पहुंचाते हैं और मासूम लोगों, बच्चों और महिलाओं को निशाना बनाते हैं।’
लादेन को कई चरमपंथी हमलों के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है लेकिन 11 सितंबर 2001 को न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन में हुए हमलों के कारण उसे अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली। लादेन जहां रह रहा था उसकी बाहरी दीवार इस इलाक़े में बनी इमारतों से कई गुना ज़्यादा मजबूत है। इस इमारत में न कोई टेलीफ़ोन कनेक्शन है और न ही इंटरनेट कनेक्शन। अमरीकी सेनाएं 1990 से ओसामा बिन लादेन की तलाश में जुटी थीं, उस पर 25 करोड़ डालर का इनाम घोषित था। ओसामा बिन लादेन का जन्म 1957 में सऊदी अरब के एक अमीर परिवार में हुआ था और 1980 में उसने अफ़गानिस्तान में सोवियत संघ के कब्ज़े के ख़िलाफ़ हथियार उठाए थे। माना जाता है कि भारत में भी आतंकी हमलों के पीछे उसका नेटवर्क था।
भारत ने ओसामा बिन लादेन के खिलाफ अमरीका की कार्रवाई को सही ठहराया है और उसके पाकिस्तान में पकड़े जाने पर चिंता जताई है। गृह मंत्री पी चिदंबरम ने एक प्रेस वक्तव्य में कहा है कि ये हमारी चिंताओं को बल देता है कि पाकिस्तान कई संगठनों से जुड़े आतंकवादियों को पनाह दे रहा है। चिदंबरम ने कहा है कि भारत को यकीन है कि 26/11 मुंबई हमलों के साज़िशकर्ताओं और हमलावरों को अब भी पाकिस्तान में शरण मिली हुई है। चिदंबरम ने पाकिस्तान से फिर कहा है कि उसने भारत में हमले से जुड़े जिन लोगों के नामों की सूची पाकिस्तान को दी है वह उन्हें गिरफ्तार करे। भारत के गृह मंत्री ने आतंकवादियों के सहायक होने में संदिग्ध लोगों की आवाज़ों के नमूने भारत को दिए जाने की मांग भी दोहराई है। भारत के विदेश मंत्रालय ने भी कहा है कि आतंकवाद से निपटने और हमारे पड़ोस में आतंकियों को पनाह देने वालों के खिलाफ विश्व को अपने संयुक्त प्रयास जारी रखने चाहिएं। पिछले सालों में आतंकी गुटों ने हज़ारों पुरुष, महिलाओं और बच्चों की जान ली है, उनके खिलाफ विश्व का अभियान जारी रहना चाहिए। भारत में नवंबर 2008 में हुए मुंबई हमलों में कुल 166 लोग मारे गए थे जिनमें बड़ी संख्या में विदेशी नागरिक भी शामिल थे। भारत पहले भी पाकिस्तान पर इस मामले में ठोस कार्रवाई न करने के आरोप लगाता रहा है जिनसे पाकिस्तान लगातार इंकार करता रहा है, लादेन के पाकिस्तान में मारे जाने विश्व समुदाय में यह विश्वास पुष्ट हुआ है कि पाकिस्तान आतंकवादियों की शरणस्थली है।
इस्लामिक आतंकवादी संगठन अल क़ायदा का नेटवर्क दुनिया के कई हिस्सों में फैला हुआ है। अफ़ग़ानिस्तान में अल क़ायदा का गठन 1988 में हुआ था जिसका नेतृत्व ओसामा बिन लादेन के पास था। अफ़ग़ानिस्तान से सोवियत सैनिकों की वापसी के बाद अमरीका के समर्थन वाले मुजाहिदीन आंदोलन के अरब लड़ाकों ने अल क़ायदा का गठन किया जिसने जेहाद की शुरुआत की। न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर विमानों से हमले के बाद अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध का ऐलान किया था। ओसामा बिन लादेन के मारे जाने की खबर मिलने पर लोग भारी संख्या में व्हाइट हाउस के बाहर जमा हुए और ओसामा बिन लादेन की मौत पर जश्न मनाया। सैंकड़ों लोग हाथों में अमरीकी झंडे लिए ख़ुशी से झूमते रहे। अमरीका के और शहरों में भी लोगों ने अपने घरों से बाहर निकल कर सड़कों पर खुशियों का इज़हार किया है।
(खेद- पाकिस्तान में ऐबटाबाद में अमरीकी सैन्य अभियान में मारे गए ओसामा बिन लादेन के शव का स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम की मुख्य स्टोरी में और होम पेज पर प्रदर्शित चित्र हमने गूगल से लिया था। उस चित्र को हमने इसलिए बदल दिया है क्योंकि अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि लादेन के शव का कोई भी चित्र जारी नहीं किया गया है, इसलिए उस चित्र की विश्वसनीयता संदिग्ध थी। हमारे पाठकों को जो असुविधा हुई उसके लिए हमें खेद है।)