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Tuesday 13 August 2013 08:53:53 AM
नई दिल्ली। भारतीय चिकित्सा परिषद ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में चल रहे 6 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता औरअनुमति पत्र रद्द करने की सिफारिश की है। ये कॉलेज हैं-संतोष मेडिकल कॉलेज गाजियाबाद, सुभारती मेडिकल कॉलेज मेरठ, स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च ग्रेटर नोएडा, सरस्वती इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज हापुड़, श्री गुरू गोबिंद सिंह ट्राईसेंटेनरी मेडिकल कॉलेज गुड़गांव और रामा मेडिकल कॉलेज हापुड़।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर जानकारी दी कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को भारतीय चिकित्सा परिषद की यह सिफारिश इस साल मई में प्राप्त हुई थी। हालांकि इसे 4 जून को फिर से जांच-पड़ताल के लिए परिषद के निदेशक मंडल के पास वापस भेज दिया गया था। मेडिकल कॉलेजों को भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 के प्रावधानों और उनके दिशा-निर्देशों के तहत मान्यता दी गयी है। इस उद्देश्य हेतु, भारतीय चिकित्सा परिषद नियमन, 1999 में निर्धारित न्यूनतम शर्तों के अनुसार भारतीय चिकित्सा परिषद परीक्षा के मानदंडों और कॉलेजों में उपलब्ध सुविधाओं के मूल्यांकन के लिए उनकी जांच पड़ताल करती है। एमसीआई के सिफारिशों के आधार पर केंद्र सरकार भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 की धारा 11 (2) के तहत किसी भी मेडिकल कॉलेज के छात्रों को मुहैया की जाने वाली विशिष्ट चिकित्सा अर्हताओं को मान्यता प्रदान करती है और उन्हें अधिसूचित करती है।
संयुक्त मेडिकल प्रवेश परीक्षा की वैधानिकता
गुलाम नबी आजाद ने एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेलोर बनाम भारत सरकार एवं अन्य के मुकद्दमे में सर्वोच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 मत से फैसला दिया है कि भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) को अखिल भारतीय संयुक्त प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करने का अधिकार नहीं है। पीठ ने माना है कि एमसीआई की अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 19, 25, 26, 29 था 30 का उल्लंघन है, तथापि जस्टिस एआर दवे ने अपनी असहमति व्यक्त की है और कहा है कि वह मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर और जस्टिस सेन के विचारों से सहमत नहीं हैं। उनकी राय में राष्ट्रीय पात्रता-सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) वैध, व्यवहारिक और समाज की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि सरकार का यह मानना है कि यह समाज और चिकित्सा के क्षेत्र में अध्ययन करने के इच्छुक छात्रों के व्यापक हित में होगा कि एनईईटी आयोजित किया जाए, अत: यह निर्णय लिया गया है कि क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेलोर बनाम भारत सरकार एवं अन्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 18-07-2013 को दिए गए बहुमत निर्णय के विरुद्ध पुनरीक्षण याचिका दायर की जाए।