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Thursday 21 November 2013 08:41:56 PM
सिंगापुर। भारत के वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज यहां एशियाई मूल वंशियों के द्वितीय दक्षिण सम्मेलन में निवेश के अवसर और चुनौतियां विषय पर अपने विचार व्यक्त किये। चिदंबरम ने कहा कि एक भारतीय को देश से बाहर ले जाया सकता है, लेकिन भारतीयों के हृदय से भारत को नहीं हटाया जा सकता। उन्होंने कहा कि दुनिया में कहीं भी रहने वाले भारतीय उस देश की नागरिकता के बावजूद भारतीयता का पूर्णभाव रखते हैं। चिदंबरम ने कहा कि सिंगापुर के मामले में भी यह सत्य है। सिंगापुर एक छोटा भारत है, उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय शहर सिंगापुर के दृश्य, यहां मिलने वाली मिठाई का स्वाद बिल्कुल भारतीय जैसा है। चिदंबरम ने कहा कि सिंगापुर एक सर्वश्रेष्ठ मिश्रित समाज को दर्शाता है, उन्होंने सिंगापुर के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान को एसएडीसी 2013 के मंच पर नागरिक समाज के नेताओं और क्षेत्र के नीति निर्माताओं, व्यावसायियों, लेखकों, पत्रकारों को एक साथ लाने के लिए अपनी शुभकामनाएं दी।
चिदंबरम ने कहा कि भारतीय मूल के बाहर रहने वाले निवासी विविधता से परिपूर्ण है। वे 17वीं शताब्दी और इसके बाद 19वीं शताब्दी में दक्षिण अफ्रीका और पश्चिम की ओर गये। भारतीय प्रवासियों के अग्रज हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय परिवारों ने 20 शताब्दी की शुरूआत में व्यापार अथवा अन्य कार्यों के लिए दक्षिण एशियाई और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों की यात्रा की बाद खुशी के साथ वहीं बस गये। चिदंबरम ने कहा कि उनकी पहली पीढ़ी प्रवासी थी, लेकिन उनके बच्चे और नाती-पोते अब ब्रिटेन, अमरीका और कनाडा जैसे विकसित देशों में रहते हैं। पिछले 40 वर्षों में बड़ी संख्या में कुशल और अकुशल श्रमिकों को मध्य पूर्व में रोज़गार अवसर प्राप्त हुए हैं और वे लंबे समय से वहीं रहकर कार्य कर रहे हैं। हाल ही के वर्षों में भारतीय मूल के लोग ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, हांगकांग और चीन जैसे देशों में भी गये हैं।
पी चिदंबरम ने कहा कि इन लोगों के मन में भारत और भारतीय अवसर के लिए विविध दृष्टिकोण हैं। यह तथ्य ध्यान देने योग्य है कि भारत एक दशमलव तीन बिलियन लोगों का एक देश है, इनमें से तीन सौ मिलियन लोगों को महत्वाकांक्षी श्रेणी में रखा जा सकता है, लेकिन इतनी ही संख्या में रहने वाले लोग सरकारी सहायता और सब्सिडी बढ़ाना चाहते हैं, ताकि वे गरीबी से बाहर आ सकें। हालांकि भारत ने 2002 से 2012 के बीच 15 प्रतिशत से ज्यादा तक गरीबी को कम किया है। भारत की संभावित विकास दर 8 प्रतिशत और इससे अधिक है। सर्वश्रेष्ठ वर्ष में बचत दर 36.8 प्रतिशत और निवेश दर 38.1 प्रतिशत थी। खराब वर्षों में बचत और निवेश दरें क्रमश: 30.8 प्रतिशत और 32.8 प्रतिशत रही। वर्ष 2005 और 2008 के बीच भारत ने शानदार उपलब्धि हासिल की। इस दौरान विकास दर नौ प्रतिशत से ज्यादा दर्ज की गई। वर्ष 1991 से 2011 की 20 वर्षों की अवधि के दौरान औसत विकास दर सात प्रतिशत रही है।
चिदंबरम ने कहा कि दुनिया का कोई भी देश भारत के समान निवेश नहीं चाहता। बारहवीं योजना में 2012 से 2017 के बीच एक ट्रिलियन निवेश का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से आधे की निजी क्षेत्र से आने की उम्मीद है। दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे में 90 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश किया जाना है। गलियारे के साथ तीन बंदरगाहों, छह हवाई अड्डों, चार हजार मेगावाट का एक बिजली संयंत्र और विनिर्माण उद्योगों को प्रोत्साहन देने के मामले में भारत में निवेश की व्यापक संभावनाएं हैं। इसके अलावा चेन्न्ई-बंगलूरू औद्योगिक गलियारा तथा बंगलूरू-मुंबई आर्थिक गलियारे की योजना भी है।
पी चिदंबरम ने कहा कि भारत निवेशकों को विभिन्न क्षेत्रों में निवेश अवसर प्रदान कर सकता है। भारत में सरकारी प्रतिभूतियां और कॉरपोरेट बॉंड्स हैं। भारत में म्युचुअल फंड और बुनियादी विकास फंड के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में समानता के अवसर हैं, जो विनिवेश कार्यक्रम के अतंर्गत हैं। चिदंबरम ने अपने संबोधन के अंत में विदेशों में बसे भारतीय मूल वंशियों से भारत में निवेश करने और निवेश के अवसरों का लाभ उठाने का आह्वाहन किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित राजदूत, गोपीनाथ पिल्लेई और प्रोफेसर तान के अलावा दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान को भी धन्यवाद दिया।