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Thursday 27 March 2025 02:16:20 PM
नई दिल्ली। भारत में सहकारिता आंदोलन के संस्थापकों में से एक रहे त्रिभुवन दास पटेल के नाम पर त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी विधेयक-2025 चर्चा केबाद लोकसभा में पारित कर दिया गया। सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इसपर खुशी व्यक्त करते हुए कहाकि सहकारिता एक ऐसा विषय है, जिसका उद्देश्य देश में हर परिवार समझता है, हर गांव में कोई न कोई ऐसी इकाई है, जो सहकारिता के माध्यम से कृषि विकास, ग्रामीण विकास और स्वरोज़गार के काम में जुटी हुई है। अमित शाह ने कहाकि आजादी के 75 वर्ष बाद देश को पहला सहकारिता विश्वविद्यालय मिलने जा रहा है, जहां देश को सहकारिता के माध्यम से आधुनिक शिक्षा का नया सहकारिता नेतृत्व मिलेगा। उन्होंने कहाकि कुछही महीने में एक बहुत बड़ी कोऑपरेटिव टैक्सी सर्विस शुरू की जाएगी, जिसमें टू व्हीलर, टैक्सी, रिक्शा और फोर व्हीलर का रेजिस्ट्रेशन हो सकेगा और उसका मुनाफा सीधा ड्राइवर केपास जाएगा। उन्होंने कहाकि जल्दही देश में एक कोऑपरेटिव इंश्योरेंस कंपनी भी बनने जा रही है, जो देश की कोऑपरेटिव व्यवस्था में इंश्योरेंस का काम करेगी और यह निजी क्षेत्रकी सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी बन जाएगी। अमित शाह ने कहाकि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी, स्वरोज़गार, छोटी उद्यमिता का विकास होगा, सामाजिक समावेशिता बढ़ेगी, नवाचार तथा अनुसंधान में कई नए मानांक स्थापित करने के अवसर मिलेंगे।
सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सहकारी विश्वविद्यालय का नाम त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय रखने का उल्लेख करते हुए कहाकि त्रिभुवन दास पटेल ने सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे महान नेता के सानिध्य में रहकर भारत में सहकारिता की नींव डाली है। उन्होंने कहाकि आज जिस गुजरात राज्य सहकारी दुग्ध विपणन संघ को हमसब अमूल के नाम से जानते हैं, वह त्रिभुवन पटेल के विचार की ही देन है। अमित शाह ने कहाकि 1946 में गुजरात के एक कस्बे में 250 लीटर दूध से शुरू हुई अमूल की यात्रा आज भारत का विश्व में सबसे बड़ा डेयरी ब्रांड है। उन्होंने कहाकि 2003 में अमूल का टर्नओवर 2882 करोड़ रूपए था, जो आज 60 हज़ार करोड़ रूपए को पारकर गया है। उन्होंने कहाकि एक खास परिवार के नाम पर विश्वविद्यालय न होने के कारण विपक्ष विरोध कर रहा है, उनको यह नहीं पताकि त्रिभुवन दास पटेल भी उनके ही नेता थे। उन्होंने कहाकि त्रिभुवन दास पटेल की सोच थीकि सहकारी क्षेत्रमें मुनाफा हर ग़रीब तक पहुंचे, इसलिए यह यूनिवर्सिटी उनके नाम पर रखने का प्रस्ताव किया गया है। अमित शाह ने कहाकि कोऑपरेटिव क्षेत्र के विकास और विस्तार को देखते हुए प्रशिक्षित मानव संसाधन की जरूरत है और त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी इस जरूरत को पूरा करने का काम करेगी, इसके डिप्लोमा और डिग्री धारकों को नौकरी मिलेगी।
अमित शाह ने कहाकि यूनिवर्सिटी से हम डोमेस्टिक केसाथ ग्लोबल वैल्यू चैन में भी बड़ा योगदान करेंगे, न्यू एज कोऑपरेटिव कल्चर भी इस यूनिवर्सिटी से शुरु होगा। उन्होंने कहाकि देशभर में हजारों की संख्या में सहकारी शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान फैले हुए हैं, मगर किसी का कॉमन कोर्स नहीं है, हमने यूनिवर्सिटी बनने से पहले ही कोऑपरेटिव क्षेत्र की जरूरत को ध्यान में रखकर कोर्स डिजाइन का काम कर दिया है। उन्होंने कहाकि यूनिवर्सिटी में डिग्री, डिप्लोमा कोर्स होंगे और पीएचडी की डिग्री दी जाएगी, साथही सहकारिता के क्षेत्रमें मौजूदा कर्मचारियों केलिए एक सप्ताह का सर्टिफ़िकेट कोर्स भी होगा। अमित शाह ने कहाकि त्रिभुवन दास जैसे महान व्यक्ति के नाम से जुड़े होने के कारण यह सहकारी यूनिवर्सिटी उच्चकोटि की यूनिवर्सिटी सिद्ध होगी, यह देशमें बहुत अच्छे सहकारिता कर्मी देने का काम करेगी। अमित शाह ने कहाकि यूनिवर्सिटी को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम-1860 केतहत पंजीकृत किया जाएगा। उन्होंने कहाकि सहकारिता क्षेत्र को समर्पित देश का पहला विश्वविद्यालय आजादी के 75 साल बाद बनेगा और इसमें प्रतिवर्ष लगभग 8 लाख लोगों को शिक्षण प्रदान करने की क्षमता होगी। एक साल के भीतर लगभग हर जिले में इससे जुड़े कॉलेज खोले जाएंगे।
सहकारिता मंत्री ने कहाकि आनेवाले समय में जब प्रतिवर्ष 8 लाख लोग डिप्लोमा, डिग्री या सर्टिफिकेट लेकर निकलेंगे तो सहकारी आंदोलन में एक नए रक्त का संचार होगा। अमित शाह ने इस मौके पर यह भी उल्लेख कियाकि वे स्वयं 18 वर्ष की आयु से कोऑपरेटिव से जुड़े रहे हैं और इसकी खूबियों व कमियों का अनुभव किया है। उन्होंने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार का दस वर्ष का कालखंड देश के गरीबों केलिए स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा, इन वर्षों में ही देश के गरीबों को घर, शौचालय, पीने का पानी, 5 किलो मुफ्त अनाज, गैस कनेक्शन, 5 लाख तकका मुफ्त इलाज और बिजली पहुंचाने का काम हुआ है। उन्होंने कहाकि देश के 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं। उन्होंने कहाकि पूंजीरहित व्यक्ति को उद्यमिता केसाथ जोड़ने का एकमात्र रास्ता कोऑपरेटिव है, इसके माध्यम से छोटी पूंजी वाले करोड़ों लोग साथ आकर उद्यम कर रहे हैं, सम्मानपूर्वक जी रहे हैं और स्वरोज़गार प्राप्त कर रहे हैं। अमित शाह ने कहाकि भारत जैसे 130 करोड़ की आबादी वाले देश में जीडीपी केसाथ रोज़गार भी देश की अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य का एक बड़ा मानांक है। उन्होंने कहाकि सहकारिता एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जो 130 करोड़ लोगों को स्वरोज़गार के माध्यम से देश के विकास केसाथ जोड़ता है और उनके सम्मान की रक्षा भी करता है।
अमित शाह ने कहाकि किसानों, ग्रामीणों, कोऑपरेटिव नेताओं की दशकों से लंबित मांग को पूरा करते हुए साढ़े तीन साल पहले सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया था। उन्होंने कहाकि आज भारत में 8 लाख सहकारी समितियां हैं और 30 करोड़ व्यक्ति इनके सदस्य हैं, एक प्रकार से देश में हर पांचवा व्यक्ति कोऑपरेटिव से जुड़ा है। अमित शाह ने कहाकि सहकारिता का विकास करने केलिए सभी राज्यों को साथ लेकर सहकारिता डेटाबेस तैयार किया गया है और आज हर राज्य, जिले और गांव की सहकारी समितियों की जानकारी इस डेटाबेस में उपलब्ध है। अमित शाह ने कहाकि देश में 2 लाख नई प्राथमिक कृषि ऋण समितियां बनाई जाएंगी, देश में एकभी पंचायत ऐसी नहीं रहेगी, जहां पैक्स नहीं होगा। उन्होंने कहाकि मोदी सरकार ने पैक्स के बायलॉज़ बदलने का निर्णय लिया और कश्मीर से कन्याकुमारी एवं नॉर्थईस्ट से द्वारका तक देश ने मॉडल बायलॉज़ को स्वीकार किया, इसके माध्यम से 25 से अधिक आर्थिक कार्यकलापों को पैक्स केसाथ जोड़ा गया, चुनाव प्रक्रिया को जोड़ा गया और एक कॉमन अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर बनाया गया, जो देश की सभी भाषाओं में है। उन्होंने कहाकि देश में 43 हज़ार पैक्स सामान्य सेवा केंद्र बन चुकें हैं, जहां केंद्र और राज्य सरकार की 300 से अधिक योजनाओं के लाभ और सुविधाएं उपलब्ध हैं।
अमित शाह ने कहाकि आज देश में 36 हज़ार पैक्स पीएम समृद्धि केंद्र के रूपमें काम करे रहे हैं, चार हज़ार पैक्स जनऔषधि केंद्र बन चुके हैं और 400 पैक्स पेट्रोल पंप भी चला रहे हैं। सहकारिता मंत्री ने कहाकि मोदी सरकार ने विश्व की सबसे बड़ी भंडारण योजना शुरू की और अबतक 576 पैक्स गोदाम बनाने का काम शुरू कर चुके हैं, इनमें से 11 का काम समाप्त हो चुका है और अब पैक्स द्वारा खरीदा हुआ धान और गेहूं वहीं स्टोर होता है। सहकारिता मंत्री ने कहाकि देश के 67 हज़ार से अधिक पैक्स को कम्प्यूटर, सॉफ्टवेयर और डेटा स्टोरेज से जोड़ा गया है, इन 67930 पैक्स में से 43658 पैक्स कम्प्यूटर से काम कर रहे हैं, इनका अकाउंट मिला लिया जाता है, ऑनलाइन ऑडिट केसाथ ही सारा कारोबार भी ऑनलाइन होता है। उन्होंने कहाकि कम्प्यूटराइज़ेशन से सहकारिता क्षेत्रमें क्रांति आई है। सहकारिता मंत्री ने कहाकि 2 लाख पैक्स के हर पंचायत में पहुंचने से देश का कोऑपरेटिव आंदोलन एकबार फिर संतुलित तरीके से खड़ा हो गया है। उन्होंने कहाकि गवर्नमेंट ईमार्केटिंग पर खरीद केलिए 550 से अधिक सहकारी समितियां ऑनबोर्ड हो चुकी हैं।
अमित शाह ने कहाकि पहले की सरकार के समय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों केसाथ आयकर में बहुत अन्याय होता था, अब सहकारी समितियों के आयकर पर अधिभार को 12 से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है, न्यूनतम वैकल्पिक कर को 18.5 से कम कर 15 प्रतिशत किया गया, दो लाख से काम के लेनदेन पर आयकर जुर्माने से छूट दी गई और विनिर्माण करने वाली सहकारी समितियों केलिए दर को 30 से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया है। उन्होंने कहाकि पैक्स और अन्य केलिए नकद जमा करने की सीमा को 20 हज़ार से बढ़ाकर 2 लाख रूपए कर दिया गया है, साथही टीडीएस से छूट की सीमा को एक करोड़ रुपये से बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये कर दिया। अमित शाह ने कहाकि मोदी सरकार ने राष्ट्रीय स्तर की तीन नई सहकारी समितियां बनाने का काम किया है, जो बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज का काम करेंगी। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड केसाथ लगभग 8 हज़ार पैक्स जुड़ चुके हैं, इनके माध्याम से किसानों का उत्पाद विदेश में निर्यात हो रहा है, अबतक दुनियाभर के बाज़ारों में 12 लाख टन सामग्री बेचकर इसका मुनाफा सीधा किसानों के खातों में जमा हो रहा है।
अमित शाह ने कहाकि भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड के माध्यम से हमारे पारंपरिक और मीठे बीजों का संरक्षण और संग्रहण कर इन्हें संरक्षित और राष्ट्रीय सहकारी जैविक लिमिटेड माध्यम से भारत ब्रांड के रूपमें ऑर्गेनिक उत्पादों का प्रमाणीकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहाकि ‘भारत ब्रांड’ के नाम से देशभर में 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक उत्पाद उपलब्ध हैं। अमित शाह ने कहाकि छोटा किसान और ग्रामीण व्यक्ति ऋण लेता है तो उसे ब्याज केसाथ चुकता भी है, इसीलिए राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम ने ज़ीरो एनपीए केसाथ 90 हजार करोड़ रुपये का कारोबार किया है। अमित शाह ने कहाकि एनसीडीसी ने 44 समुद्री ट्रॉलर्स गुजरात और महाराष्ट्र के मछुआरों केलिए दिए हैं, 48 सहकारी चीनी मीलों को 10 हजार करोड़ रुपए दिए हैं, लगभग 3 हजार किसान उत्पादक संगठन और एक हजार 70 मत्स्य किसान उत्पादक संगठन बनाए हैं। उन्होंने कहाकि एनसीडीसी ने इसबार 800 करोड़ रुपए का मुनाफा अर्जित किया है, ऋण में बढ़ोतरी और ज़ीरो एनपीए रखने में सफलता हासिल की है और मुनाफा भी 100 करोड़ रुपए से 800 करोड़ रुपए किया है।
सहकारिता मंत्री ने कहाकि सहकारी क्षेत्रमें समस्त धन का प्रवाह सहकारी बैंकों तक कराने केलिए गुजरात के पंचमहाल और बनासकांठा जिलों में ‘सहकारिता में सहकार’ पहल की, इसके तहत सुनिश्चित कियाकि हर सहकारी संस्था और सहकारी समिति के सदस्यों के बैंक अकाउंट कोऑपरेटिव बैंक में हों। अमित शाह ने कहाकि उन्होंने भी अपना अकाउंट कोऑपरेटिव बैंक में खुलवाया है। उन्होंने कहाकि सहकारिता में सहकार की पहल के कारण गुजरात के बैंकों में हुई डिपॉजिट में लगभग 8 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है, इस कारण लोगों का सहकारी बैंकों में विश्वास बढ़ा है। अमित शाह ने कहाकि पहले शहरी सहकारी बैंकों को 2003 से नए ब्रांच खोलने की अनुमति नहीं थी, लेकिन अब उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक के माध्यम से 10 प्रतिशत तक नई शाखाएं अपने आप खोलने की अनुमति मिल गई है। पहले उन्हें ‘डोरस्टेप बैंकिंग’ यानि लोगों को बैंकिंग सुविधाएं उनके घर तक मुहैया कराने की अनुमति नहीं थी, पर अब शहरी सहकारी बैंक ‘डोरस्टेप बैंकिंग’ की सुविधा प्रदान कर सकते हैं। अमित शाह ने कहाकि पहले शहरी सहकारी बैंकों को ‘वन टाइम सेटलमेंट’ की अनुमति नहीं थी, लेकिन अब वेभी राष्ट्रीयकृत और अनुसूचित बैंकों की तरह वन टाइम सेटलमेंट कर सकते हैं।
अमित शाह ने कहाकि पहले आरबीआई में कोऑपरेटिव बैंकों की कोई सुनवाई नहीं होती थी, पर वहां अब एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है, जो कोऑपरेटिव बैंकों की समस्या की सुनवाई करेगा। उन्होंने कहाकि शहरी सहकारी बैंकों द्वारा दिए जानेवाले होम लोन की सीमा को बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है, वाणिज्यिक रियल एस्टेट को भी ऋण देने की अनुमति दे दी गई है। अमित शाह ने कहाकि गैर अनुसूचित बैंकों को मजबूत बनाने केलिए भी ढेर सारे काम किए गए हैं। सहकारिता मंत्री ने कहाकि नेशनल फेडरेशन ऑफ अर्बन कोऑपरेटिव बैंक्स एंड क्रेडिट सोसाइटीज लिमिटेड का एक अंब्रेला संगठन बनाया गया है। उन्होंने कहाकि जबभी कोई कोऑपरेटिव बैंक कमजोर पड़ेगी, एनएएफसीयूबी उसे फाइनांस करेगा और उसे बंद होने से बचाएगा, डिपॉजिटरों का बीमा भी एक लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए तक कर दिया है, इससे कोऑपरेटिव बैंकों में विश्वास बढ़ा है। अमित शाह ने कहाकि कई वर्ष से बड़े-बड़े कोऑपरेटिव नेता कृषि मंत्री रहे, लेकिन सहकारी चीनी मिलों की आयकर की समस्या समाप्त नहीं हुई।
अमित शाह ने कहाकि सहकारिता मंत्रालय के गठन केबाद 2022 में आयकर मूल्यांकन की समस्या हमेशा केलिए समाप्त कर दी, चीनी मिलों की 4600 करोड़ रुपए की डिमांड को पूरा किया गया और हर साल 8 हजार करोड़ रुपए की नई डिमांड भी जेनरेट नहीं हुई, आजादी केबाद कोऑपरेटिव चीनी मिलों को शायद ही इतना बड़ा फायदा हुआ हो। उन्होंने कहाकि 84 मिलों को 10 हजार करोड़ रुपए का ऋण स्वीकृत किया गया, इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम में सहकारी चीनी मिलों की प्राथमिकता तय की गई, शीरा आधारित इथेनॉल संयत्र और मल्टी फील्ड संयंत्र केलिए भी फाइनेंस की योजना शुरू की गई। अमित शाह ने कहाकि केंद्रीय सहकारी समितियां रजिस्ट्रार कार्यालय, राज्यों में रजिस्ट्रार कार्यालयों और ग्रामीण विकास बैंकों की शाखाओं का कंप्यूटरीकरण किया गया और इसका पूरा खर्च भारत सरकार ने वहन किया।
सहकारिता मंत्री ने कहाकि श्वेत क्रांति 2.0 केतहत दूध की खरीद मौजूदा 660 लाख लीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 2028-29 में 1000 लाख लीटर प्रतिदिन तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है। उन्होंने कहाकि बीते तीन वर्ष में भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन चुका है, विश्व के कुल दूध उत्पादन का एक चौथाई उत्पादन भारत में होता है, आज 23 राष्ट्रीय और 240 जिलास्तरीय संघ हैं, साथही 28 विपणन डेयरियां बनी और 2.30 लाख गांव में प्राथमिक दूध उत्पादन समितियां भी बन चुकी हैं। अमित शाह ने कहाकि निजी तौरपर दूध बेचने वाले किसानों को पशु आहार अब सहकारी डेयरियां देंगी, पशुओं का टीकाकरण भी कोऑपरेटिव डेयरियां करेंगी, उनके गोबर इकट्ठा कर कोऑपरेटिव डेयरियां गैस बनाने का काम करेंगी, जब पशु की मृत्यु होगी तो उसका चमड़ा और हड्डी भी कोऑपरेटिव डेयरियों के माध्यम से बाजार में भेजे जाएंगे और बदले में किसान को ऊंचे दाम मिलेंगे। उन्होंने कहाकि इन सारी परियोजनाओं पर 10 हजार करोड़ रुपए के खर्च से काम शुरू हो चुका है। अमित शाह ने कहाकि डेयरी क्षेत्र से जुड़े लोगों में 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं और डेयरी में आर्थिक फायदा होने से महिला सशक्तिकरण भी होगा।
सहकारिता मंत्री ने कहाकि वर्षों से दलहन की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की मांग की जा रही थी, पर पहले की सरकारों ने कुछ नहीं किया, लेकिन हमने यह कर दिखाया और भारत सरकार तीन दालों की शत प्रतिशत खरीद एमएसपी पर करेगी। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ की वेबसाइट पर रजिस्टर करने वालों को यह सुविधा मिलेगी। इसी तरह मक्के के किसानों को भी नाफेड और एनसीसीएफ की वेबसाइट पर रजिस्टर करना होगा, ताकि भारत सरकार उसकी एमएसपी पर शत प्रतिशत खरीद कर सके। अमित शाह ने कहाकि पहलीबार कोऑपरेटिव सेक्टर में सहकारी रैंकिंग फ्रेमवर्क बनाया गया है, जिसके सात प्रमुख पैरामीटर हैं, इसमें पैक्स, डेयरी, मत्स्य पालन, अर्बन कोऑपरेटिव, आवास क्रेडिट और खादी एवं ग्रामोद्योग समितियां शामिल होंगी। उन्होंने कहाकि अब जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तरपर उत्कृष्टता के अवार्ड दिए जाएंगे और रैंकिंग के हिसाब से कोऑपरेटिव बैंकों से उन्हें ऋण मिल सकेगा। सहकारिता मंत्री ने कहाकि ‘सहकार से समृद्धि’ सिर्फ एक नारा नहीं है, सहकारिता मंत्रालय ने इसे जमीन पर उतारने केलिए साढ़े तीन साल में दिन-रात एक किए हैं।