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Wednesday 21 August 2013 03:07:33 AM
नई दिल्ली। भारत सरकार ने स्कूली शिक्षकों की गुणवत्ता सुधारने के लिए अनेक योजनाएं बनाई हैं। सरकार ने तिहरी रणनीति तय की है, जिसमें शिक्षक-शिक्षण संस्थानों को मजबूत बनाना, शिक्षक-शिक्षा 2009 के लिए राष्ट्रीय शिक्षा ढांचे के अनुसार शिक्षक-शिक्षण के लिए पाठयक्रम में संशोधन तथा शिक्षकों को शिक्षित करने वालों के लिए न्यूनतम योग्यता तय करने तथा उनका निरंतर पेशेवर विकास शामिल है।
राज्यसभा में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ शशि थरूर ने बताया कि सरकार ने चालू पंचवर्षीय योजना में शिक्षक-शिक्षण व्यवस्था मजबूत करने के लिए 6300 करोड़ रूपए से अधिक की परियोजना को मंजूरी दी है। शिक्षक-शिक्षण के लिए राष्ट्रीय परिषद (एनसीटीई) को नया रूप दिया गया है और इसमें शिक्षक-शिक्षण क्षेत्र के अग्रणी विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। एनसीटीई को शिक्षा के अधिकार कानून-2009 की धारा-23 (1) के तहत अकादमिक प्राधिकरण घोषित किया गया है। एनसीटीई ने स्कूलों में कक्षा-1 से कक्षा-8 तक के शिक्षकों के लिए न्यूनतम पात्रता तय की है। इसके अलावा शिक्षक बनने वाले सभी लोगों को शिक्षक के रूप में नियुक्त होने के लिए शिक्षक योग्यता परीक्षा (टीईटी) पास करना होता है।
शिक्षा के अधिकार कानून में यह प्रावधान भी है कि वैसे व्यक्ति जो तय योग्यता नहीं रखते हैं, वे पाँच साल के अंदर तय योग्यता हासिल कर सकते हैं। राज्य सरकारों ने दूरस्थ तरीके से सेवारत अप्रशिक्षित 6.6 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षण देने का जिम्मा लिया है।