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Tuesday 1 October 2013 08:26:05 AM
मेरठ। सरधना के भाजपा विधायक संजीव सोम की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून में गिरफ्तारी के विरोध में खेड़ा में महापंचायत को जिला प्रशासन के प्रतिबंधित करने के बावजूद वहां हजारों की संख्या में लोग पहुंच गए तो पुलिस ने उन पर लाठी चार्ज, आंसू गैस के गोले और रबड़ की गोलियां चलाने एवं हवाई फायरिंग कर नाराज़ जन सामान्य को भगाने की कार्रवाई की, इससे मामला और भी ज्यादा गंभीर हो गया है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में मुजफ्फ़र नगर दंगे में सपा सरकार की पक्षपातपूर्ण कार्रवाई से वहां का सामाजिक और राजनीतिक वातावरण इस हद तक बिगड़ गया है कि सरकार के कानून व्यवस्था को बनाए रखने के सारे इंतजाम विफल हो गए हैं। स्थिति की गंभीरता समझने के लिए यह काफी है कि सेना को बुलाना पड़ा और खेड़ा की महापंचायत में सारे प्रतिबंधों की अनदेखी कर लोग पहुंच गए। पुलिस के सामने सारे बल प्रयोग करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। समाजवादी पार्टी की राजनीतिक समस्या को जिस प्रकार पुलिस की गोली और डंडे से सुलझाने की कोशिश की जा रही है, उससे समस्या और ज्यादा विकराल रूप ले रही है।
प्रशासन ने मेरठ और मुजफ्फर नगर के गांव सुरक्षा बलों की छावनी में तब्दील कर रखे हैं। अधिकारियों का अमला यहां मौजूद है, जिन्हें उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री, मंत्रियों और अधिकारियों के दिशा निर्देश प्राप्त हो रहे हैं। स्थानीय प्रशासन अपने ही खिलाफ सरकार की कार्रवाई के भय से नहीं समझ पा रहा है, कि वह करे तो क्या करे और किन-किनका आदेश माने? लखनऊ में सरकार के प्रवक्ता कहते हैं कि स्थानीय प्रशासन को बिना किसी भेद-भाव के कार्रवाई के आदेश दिए हुए हैं, जबकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, उनके मंत्री आजम खां और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव मुजफ्फ़र नगर दंगों के फरार आरोपियों को सरकारी हवाई जहाज और हैलिकाप्टर से लखनऊ बुलवा कर उनसे मिल रहे हैं। यही बड़ी समस्या है, जिसका सामना मेरठ और मुजफ्फर नगर का स्थानीय प्रशासन कर रहा है। उसके पास इस समस्या का तोड़ है, यदि लखनऊ का हस्तक्षेप बंद हो जाए।
मुजफ्फर नगर की छेड़-छाड़ की घटना में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मंजिल सेनी की कार्रवाई में राज्य के मंत्री आजम खां का हस्तक्षेप न हुआ होता तो यह मामला सांप्रदायिक तूल ना पकड़ता। इन दोनों जगहों पर प्रशासन से लेकर आम जनता में इसी की सर्वाधिक चर्चा है। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मंजिल सेनी और मंत्री आजम खां भले ही आज किसी दबाव से इनकार करें, किंतु यहां यही सत्य माना जा रहा है। इसके बाद जो हुआ है, उसे सेना ने काबू किया और जब तक यहां सेना रही, किसी भी उपद्रवी ने सर उठाने की हिम्मत नहीं की और जैसे ही सेना गई, स्थानीय प्रशासन पर लखनऊ के दबाव शुरू हो गए, राजनीतिक भेद-भाव से गिरफ्तारियां शुरू हो गईं, राजनीति शुरू हो गई। इन पक्षपातपूर्ण गिरफ्तारियों और घटिया राजनीति से पश्चिम उत्तर प्रदेश अशांत है। बहरहाल स्थानीय प्रशासन के पास यही घिसा पिटा जवाब है, कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़ी कार्रवाई की जा रही है,खेड़ा में सुरक्षा बलों का समुचित प्रबंध है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में महापंचायत आदि के कारण मुजफ्फ़रनगर व आस-पास के जनपदों में हिंसा की व्यापक घटनाएं हुई थीं, तब से शांति व्यवस्था प्रभावित है। मेरठ जिला प्रशासन ने खेड़ा महापंचायत पर लगाए गए प्रतिबंध का पहले से ही समुचित प्रचार-प्रसार कर रखा था, शांति व्यवस्था बनाए रखने हेतु लोगों से निरंतर अपील भी की जा रही थी तथा यह भी आगाह किया जा रहा था कि वे इस प्रतिबंधित महापंचायत में भाग न लें। प्रशासन ने पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बलों की व्यवस्था भी की थी। महापंचायत पर प्रतिबंध के कारण लोगों को इसमें भाग लेने से रोकने हेतु जनपद व उससे जुड़े प्रदेश के सीमावर्ती राज्यों की सीमाओं पर सघन चेकिंग की भी व्यवस्था की गई थी। स्थानीय प्रशासन ने महापंचायत के आयोजकों को कार्यक्रम की मनाही की सूचना भी नोटिस से भेजी थी, इसके बावजूद लोग खेतों और खलिहानों से होते हुए इस महापंचायत में हजारों की संख्या में पहुंच गए। मेरठ के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एवं डीआईजी का घेराव किया गया, गुस्साए लोगों ने वाहनो को तोड़ा, जिला व पुलिस की गाड़ियों को आग भी लगाई, इसके बाद पुलिस ने हर तरह का बल प्रयोग किया।
इस प्रकार एक राजनीतिक समस्या का हल पुलिस की लाठी-गोली में ढूंढा जा रहा है। लखनऊ में बैठे सपा सरकार के हुक्मरानों को अपने आकाओं की नाराज़गी की बड़ी चिंता है और वे पश्चिम उत्तर प्रदेश की नाराज़गी को हठधर्मिता बता रहे हैं और वहां बैठे-बैठे सरकारी भाषा में धमकी दे रहे हैं कि यदि कोई जबरन कार्यक्रम करने का प्रयास करेगा, तो ऐसे आयोजकों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार किसी भी प्रकार की हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए कटिबद्ध है, ताकि शांति व्यवस्था एवं सांप्रदायिक सद्भाव प्रभावित न हो सके, यदि कोई इसमें आगे भी बाधा पहुंचाने का प्रयास करेगा, तो राज्य सरकार उसे भी कड़ी से कड़ी कार्रवाई करके रोकेगी।