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भारत में शहरी योजनाएं समावेशी हों-गि‍रि‍जा व्यास

वि‍श्‍व पर्यावास दि‍वस 2013 पर शहरीकरण पर गंभीर चर्चा

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Monday 7 October 2013 09:00:24 AM

girija vyas addressing at the world habitat day 2013 function

नई दिल्‍ली। केंद्रीय शहरी आवास एवं गरीबी उपशमन मंत्री डॉ गि‍रि‍जा व्‍यास ने कहा है कि‍ शहरी योजना और डि‍जाइन का कार्य सि‍र्फ परि‍वहन और बुनि‍यादी सुवि‍धाओं को बढ़ाने के बजाए इस बात केंद्रि‍त होना चाहि‍ए कि किस प्रकार लोगों और स्‍थानों को एक-दूसरे के साथ जोड़ा जाय, ताकि शि‍क्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, वाणि‍ज्‍य और कृषि‍ के क्षेत्र में लोगों को अच्छे अवसर मिल सकें। गिरिजा व्‍यास आज वि‍श्‍व पर्यावास दि‍वस 2013 के अवसर पर आयोजि‍त एक समारोह में बोल रही थीं। समारोह में संयुक्‍त राष्‍ट्र के प्रति‍नि‍धि‍यों के अलावा शहरी ग़रीबी उन्‍मूलन और आवास एवं शहरी वि‍कास नि‍गम (हुडको) मंत्रालय के वरि‍ष्‍ठ अधि‍कारि‍यों ने भी भाग लि‍या।
संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने वि‍श्‍व पर्यावास दि‍वस के रूप में हर साल अक्‍टूबर के पहले सोमवार को नामि‍त कि‍या है। इस साल यह 7 अक्‍टूबर 2013 को मनाया गया। वि‍श्‍व पर्यावास दि‍वस का उद्देश्‍य भारत के शहरों और कस्‍बों में आश्रय को सभी के लि‍‍ए बुनियादी अधि‍कार के रुप में प्रति‍बिंबि‍त करना है। यह याद दि‍लाता है कि ‍भवि‍ष्‍य में शहरों और कस्‍बों के आकार की जि‍म्‍मेदारी हमारी होगी। इस साल संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने इसका मूल विषय 'शहरी आवागमन' को चुना है, क्‍योंकि‍ आवागमन माल और सेवाओं तक और पहुंच शहरों के वि‍स्‍तार और कुशल संचालन के लि‍ए आवश्‍यक है। सभा की पहुंच वाले शहर यातायात के सतत साधनों को प्रोत्‍साहि‍त करते हैं, ताकि लोग अपने वाहनों को छोड़कर जन परिवहन के साधनों जैसे-रेलगाड़ियों, बसों का का प्रयोग करें।
गिरिजा व्‍यास ने कहा कि ‍वि‍श्‍व पर्यावास दि‍वस के लि‍ए 'शहरी आवागमन' का मूल विषय इस वर्ष के लि‍ए चुना गया है, जो ‍भारत के लि‍ए बहुत प्रासंगि‍क है, माल और सेवाओं में गति‍शीलता हमारे शहरों के वि‍स्‍तार और कुशल संचालन के लि‍ए आवश्‍यक है। उन्‍होंने कहा कि ‍देश में तेज़ी से बढ़ता शहरीकरण हमारे योजनाकारों और डि‍जाइनरों के लि‍ए चुनौती है, लेकि‍न आवागमन सि‍र्फ परि‍वहन उपयोग के बारे में नहीं है, यह माल सेवाओं के साथ लोगों की कुशलता, तेजी और अच्‍छे परि‍वहन के बारे में भी है। उन्‍होंने कहा कि ‍शहरों को अपने चरि‍त्र को बदलने की आवश्‍यकता है, कि किस प्रकार कार से चलने वाले समुदाय, ऊर्जा संपन्‍न समुदाय साइकि‍ल, रि‍क्‍शा और अन्‍य बिना मोटरवाहनों का उपयोग कर सकते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि‍ शहरी क्षेत्रों में 18.78 मि‍लि‍यन आवासों की कमी है और इसमें आर्थि‍क रूप से कमज़ोर तथा नि‍म्‍न आय वर्गों के लि‍ए यह 96 प्रति‍शत है। उन्‍होंने कहा कि‍ शहरी ग़रीब अपने और परि‍वार को जोखि‍म में डालकर अपनी आजीवि‍का कमाने के लि‍ए मजबूरी में मलि‍न बस्तियों मे रहने को मजबूर हैं और आजीविका कमाने के लिए इन्हें दूर-दूर तक जाना पड़ता है, जो न केवल उनके बल्कि सभी के लिए एक जोखिम है, इसलि‍ए शहरी गरीब और झुग्‍गि‍यों में रहने वाले लोगों के लि‍ए आजीवि‍का के साथ गति‍शीलता को भी एकीकृत करने की तत्‍काल जरूरत है। उन्‍होंने राजीव गांधी आवास योजना का जि‍क्र करते हुए कहा कि ‍इसकी मदद से स्‍लम मुक्‍त भारत बनाया जा सकता है।
गिरिजा व्‍यास ने कहा कि ‍उनका मंत्रालय शहरों में रहने वाले ग़रीबों को आवास एवं रोज़गार के साधन उपलब्ध करा रहा है। आवासीय असुरक्षा से नि‍पटने के लि‍ए लोगों और उनके परि‍वारों को सस्‍ता हाउसिंग लोन का बढ़ावा देने, कि‍राए के मकान बनाने, रोज़गार बढ़ाने, क्रेडि‍ट गारंटी फंड को आसानी से पहुंचाने के लि‍ए प्रयास कर रहा है। मंत्रालय सक्रि‍य रूप से 'स्‍ट्रीट वेंडर्स वि‍धेयक, 2012' (आजीवि‍का के संरक्षण के लि‍ए और स्‍ट्रीट वेंडिंग) को अमलीजामा पहनाने का प्रयास कर रहा है। इस अवसर पर डॉ व्‍यास ने 'भारत में मलि‍न बस्‍ति‍यों की स्थिति-एक सांख्‍यि‍कीय संग्रह 2013' का वि‍मोचन कि‍या, जि‍समें हुडको एवं बीएमपीपीसी के साथ एनबीओ की कि‍ताब में मलि‍न बस्‍ति‍यों और नागरि‍कों से संबंधि‍त सुवि‍धाओं जैसे जनसंख्‍या, स्‍वास्‍थ्‍य, शि‍क्षा आदि ‍वि‍षयों के महत्‍वपूर्ण राज्‍यवार आंकडे उपलब्‍ध हैं। उन्होंने कहा कि यह संग्रह शहरी वि‍कास और ग़रीबी उन्‍मूलन में नीति ‍नि‍र्माताओं, योजनाकारों, प्रशासकों, समाज के नागरि‍कों की भागीदारी और अन्‍य हि‍तधारकों के लि‍ए एक महत्‍वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करेगा।

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