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Saturday 5 October 2013 08:28:55 AM
नई दिल्ली। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने करीब एक लाख करोड़ राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (आरयूएसए) को स्वीकृति दे दी है। यह उच्चतर शिक्षा के लिए एक नई केंद्र प्रायोजित योजना है। यह योजना 12 वीं एवं 13वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान कार्यान्वित होगी। इस योजना में राज्य के उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों पर खास ध्यान दिया जायेगा। यह सरकार की एक ऐसी नई महत्वपूर्ण योजना बताई गई है, जिससे राज्य स्तर पर सुधारों को दूरदराज तक पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त होगा। आरयूएसए के तहत कुल राज्यों के कुल 316 सार्वजिनक विश्वविद्यालय और 13,024 महाविद्यालय शामिल किये जायेंगे।
आरयूएसए के प्रमुख उद्देश्यों में राज्य स्तर पर उच्चतर शिक्षा के योजांवित विकास के माध्यम से उच्चतर शिक्षा में गुणवत्ता, समानता और दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंच शामिल है। योजना में 2020 तक कुल दाखिला अनुपात को वर्तमान के 19 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक ले जाने का प्रस्ताव भी है। इससे नये शैक्षिक संस्थानों के निर्माण, वर्तमान संस्थानों के विस्तार के साथ-साथ शिक्षा के स्तर और व्यवसायिक प्रबंधन को सुधारने में मदद मिलेगी। इन संस्थानों से देशभर में विद्यार्थियों को अनुसंधान और गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने में मदद मिलेगी। इस योजना के माध्यम से पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू एवं कश्मीर में 90:10 के अनुपात में केंद्र और राज्य सरकारें वित्तीय मदद करेंगी, जबकि अन्य विशेष श्रेणी वाले राज्यों (सिक्किम, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड) में 75:25 के अनुपात में तथा अन्य राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों में 65:35 के अनुपात में वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
मंत्रिमंडल के निर्णयानुसार आरयूएसए में राज्य के विश्वविद्यालयों में उच्चतर शिक्षा को वित्तीय सहायता देने के लिए पूरी मदद प्रदान की जाएगी। आरयूएसए वित्तीय सहायता के प्रमुख सिद्धांत प्रदर्शन के साथ-साथ स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट मानकों पर आधारित होंगे। इन सिद्धांतों से संस्थानों से आवश्यक सूचना एकत्र करने के लिए एक प्रबंधन सूचना तंत्र को स्थापित करने में मदद मिलेगी। इस योजना का उद्देश्य विश्वविद्यालयों के साथ-साथ महाविद्यालयों को व्यापक स्वायत्ता प्रदान करना है और समान विकास एवं पठन-पाठन गुणवत्ता और अनुसंधान में सुधार पर विशेष ध्यान देना है। आरयूएसए के अंतर्गत किये गये सुधार से जहां राज्य के संस्थान में बेहतर जवाबदेही और स्वायत्ता को बल मिलेगा, वहीं राज्य विश्वविद्यालयों की क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
इस योजना के तहत उपर्युक्त आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राज्य सरकारों को प्रारंभिक धनराशि प्रदान की जायेगी। एक बार आरयूएसए के अंतर्गत वित्तीय सहायता के योग्य होने के बाद राज्यों को उनकी उपलब्धियों और कार्य निष्पादनों के आधार पर धन प्राप्त होगा। परियोजना के प्रमुख उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद योजना, निष्पादन और मूल्यांकन की प्रक्रिया के अलावा अन्य निगरानी और क्षमता संवर्द्धन जैसे कार्यों की देख-रेख करेगी। राष्ट्रीय स्तर पर योजना को आरयूएसए अभियान प्राधिकरण कार्यान्वित करेगा और इसकी सहायता परियोजना सलाहकार समूह, तकनीकी सहायता समूह और परियोजना निदेशालय करेगा।
आरयूएसए के माध्यम से राज्यों में काम करने वाली प्रमुख एजेंसी एक स्वायत निकाय, राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद (एसएचईसी) होगी जो राज्य और केंद्र सरकारों के साथ मिलकर काम करेगी। एसएचईसी की राज्य परियोजना निदेशालय और तकनीकी सहायता समूह मदद करेगा। प्रत्येक संस्थान में एक प्रशासनिक निकाय और एक परियोजना निगरानी इकाई, परियोजना की प्रगति का मूल्यांकन करेगी।