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Monday 7 October 2013 08:46:34 AM
रोम। भारत के खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रोफेसर केवी थॉमस ने रोम में खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) सम्मेलन में कहा है कि भारत का खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू करना लाखों देशवासियों को भोजन का अधिकार (राइट टू फूड) देने की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। भारत में खाद्य सुरक्षा के प्रति एक बड़ा बदलाव आया है, जो कल्याणकारी उपाय से बदलकर अधिकार आधारित हो गया है। उन्होंने भारत के सभी लोगों के प्रति उनको खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता दर्शायी है।
प्रोफेसर केवी थॉमस ने रोम में विश्व खाद्य सुरक्षा पर आयोजित सम्मेलन के शुरूआती सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि इस अधिनियम से भारत ने सभी लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शायी है। दुनिया के अब तक के इस सबसे बड़े कल्याणकारी कार्यक्रम की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उच्च खाद्यान्न उत्पादन और पर्याप्त भंडारण के ताजा रुझानों से लगता है कि भारत इस कानून को सफलतापूर्वक लागू कर पायेगा।
बाद में, अंतर्राष्ट्रीय खाद्य कीमतों पर एफओए के सत्र में प्रोफेसर थॉमस ने खाद्य कीमतों में स्थिरता लाने की वचनबद्धता दोहरायी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में व़ृद्धि रोकने के लिए प्रशासनिक और राजस्व संबंधी कई उपाय किये हैं, जिनके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार आंकड़ों के एक ताजा विश्लेषण में अगस्त 2013 में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में पिछले वर्ष इसी अवधि के मुकाबले गिरावट के संकेत मिले हैं। खाद्य सुरक्षा हासिल करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में भारत के समर्थन के बारे में प्रोफेसर थॉमस ने कहा कि जरूरतमंद देशों के लिए खाद्य सहायता कार्यक्रम में भारत, हमेशा बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाता रहा है।
प्रोफेसर थॉमस ने कहा कि क्षेत्रीय स्तर पर आपातकालीन खाद्य सुरक्षा जरूरतों के लिए सार्क देशों के स्थापित खाद्य बैंक में भारत बड़ा सहयोग (अंशदान) देता है। भारत ने अनाजों विशेष रूप से चावल और गेंहू के निर्यात से रोक हटा ली है, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2012-13 में 10 मिलियन टन चावल और 5 मिलियन टन गेंहू का निर्यात किया गया। भारत के खाद्य मंत्री ने कहा कि इससे कई देशों में अनाज की ज़रूरतें पूरा करने में मदद मिली है।