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Tuesday 22 October 2013 09:42:46 AM
मास्को। भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के बाद भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मीडिया को जारी वक्तव्य में कहा है कि दोनों ने रक्षा, ऊर्जा, उच्च प्रौद्योगिकी, व्यापार, निवेश, अंतरिक्ष, विज्ञान, शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन में सहयोग की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया है, हमने इस बात पर गौर किया है कि कमजोर वैश्विक आर्थिक वातावरण के बावजूद पिछले वर्ष हमारे आपसी व्यापार में लगभग 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 11 अरब अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया है, हमने निवेश को बढ़ावा देने और सभी ऐसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के बारे में निश्चय व्यक्त किया है, जिन क्षेत्रों में काफी संभावनाएं हैं, वे हैं-तेल और गैस, ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, औषधि-निर्माण, रसायन, उवर्रक और खनन के क्षेत्र। उन्होंने कहा कि मैंने रूस, कज़ाकिस्तान और बेलारुस की कस्टम यूनियन के साथ मुक्त व्यापार समझौते के बारे में बातचीत के लिए राष्ट्रपति पुतिन का समर्थन भी मांगा है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग में जो घनिष्ठता, विविधता और गतिशीलता है, वह इस बात का प्रमाण है कि दोनों के बीच विशेष और विशिष्ट सामरिक साझेदारी है। वैश्विक गतिविधियों के बारे में भी हमारे विचारों में बहुत समानता है और अंतर्राष्ट्रीय मंचों में हम आपस में रचनात्मक सहयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी आज की बातचीत में वही उत्साह, सद्भाव और विश्वास था, जो हमारी साझेदारी के सभी पहलुओं में व्याप्त है, राष्ट्रपति पुतिन और मैं इस बात पर सहमत थे कि हमारी सामरिक साझेदारी हमारे दोनों देशों के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता का विषय है, जो दोनों देशों के लाभ के लिए हमारे संबंधों के स्थायी महत्व में हमारे विश्वास पर आधारित है तथा वैश्विक शांति और स्थायित्व का महत्वपूर्ण पहलू है। उन्होंने भारत-रूस संबंधों को नई दिशा देने और इसे सारपूर्ण बनाने में योगदान देने के लिए तथा वार्षिक शिखर सम्मेलन की इस अत्यंत उपयोगी पंरपरा शुरू करने के लिए राष्ट्रपति पुतिन की दिल से प्रशंसा की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुडनकुलम परमाणु बिजली परियोजना हमारी सामरिक साझेदारी का महत्वपूर्ण प्रतीक है, हमें उम्मीद है कि इसके पहले यूनिट में बिजली का व्यावसायिक उत्पादन बहुत जल्दी शुरू हो जाएगा और दूसरी यूनिट का कार्य अगले वर्ष पूरा हो जाएगा, मैंने राष्ट्रपति पुतिन को बताया है कि हम असैन्य परमाणु सहयोग की कार्य योजना को पूरी तरह लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिस पर 2010 में उनकी भारत यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गये थे, हमने अपने अधिकारियों को सभी बकाया मामलों को जल्द से जल्द सुलझाने के निर्देश दिए हैं, हमारा रक्षा सहयोग निरंतर सुदृढ़ बना हुआ है और हमें उम्मीद है कि जैसे ही हम संयुक्त डिजाइन, विकास और महत्वपूर्ण रक्षा प्लेटफार्मों की दिशा में आगे बढ़ेंगे, रूस भारत का महत्वपूर्ण रक्षा सहयोगी बना रहेगा।
मनमोहन सिंह ने कहा कि हमने कई बड़े क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया। भारत, सीरिया के रासायनिक हथियारों को समाप्त करने के लिए संयुक्त रूस-अमरीका फ्रेमवर्क का स्वागत करता है, मैंने सीरिया विवाद का शांतिपूर्ण राजनीतिक समाधान निकालने के लिए राष्ट्रपति पुतिन के व्यक्तिगत प्रयासों के लिए भी उनका धन्यवाद किया, भारत की पूरे पश्चिम एशिया क्षेत्र में शांति और स्थायित्व में सीधी दिलचस्पी है, हम इस बात पर भी सहमत थे कि ईरान के परमाणु मुद्दे का कूटनीतिक हल निकाले जाने की आवश्यकता है और हमें उम्मीद है कि ईरान के साथ चल रही वार्ता में प्रगति होगी।
उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोस के क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों के बारे में भारत और रूस के एक जैसे दृष्टिकोण हैं। इस क्षेत्र से होने वाली आतंकवाद, उग्रवाद और नशीले पदार्थों की तस्करी जैसी गतिविधियों से हमारे क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य क्षेत्रों के लिए भी खतरा है, इस क्षेत्र में सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देने के लिए हमने आपसी तालमेल और सहयोग को और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की है, अगले वर्ष अफगानिस्तान में शांतिपूर्ण स्थायी परिवर्तन हो, उसमें भी हमने दोनों देशों की काफी दिलचस्पी दिखाई दी है। उन्होंने कहा कि मैंने सेंट पीटर्सबर्ग जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन पर राष्ट्रपति पुतिन को बधाई दी, हमारे दोनों देश ब्रिक्स, जी-20, पूर्व एशिया सम्मेलन और संयुक्त राष्ट्र सहित विभिन्न बहुपक्षीय मंचों में निकट सहयोग के साथ कार्य करते रहेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के लोगों के बीच भी मजबूत संबंध हैं। सितंबर और दिसंबर 2013 के बीच रूस के दस शहरों में भारतीय संस्कृति उत्सव का आयोजन किया जाएगा, विश्वास है कि इस प्रकार की गतिविधियों से हमारे लोगों के बीच संबंध और मजबूत होंगे। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के लोगों के बीच जो असाधारण ऐतिहासिक संबंध हैं और इन संबंधों में जो उत्साह और सद्भाव है, उससे मुझे पूरा विश्वास है कि हम मजबूत हो रहे समान हितों का पूरा लाभ उठाने में सफल होंगे, दोनों देशों के बीच सहयोग के अवसर बढ़ेंगे और हमारी सामरिक साझेदारी और अधिक ऊंचाईयों तक पहुंचेगी।