स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 16 November 2013 07:45:33 AM
नई दिल्ली। भारत के उपराष्ट्रपति एम हामिद अंसारी का कहना है कि कानून के चारों कोनों में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारी लोकतांत्रिक पहचान को परिभाषित करती है। उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अपनी कमजोरियों के बावजूद यह कार्यप्रणाली, शक्ति, संवैधानिक और लोकतांत्रिक राज्य संरचना की दृष्टि से एक शानदार मिसाल है। उन्होंने कहा कि अन्य उदार लोकतांत्रिक देशों की भांति हमारी कार्यप्रणाली भी कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच अधिकारों के विभाजन और प्रेस एवं मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका पर आधारित है।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर भारतीय प्रेस परिषद के समारोह में 'प्रेस की स्वतंत्रता और उसकी जिम्मेदारियां' विषय पर उद्घाटन व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि कानून के चारों कोनों के भीतर अंतर्निहित भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सिद्धांत हमारी लोकतांत्रिक पहचान को परिभाषित करता है, इन दोनों की गारंटी हमारे संविधान में मौलिक अधिकारों के रूप में दी गई है। उन्होंने कहा कि मेरे विचार में प्रेस के लिए दो बातें महत्वपूर्ण हैं। प्रथम-प्रेस की आजादी के साथ युक्ति संगत विश्वास के साथ नीतिपरक आचरण और हमारे संस्थानों को सुदृढ़ करने वाले मूल्यों और प्राथमिकताओं का प्रकाशन जुड़ा हुआ है। दूसरे-माता-पिता और शिक्षकों के अलावा क्या प्रेस का भी यह दायित्व नहीं है कि वह युवाओं को उनके अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों के प्रति भी सूचित और शिक्षित करे?
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें भारतीय मीडिया की शक्ति और विविधता पर गर्व है। इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि भारतीय मीडिया का निरंतर विकास होगा और वह नई डिजिटल संचार प्रौद्योगिकी का ध्यान पूर्वक इस्तेमाल करेगा और उसे अनुकूल बनाएगा। भारतीय फिल्मों के बारे में उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे अनेक देशों की फिल्मों की तुलना में काफी आगे हैं, जैसा कि शुक्रवार को 18वें भारतीय बाल फिल्म समारोह के उद्घाटन के अवसर पर जूरी के एक सदस्य स्टेंफन जैगर ने कहा है कि तकनीकी दृष्टि से तुलना करने पर भारतीय फिल्में काफी आगे हैं। हैदराबाद शहर की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह शहर एतिहासिक है और यहां का वातावरण मुझे आकर्षित करता है। हैदराबाद की बिरयानी मुझे बेहद पसंद है। इस अवसर पर भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्केडेय काटजू और सूचना प्रसारण राज्यमंत्री मनीष तिवारी ने भी विषय पर अपने विचार रखे।