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Saturday 29 March 2025 05:46:03 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज नई दिल्ली में ‘पर्यावरण-2025’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया और कहाकि स्वच्छ पर्यावरण एवं आधुनिक विकास केबीच संतुलन बनाना एक अवसर और चुनौती दोनों है। उन्होंने पर्यावरण प्रबंधन पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़ी संस्थाओं और नागरिकों से पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन केलिए निरंतर प्रयास करने का आग्रह किया है। राष्ट्रपति ने कहाकि पर्यावरण से जुड़े दिवस यह संदेश देते हैंकि हमें इनके उद्देश्यों और कार्यक्रमों को प्रतिदिन ध्यान में रखना चाहिए और जहांतक संभव हो इन्हें अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। उन्होंने कहाकि पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन सभीकी भागीदारी व जागरुकता पर आधारित सतत सक्रियता से ही संभव है। राष्ट्रपति ने पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर सम्मेलन केलिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और उनकी टीम की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहाकि राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने देश के पर्यावरण शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, इसके कई ऐतिहासिक निर्णयों का हमारे जीवन, स्वास्थ्य और धरती के भविष्य पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने चिंता जताते हुए कहाकि हमारे बच्चों और युवा पीढ़ी को व्यापक स्तरपर पर्यावरण परिवर्तन का सामना करना होगा। उन्होंने कहाकि हर परिवार में बड़े-बुजुर्गों को इसबात की चिंता होती हैकि उनके बच्चे किस स्कूल या कॉलेज में पढ़ेंगे और कौन सा करियर चुनेंगे, यह चिंता जायज है, लेकिन हमको यहभी सोचना होगाकि हमारे बच्चे किस तरह की हवा में सांस लेंगे, उन्हें किस तरह का पानी पीने को मिलेगा, वे पक्षियों की मधुर आवाज़ सुन पाएंगे या नहीं, वे हरे-भरे जंगलों की खूबसूरती का अनुभव कर पाएंगे या नहीं। राष्ट्रपति ने कहाकि इन विषयों के आर्थिक, सामाजिक और वैज्ञानिक पहलू हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैकि इन विषयों से जुड़ी चुनौतियों का एक नैतिक पहलू भी है। उन्होंने कहाकि आनेवाली पीढ़ियों को स्वच्छ पर्यावरण की विरासत देना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है, इसके लिए हमें पर्यावरण केप्रति जागरुक और संवेदनशील जीवनशैली अपनानी होगी, ताकि पर्यावरण न केवल संरक्षित हो, बल्कि उसका संवर्धन भी हो और पर्यावरण अधिक जीवंत बन सके। राष्ट्रपति ने प्रकृति एक माँ की तरह हमारा पोषण करती है और हमें प्रकृति का सम्मान और संरक्षण हर रूपमें अवश्य करना चाहिए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को यह जानकर प्रसन्नता हुईकि बीते दशक में भारत ने अपनी हरित पहलों के माध्यम से विश्व समुदाय के समक्ष पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन कई अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि देश और विश्व समुदाय को पर्यावरण अनुकूल मार्ग पर चलना ही होगा, तभी मानवता वास्तविक प्रगति कर सकेगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि सभी हितधारकों की भागीदारी से भारत वैश्विक स्तरपर हरित नेतृत्व की भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहाकि हम सभीको वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है, जहां वायु, जल, हरियाली और समृद्धि विश्व समुदाय को भी आकर्षित करे। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारे जनजातीय समुदाय ने सदियों से प्रकृति केसाथ समन्वय बनाए रखा है, वे अपने जीवन के हर पहलू में आसपास के परिवेश पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं का ध्यान रखते हैं, हमें उनकी जीवनशैली से प्रेरणा लेनी चाहिए। राष्ट्रपति ने कहाकि आज जब विश्व ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की समस्या के निदान का प्रयास कर रहा है, तब जनजातीय समुदाय की जीवनशैली औरभी उल्लेखनीय हो जाती है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि जल-जंगल-जन केबीच एक प्राकृतिक बंधन है और उन्हें यह जानकर बहुत खुशी हैकि पर्यावरण मंत्रालय ने ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम और इको-मार्क जैसी पहले की हैं, ताकि लोगों को 'पर्यावरण केलिए जीवनशैली' अभियान से जोड़ा जा सके और जिसका उद्देश्य जंगलों, नदियों और जल स्रोतों के पारिस्थितिक संबंध को फिर से जीवंत बनाना है। राष्ट्रपति को बताया गयाकि सम्मेलन में जल और जंगल से जुड़े विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे। इससे पहले राष्ट्रपति ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव केसाथ दीप प्रज्वलित करके 'पर्यावरण-2025' पर राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया। एनजीटी के पर्यावरण-2025 पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्देश्य प्रमुख हितधारकों को एक मंच पर साथ लाकर पर्यावरणीय चुनौतियों पर चर्चा करना, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना और दीर्घकालिक पर्यावरण प्रबंधन केलिए भविष्य की कार्य योजनाओं पर सहयोग करना है।