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Saturday 2 November 2013 09:00:56 AM
लंदन। भारत के उप राष्ट्रपति एम हामिद अंसारी ने कल ब्रिटेन में लंदन स्थित ऑक्सफोर्ड सेंटर फॉर इस्लामिक स्टडीज़ में ‘आइटेंटिटी एंड सिटीजनशिप: एन इंडियन पर्सपेक्टिव’ यानी पहचान एवं नागरिकता: भारतीय परिप्रेक्ष्य विषय पर एक व्याख्यान दिया। हामिद अंसारी 31 अक्तूबर से 1 नवंबर, 2013 तक ब्रिटेन की राजकीय यात्रा पर थे। उन्होंने कहा कि भारत में सभी समुदायों के बीच एकता का अर्थ विविधताओं को एकरूप बनाना नहीं है, बल्कि विविधताओं और भिन्नताओं के बीच एकीकरण के साथ है, भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के साथ साथ मौलिक कर्तव्य भी शामिल किए गए हैं, जो राष्ट्रीय एकता का आधार हैं।
व्याख्यान में उप राष्ट्रपति ने याद दिलाया कि 6 दशक पहले सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इस संस्थान में व्याख्यान दिया था। वे उस समय भारत के उप राष्ट्रपति थे। उन्होंने कहा कि भारत पहचान और नागरिकता का विशेष रूप से सम्मान करता है। भारत के अनुभव इस दृष्टि से अत्यंत समृद्ध हैं। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है, जहां इस्लाम के अनुयायी रहते हैं। उन्होंने कहा कि पहचान संस्कृति के साथ जुड़ी है और भारत इस दृष्टि से विविध संस्कृतियों वाला राष्ट्र है। अपने लंबे व्याख्यान में उन्होंने कहा कि नागरिकता का संबंध अधिकारों और कर्तव्यों के साथ है।
उन्होंने कहा कि भारत में बहु संस्कृतियों को वैधानिक मान्यता है और सांस्कृतिक भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय गणराज्य के निर्माताओं की परिकल्पना और दूर दृष्टि का ही यह परिणाम है कि भारत में सभी संस्कृतियों के लोग परस्पर सामंजस्य के साथ रहते हैं और विविधता में एकता का भारतीय आदर्श पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय है, भारतीय संविधान नागरिकता और पहचान के आदर्श सिद्धांतों पर आधारित है। भारत में क्षेत्रीय, धार्मिक, भाषायी, जनजातीय, जाति आधारित और लिंग आधारित पहचानों का पूरा सम्मान किया जाता है, कानून की नजरों में सभी नागरिकों की समानता और धर्म, जाति, लिंग या जन्म के स्थान के आधार पर भेदभाव के खिलाफ सुदृढ़ कानूनी व्यवस्था है।