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Wednesday 21 August 2013 02:43:11 AM
नई दिल्ली। सरकार ने प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके भवन निर्माण, सफाई व्यवस्था, पेयजल और टीकाकरण जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई कदम उठाए हैं। सरकार पर्यावरण के अनुकूल, दाम और ऊर्जा खपत की दृष्टि से किफायती तथा आपदाओं से निपटने के लिए उपयुक्त भवन निर्माण की सामग्री तथा प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए ठोस कदम उठाती रही है। फ्लाई एश से बनी इटें या ब्लौक, हल्के वज़न के कंक्रीट, बांस से बनी करुगेटेड शीट, बगास जैसे व्यर्थ पदार्थों से बने स्लैब, नये पदार्थों से बने दरवाजे, फैरो सीमेंट की छतों के चैनल जैसी कई नई भवन निर्माण की सामग्री तैयार की गई है।
प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके कम दाम में शौचालय बनाये गए हैं और इनका प्रदर्शन भी जगह-जगह पर किया गया है। होजरी उद्योग के बचे-खुचे पदार्थों के प्रयोग से सस्ते सैनिटरी नैपकिन तैयार किये गए हैं। इनका मानकीकरण करके उत्पादन के लिए आठ कारखाने देश के विभिन्न भागों में लगाए गए हैं। पेयजल उपलब्ध कराने के प्रयास में पानी से रासायनिक, जैविक तथा अन्य प्रदूषकों को हटाने के लिए नई एवं उपयुक्त प्रौद्योगिकियों का प्रयोग किया गया है। वर्षा के पानी को संग्रहित करने में समुद्र के खारे पानी से नमक को हटाकर पीने योग्य बनाना, नवीकरणीय ऊर्जा का प्रयोग करके पानी में प्रदूषकों का पता लगाने के लिए नई प्रौद्योगिकी विकसित की गई है और लोगों को इस बारे में जानकारी देकर इसके प्रयोग को बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत भारत सरकार विभिन्न तरह के टीके उपलब्ध करा रही है। उदाहरण के लिए बीसीजी, डीपीटी, पोलियो, हेपाटाइटिस-बी, खसरा, जापानी बुखार तथा पेंटावैलेंट वैक्सीन (जिसमें डीपीटी, हेपाटाइटिस-बी तथा इन्फ्लूयेंजा टाइप-बी के वैक्सीन सम्मिलित हैं) यह सुनिश्चित करने के लिए कि पूरे देश में सभी बच्चों का टीकाकरण हो इंटरनेट आधारित एक प्रणाली का विकास किया गया है, जिसकी सहायता से प्रसव के बाद मां और बच्चे, दोनों के ही स्वास्थ्य पर नजर रखी जा सके। बारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान यानी, वर्ष 2012 से 2017 में भवन निर्माण, सफाई व्यवस्था, पेयजल, टीकाकरण तथा संबंधित क्षेत्रों में उपयुक्त तकनीकी के विकास के लिए 7360 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई गयी है।