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Monday 23 September 2013 09:37:24 AM
मैसूर। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि स्वस्थ, प्रगतिशील और विश्व में अग्रिम पंक्ति में गिने जाने वाले भारत के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च बढ़ाया जाना नितांत आवश्यक है। भारत इस समय स्वास्थ्य क्षेत्र पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की एक दशमलव दो प्रतिशत धनराशि ही खर्च कर रहा है, जबकि अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे और ब्राजील जैसे देशों में यह खर्च जीडीपी के चार प्रतिशत तक है। प्रणब मुखर्जी आज कर्नाटक के मैसूर नगर में जगद्गुरू श्री शिवा-रथरीश्वर महाविद्यापीठ के अस्पताल के नए भवन का उद्घाटन कर रहे थे। राष्ट्रपति ने कहा कि चिकित्सा और पोषण की सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा शालीन जीवन शैली प्रदान करके हमें अपनी जन क्षमताएं बढ़ानी होंगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि उपग्रह प्रौद्योगिक के इस्तेमाल से हमने हाल में दूर-दराज के चिकित्सा केंद्रों को शहरी क्षेत्रों में स्थित सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों से जोड़ने में सफलता हासिल की है, लेकिन अभी इस सुविधा के प्रसार-प्रचार की बहुत बड़ी आवश्यकता है, हमें नवोन्मेष के साथ आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना है, अनेक रोगों का प्रभावी और कम खर्चीला इलाज ढूंढना है, इस समय आयात किये जा रहे चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े आधुनिक उपकरणों को स्वदेश में ही बनाना है, चिकित्सा शिक्षा को और बेहतर करना है, अनुसंधान केंद्रों और मेडिकल कॉलेजों को नवोन्मेष के लिए प्रोत्साहित करना है और डॉक्टरों को विशेषज्ञता हासिल करने के लिए प्रेरित करना है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि अध्ययनों से यह स्पष्ट हो चुका है कि बीमारियों की रोकथाम वाली चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार गरीबोन्मुखी और विकासोन्मुखी साबित होता है, आधुनिक जीवन शैली से पैदा होने वाली बीमारियों के लिए इस तरह की सुविधाएं और भी जरूरी हो गई हैं, बीमारियों की रोकथाम के लिए बड़े पैमाने पर जन-शिक्षण अभियान आवश्यक है, इसमें संतुलित आहार और शारीरिक गतिविधियां, जीवन शैली प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण भी शामिल किया जाना चाहिए तथा व्यक्ति और समुदाय दोनों को लक्षित करके चलना चाहिए। श्री शिवा-रथरीश्वर महाविद्यापीठ की स्थापना एक गैर लाभकारी संगठन के रूप में 1954 में जगद्गुरू वीर सिम्हासन पीठ (सुत्तूर) के डॉक्टर श्री शिवाराथरी राजेंद्र महास्वामी ने की थी।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि जगद्गुरू श्री शिव-रथरीश्वर महाविद्यापीठ और सुत्तूर मठ ने शिक्षा, स्वास्थ्य, आश्रय, भोजन, कौशल प्रशिक्षण, ग्रामीण विकास और सामाजिक सुधार के क्षेत्रों में अभूतपूर्व काम किया है। वे जगद्गुरू श्री शिव-रथरीश्वर महाविद्यापीठ अस्पताल की नई इमारत का उद्घाटन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महाविद्यापीठ अपने अस्पताल के माध्यम से क्षेत्र में कम दरों पर बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि स्वास्थ्य किसी भी व्यक्ति के लिए प्रमुख होता है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि स्वास्थ्य ही असली दौलत है न कि सोने और चांदी के टुकड़े। उन्होंने कहा कि लोगों के बेहतर स्वास्थ्य से ही देश के विकास के बारे में पता चलता है, क्योंकि स्वस्थ्य आबादी ही शिक्षा, ज्ञान और रोज़गार के अवसरों का बेहतर इस्तेमाल कर सकती है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि वर्ष 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य अभियान इसीलिए शुरू किया गया ताकि ग्रामीण लोगों के घरों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई जा सकें। उन्होंने कहा कि भारत में स्वास्थ्य पर सकल घरेलू उत्पाद का 1.2 प्रतिशत खर्च किया जाता है, जिसे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि महाविद्यापीठ अस्पताल जैसे चिकित्सा संस्थान स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।