स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 19 September 2013 10:06:15 AM
रायपुर। छत्तीसगढ़ का सिपत सुपर थर्मल पावर स्टेशन राष्ट्र को समर्पित करने और रायगढ़ में एनटीपीसी के लारा सुपर थर्मल पावर स्टेशन की आधारशिला रखने के अवसर पर आयोजित एक समारोह में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि हमारे देश के तेज़ आर्थिक विकास के लिए वाजिब दामों पर बिजली की पर्याप्त उपलब्धता बेहद ज़रूरी है, चाहे कृषि हो या उद्योग या सेवा क्षेत्र, बिना बिजली के अर्थव्यवस्था का कोई भी क्षेत्र मज़बूत नहीं बन सकता है, हालांकि सिपत और लारा विद्युत संयत्र से देश के अन्य हिस्सों में भी बिजली की आपूर्ति की जाएगी, लेकिन इनका खास फायदा छत्तीसगढ़ को मिलेगा। सिपत और लारा विद्युत संयत्र की बदौलत बड़ी मात्रा में बिजली मिलने के अलावा राज्य सरकार को इनसे आमदनी भी होगी, जिसे वह विकास के कामों में लगा सकती है। पॉवर प्लांट का नाम राजीव गांधी सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन रखा गया है।
यह पावर स्टेशन 13000 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुआ है और इससे उत्पादित 2980MW बिजली की आपूर्ति न सिर्फ छत्तीसगढ़ को बल्कि पश्चिमी भारत के कई राज्यों और जम्मू-कश्मीर को भी की जा रही है। आज ही रायगढ़ में एनटीपीसीके लारा सुपर थर्मल पावर परियोजना के पहले चरण की आधारशिला भी रखी गई है। लारा परियोजना की कुल स्थापित क्षमता 4000MW होगी। इससे प्राप्त होने वाली कुल बिजली का पचास प्रतिशत भाग छत्तीसगढ़ राज्य को मिलेगा। पहले चरण के लिए एनटीपीसी ने लगभग 12000 करोड़ रुपये के निवेश की मंजूरी दे दी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बिलासपुर और रायगढ़ जिलों की जनता को इन दोनों विद्युत संयत्रों से सबसे अधिक लाभ होगा, विशेष रूप से रोज़गार के नए-नए अवसर पैदा होने के ज़रिए। उन्होंने केंद्रीय विद्युत मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उनके दल और एनटीपीसी के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि एनटीपीसी हमारे देश की महारत्न कंपनियों में से एक है और राष्ट्र निर्माण के काम में बहुत बड़ा योगदान दे रही है। कठिन परिस्थितियों में काम करके एनटीपीसी ने जो कामयाबियां हासिल की हैं, वे तारीफ़ के क़ाबिल हैं, यक़ीन है कि लारा संयत्रको बनाने में भी एनटीपीसी को वही सफलता मिलेगी जो उसे सिपत में मिली है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संसाधनों से मालामाल राज्य है, सरकार जानती है कि इस राज्य में विकास की बहुत सारी संभावनाएं हैं, हमने बराबर यह कोशिश की है कि विकास की इस क्षमता का पूरा फ़ायदा यहां की जनता को मिल सके, एनटीपीसी की मिसाल देना चाहूंगा, जिसका छत्तीसगढ़ के साथ बहुत पुराना और गहरा रिश्ता है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में बिजली उत्पादन की मौजूदा क्षमता में से एनटीपीसी का हिस्सा एक तिहाई से भी ज़्यादा है, यह कंपनी राज्य में लगभग 17000 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी है और भविष्य में लगभग 23000 करोड़ रुपये का और निवेश करने की योजना बनाई है, कोरबा को राज्य की विद्युत राजधानी माना जाता है, कोरबा में अधिकतर बिजली उत्पादन एनटीपीसी ही कर रहा है।
एनटीपीसी ने राज्य में अपनी कॉर्पोरेट जिम्मेदारी के तहत कोरबा के पास पाली के आईटीआई और रायगढ़ के पास पसोर के आईटीआई को अपनी देखरेख में ले लिया है। बलोदा, सिपत और कोरबा में भी एनटीपीसी की नए आईटीआई स्थापित करने की योजना है। इसके अलावा, एनटीपीसी रायपुर में भारतीय सूचना तकनीक संस्थान की स्थापना, रायगढ़ मेडिकल कालेज के निर्माण और कोरबा में एक इंजीनियरिंग कॉलेज निर्माण में भी सहायता करेगी। एनटीपीसी ने इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए और खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए भी कई कदम उठाए हैं। इन तमाम कदमों से इस क्षेत्र की प्रगति में मदद मिलेगी। बड़े पैमाने पर देश में बिजली के उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने की भरपूर कोशिश की गई है। ग्यारहवीं योजना में देश में उत्पादन क्षमता में 55000MW की रिकार्ड बढ़ोत्तरी हुई, जो 10वीं योजना के दौरान हुई बढ़ोत्तरी क्षमता से दुगुनी से भी ज्यादा है।
एनटीपीसी ने इस कोशिश में 9500MW से ज़्यादा का योगदान दिया है। बारहवीं योजना के दौरान देश में लगभग 118000MW बिजली उत्पादन की नई क्षमता पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है। बिजली उत्पादन की लागत को कम रखने और उससे पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को कम करने की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए देश में सुपर क्रिटिकल विद्युत संयत्र के साजो सामान के उत्पादन को आसान बनाने का काम भी शुरू किया गया है। इसकी वजह से दुनिया की सभी बड़ी बिजली कंपनियों ने भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर भारत में विश्व स्तरीय तकनीक वाले प्लांट लगाने की इच्छा जाहिर की है। यह शर्त रखी गई है कि सुपर क्रिटिकल इकाईयों को भारत में ही तैयार किया जाए और निविदा में सफल होने वाली कंपनियां पूरे तौर पर तकनीक भारतीय कंपनियों को सौपें।
विद्युत मंत्रालय ने सुपर क्रिटिकल इकाई स्थापित करने के लिए Bulk Tendering की कार्रवाई भी शुरु कर दी है। लारा में 800MW की इकाईयां इसी प्रक्रिया के जरिए लगाई जा रही हैं। इसकी वजह से इस परियोजना की लागत को कम रखने में बहुत सहायता मिलेगी। तेरहवीं पंचवर्षीय योजना से भारत में सिर्फ सुपर क्रिटकल तकनीकों पर आधारित प्लांट ही लगाए जाएंगे। बिजली के क्षेत्र में उत्पादन क्षमता बढ़ाने के अलावा Transmission और Distribution में सुधार करने, बिजली के लिए ईंधन की आपूर्ति को पक्का करने और पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं। इससे निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित होगा कि बिजली का क्षेत्र भविष्य में भी विकास करता रहे। अब बिजली क्षेत्र से संबंधित Research and Development में पहले से ज़्यादा निवेश हो रहा है। इससे भविष्य में ज़्यादा बेहतर विद्युत संयत्र लग सकेंगे।