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Thursday 1 August 2013 09:49:08 AM
नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ एमएम पल्लम राजू ने कल शाम नई दिल्ली में मध्याह्न भोजन योजना की समीक्षा की। इस बैठक में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, ग्रामीण विकास, जनजातीय मामले, युवा मामले, अल्पसंख्यक मामले, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक मेंक्ताओं ने ग्रामीण स्तर पर सेवाओं की समाभिरूपता और बेहतर निगरानी की आवश्यकता पर बल दिया।
दो घंटे तक चली बैठक के दौरान उच्चतम न्यायालय के नियुक्त आयुक्त प्रोफेसर एनसी सक्सेना ने कहा कि मुख्य समस्या आपूर्ति श्रृंखला के बारे में है, जिसमें भारतीय खाद्य निगम के खराब गेहूं और विद्यालयों की प्रबंध समितियों को देर से की जा रही अदायगी है। उन्होंने कहा कि रसोइयों को महीनों तक समय पर वेतन नहीं मिलता और बच्चों को उनके भोजन में सब्जियों से वंचित किया जाता है। स्वास्थ्य सचिव के देसीराजू ने सुझाव दिया कि गांवों में आठ लाख से अधिक आशा कार्यकर्ताओं से काम लेने के तौर-तरीकों का पता लगाया जाना चाहिए, ताकि भोजन की गुणवत्ता और साफ-सफाई पर नजर रखने के लिए उनकी सहायता ली जा सके।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के अध्यक्ष ने सुझाव दिया कि उनके संगठन के पास देशभर में 300 से अधिक मान्यता-प्राप्त प्रयोगशालाएं हैं, जिन्हें खाने की जांच करने के काम में लाया जा सकता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस प्राधिकरण का गुणवत्ता, स्वच्छता और सुरक्षा के रख-रखाव के लिए जिला स्तर पर उपयोग किया जा सकता है। यह भी सुझाव दिया गया कि एनएसएस जैसे स्वयंसेवी युवा संगठनों को भी नजर रखने के काम लाया जा सकता है। अक्षयपत्र और नाइक फांउडेशन जैसे स्वयंसेवी संगठनों ने मध्याह्न भोजन योजना जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के लिए रसोइयों को प्रशिक्षित करने की पेशकश की।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ राजू ने कहा कि हमें मध्याह्न भोजन योजना में युवाओं की सक्रियता की संभावना का पता लगाना चाहिए। उन्होंने मध्याह्न भोजन में रागी, ज्वार और मक्का जैसे स्थानीय अनाजों का उनकी पौष्टिकता के कारण उपयोग का भी समर्थन किया। स्कूली शिक्षा के सचिव आर भट्टाचार्य ने कहा कि मंत्रालय केरल के इलेक्ट्राँनिक अदायगी के आदर्श को प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रहा है, ताकि धन की सही समय अदायगी हो सके।